Pars Today
दोस्तो रमज़ान का पवित्र महीना शुरू हो चुका है और आज पहली तारीख़ है। यह वह महीना है जिसमें हम अपने ईश्वर के मेहमान होते हैं। यह मेहमानी भी दूसरी मेहमानियों की भांति सबसे सुन्दर और सबसे मीठी होती है और इसका समय भी सीमित होता है और हमको इसके महत्व को समझना चाहिए और इस छोटी अवधि से भरपूर लाभ उठाना चाहिए।
दोस्तो जैसाकि आप जानते हैं कि नया ईरानी साल आरंभ हो चुका है। चारों तरफ खुशी का माहौल है।
दोस्तो, हज़रत अब्बास के शुभ जन्म दिवस के अवसर पर हार्दिक बधाई पेश करते हैं।
इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम का जन्म 5 शाबान सन 38 हिजरी में हुआ था। उन्होंने पवित्र नगर मदीना में आंखें खोली थीं। उन्के पिता का नाम इमाम हुसैन और माता का नाम शहरबानो था।
दोस्तो इससे पहले कि हम अपने कार्यक्रम का आरंभ करें, सबसे पहले हम अपने सभी श्रोताओं की सेवा में ईदे मुबाहिला के शुभ अवसर पर दिल की गहराईयों के साथ मुबारकबाद पेश करते हैं।
पवित्र नगर मक्का और मदीना के बीच में ग़दीर नाम का एक छोटा तालाब है जिसके पास इतिहास की महत्वपूर्ण घटना घटी है। 18 ज़िलजिज्जा को महान व सर्वसमर्थ ईश्वर ने पैग़म्बरे इस्लाम पर वही अर्थात ईश्वरीय संदेश भेजा कि हे पैग़म्बर उस चीज़ को पहुंचा दीजिये जो तुम्हारे पालनहार की ओर से उतारी जा चुकी है और अगर आपने यह कार्य नहीं किया तो पैग़म्बरी का कोई कार्य ही अंजाम नहीं दिया और ईश्वर लोगों से आपकी सुरक्षा करेगा।
दोस्तो अरफ़ा का दिन एक ऐसा पवित्र दिन है कि जिस दिन हम एक ऐसी मन को सुकून देने वाली दुआ पढ़ते हैं कि जिस दुआ को इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने अरफ़ात के मरुस्थल में पढ़ी थी।
पवित्र हज के संस्कारों को आज हज़रत इब्राहीम के हज के तौर पर जाना जाता है, यह केवल एक इबादत नहीं है, बल्कि यह पूरी दुनिया के मुसलमानों के बीच एकता और एकजुटता के लिए किए जाने वाले प्रयासों का अभ्यास है।
दिवंगत मोहम्मद अली करीमख़ानी की आवाज़ में क्लिप
हज, अल्लाह के सामने मुसलमानों के नतमस्तक होने का नमूना है