आख़िरकार भारत ने ईरान को लेकर अपनी ग़लती मान ही ली! दिल्ली अब अमेरिका और यूरोपीय देशों के दबाव में नहीं आने वाला
यूक्रेन युद्ध के बीच भारत के रूस से सस्ता तेल ख़रीदने के मुद्दे को पश्चिमी मीडिया ने एक बार फिर से हवा देने की कोशिश की है। अमेरिका के चर्चित टीवी चैनल सीएनएन की एंकर बेकी एंडरसन ने भारतीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी को रूस से तेल ख़रीदने के मुद्दे पर घेरने की कोशिश की।
प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, भारत के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने अमेरिकी टीवी एंकर बेकी एंडरसन को यूरोप के आंकड़ों का उदाहरण देकर ऐसा करारा जवाब दिया कि सोशल मीडिया पर उनकी जमकर तारीफ़ हो रही है। वहीं कई विशेषज्ञ भारत को ईरान वाली ग़लती नहीं दुहराने की सलाह दे रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, रूस से तेल ख़रीदने का मुद्दा भारत और अमेरिका के बीच यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से ही तनाव का मुद्दा बना हुआ है। भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर के करारे जवाब के बाद पिछले दिनों यह मुद्दा ठंडे बस्ते में चला गया था लेकिन अब एक यह बार फिर से गरमा गया है। दरअसल, सीएनएन ने भारतीय पेट्रोलियम मंत्री से रूस से तेल ख़रीदने पर नैतिकता का मुद्दा उठाया। इस पर हरदीप पुरी ने साफ़ कह दिया कि रूसी तेल ख़रीदने से कोई नैतिक विवाद नहीं है। हरदीप पुरी ने कहा कि अगर यूरोप और अमेरिका की ख़पत से तुलना की जाए तो भारत रूसी तेल का केवल 0.2 प्रतिशत ही ख़रीदता है जो बहुत ख़ास नहीं है। उन्होंने भारत की स्थिति को साफ़ करते हुए एंकर से कहा कि मैं आपके दृष्टिकोण को ठीक करना चाहूंगा। हमने 31 मार्च 2022 को ख़त्म हुए वित्तीय वर्ष में रूस से 0.2 प्रतिशत तेल ख़रीदा है जो दो प्रतिशत भी नहीं है। यूरोप जितना एक दोपहर में तेल रूस से ख़रीदता है, उसका केवल एक तिहाई ही हमने रूस से ख़रीदा है।
भारतीय मंत्री ने यह भी कहा कि हमने पिछले महीने सबसे ज़्यादा तेल इराक़ से ख़रीदा है। हरदीप पुरी ने साफ़ कर दिया कि भारत रूस से सस्ता तेल ख़रीदता रहेगा। भारत ने एक बार फिर से अपनी स्थिति को साफ़ करके पुरानी ग़लती को दोहराने से बचा लिया है। अंतर्राष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ कबीर तनेजा कहते हैं कि यह बहुत ही हैरान करने वाला है कि पश्चिमी देश भारत के रूस से तेल ख़रीदने की बात कर रहे हैं लेकिन पश्चिमी देशों के दबाव में नई दिल्ली ने ईरान से तेल ख़रीदना जो बंद कर दिया, उसे कोई अहमियत नहीं दे रहे हैं। जबकि ईरान से तेल न ख़रीदना भारत की सबसे बड़ी ग़लती है। तनेजा ने बताया कि भारत ने ईरान के साथ पश्चिमी देशों के परमाणु समझौते में मदद के लिए ईरान से सस्ता तेल लेना बंद कर दिया था। उन्होंने कहा कि ईरान भारत के पास सबसे क़रीब में बसा तेल समृद्ध देश है। भारत को अपने इस फ़ैसले से ऊर्जा घाटा हो रहा है, इसके बाद भी वह ईरान से तेल नहीं आयात कर रहा है। इस तरह की चीज़ों पर आंख नहीं मूंद सकते हैं। तनेजा ने कहा भारत ने जहां एक तरफ़ ईरान से तेल ख़रीदना बंद कर दिया है, वहीं हमारे प्रतिद्वंदी देश चीन ने अरबों डॉलर का तेल आयात ईरान से बढ़ा दिया है। ईरान सस्ते में चीन को तेल दे रहा है।
ग़ौरतलब है कि चीन और ईरान ने पिछले दिनों एक 25 अरब डॉलर की डील की है। चीन ईरान में बड़े पैमाने पर निवेश करने जा रहा है। वहीं भारत चाहकर भी चाबहार पोर्ट में अपने निवेश को बढ़ा नहीं पा रहा है। ईरान भारत का दोस्त देश है और भारत को सस्ते में तेल भी दे रहा था लेकिन भारत ने अमेरिका और पश्चिमी देशों के दबाव में आकर उससे तेल आयात करना बंद कर दिया, जिससे भारत को भारी नुक़सान हो रहा है। ईरान भी भारत के इस फ़ैसले से ख़ुश नहीं है। इस बीच अब ईरान ने पाकिस्तान और रूस के साथ अपने रिश्तों को काफ़ी मज़बूत कर लिया है। (RZ)
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