कश्मीर पर भारत-चीन के बीच उपजे विवाद के बीच चीनी राष्ट्रपति भारत पहुंचे, महाबलिपुरम में शिखर बातचीत शुरु
(last modified Fri, 11 Oct 2019 14:02:27 GMT )
Oct ११, २०१९ १९:३२ Asia/Kolkata
  • कश्मीर पर भारत-चीन के बीच उपजे विवाद के बीच चीनी राष्ट्रपति भारत पहुंचे, महाबलिपुरम में शिखर बातचीत शुरु

चीन के राष्ट्रपति शी जिन पिंग भारत के दो दिवसीय दौरे पर दक्षिणी राज्य तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई पहुंचे, जहां से वह महाबलिपुरम के लिए रवाना हुए।

महाबिलपुरम में चीनी राष्ट्रपति शी जिन पिंग और भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के बीच दूसरी अनौपचारिक शिखर बातचीत शुरु हुयी। ऐसी पहली अनौपचारिक बातचीत पिछले साल अप्रैल में चीन के वोहान शहर में हुयी थी। यह पहली बार नहीं है जब भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति का राष्ट्रीय राजधानी से बाहर स्वागत किया है। इससे पहले उन्होंने 2014 में भी चीनी राष्ट्रपति का अहमदाबाद में स्वागत किया था।

चीनी राष्ट्रपति के साथ इस देश के विदेश मंत्री और पोलित ब्यूरो के सदस्य भी भारत आए हैं। इस अनौपचारिक बातचीत में भारतीय प्रधान मंत्री के साथ भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी होंगे। दोनों नेताओं ने महाबलिपुरम के कुछ धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहरों का भी दौरा किया।

सूत्रों के अनुसार, कल की शिखार वार्ता के बाद न तो किसी समझौते पर दस्तख़त होंगे और न ही संयुक्त बयान जारी किए जाएंगे। चीनी राष्ट्रपति शिखर बातचीत के बाद नेपाल के लिए रवाना हो जाएंगे।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, इस शिखर वार्ता में महत्वपूर्ण क्षेत्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा होगी और दोनों पक्ष द्विपक्षीय संबंधों में विस्तार, आतंकवाद, आतंकवादी संगठनों और आतंकवाद के वित्तीय पोषण जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगे। इसके अलावा दोनों पक्ष भारत-चीन सीमा पर विश्वास बहाली के संभावित उपायों पर भी चर्चा करेंगे।

चीनी राष्ट्रपति की भारत यात्रा ऐसे समय में हो रही है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिन पिंग और पाकिस्तानी प्रधान मंत्री इमरान ख़ान के बीच भेंट के बाद, हालिया दिनों में कश्मीर को लेकर नई दिल्ली और बीजिंग ने कड़े शब्दों का आदान प्रदान किया है।

चीन ने जम्मू कश्मीर से संविधान की धारा 370 हटाने के भारत सरकार के फ़ैसले की खुलकर आलोचना की।

शी जिन पिंग और इमरान ख़ान के बीच बातचीत में कश्मीर का उल्लेख किए जाने पर भारत ने कड़ा विरोध जताया है और कहा है कि भारत के आंतरिक मामले में किसी को बोलने का कोई अधिकार नहीं है। (MAQ/N)

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