कश्मीर पर चीन ने भारत को आंख दिखायी, किसी नए संकट की आहट तो नहीं!!!
चीन ने भारत द्वारा जम्मू कश्मीर को 2 केन्द्र शासित प्रदेशों में बांटे जाने के क़दम का विरोध करते हुए इस ग़ैर क़ानूनी और अमान्य बताया।
चीन का कहना है कि भारत ने अपने प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र में चीन के कुछ क्षेत्र को शामिल करके बीजिंग की संप्रभुता को चुनौती दी है।
भारत सरकार ने 5 अगस्त को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद -370 के ज़्यादातर प्रावधानों को हटाने और राज्य को 2 केन्द्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख़ में बांटने का फ़ैसला लिया था। इसी फ़ैसले के तहत गुरुवार 31 अक्तूबर को जम्मू कश्मीर का 2 केन्द्र शासित प्रदेशों में बंटवारा हो गया।
इससे पहले चीन ने अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को हटाने और लद्दाख़ के केन्द्र शासति प्रदेश के रूप में गठन को लेकर आपत्ति जतायी थी और कहा था कि इसमें कुछ चीनी क्षेत्र भी शामिल हैं।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने गुरुवार को बीजिंग में मीडिया से कहाः "भारत सरकार ने तथाकथित जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केन्द्र शासित प्रदेशों के गठन की आधिकारिक रूप से घोषणा कर दी जिसमें उसके प्रशासनिक क्षेत्र में चीनी क्षेत्र का कुछ हिस्सा भी शामिल है।"
गेंग शुआंग ने एक सवाल के जवाब में कहाः "चीन ने इस पर नाराज़गी और कड़ा विरोध जताया है। भारत ने एकपक्षीय रूप से अपने घरेलू क़ानूनों तथा प्रशासनिक विभाजन को बदल लिया और चीन की संप्रभुता को चुनौती दी है।"
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहाः "कश्मीर मुद्दे पर चीन का दृष्टिकोण स्पष्ट व अटल है। यह बहुत पुराना विवाद है। संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के मुताबिक़, शांतिपूर्ण ढंग से इसका समाधान किया जाना चाहिए। यूएनएससी के प्रासंगिक प्रस्तावों और द्विपक्षीय संधियों तथा संबंधित पक्षों को बातचीत के ज़रिए विवाद को हल करना चाहिए और क्षेत्रीय शांति व स्थिरता को बनाए रखना चाहिए।"
पर्यवेक्षक चीन के इस तरह के बयान को डोकलाम जैसे किसी नए संकट के जन्म लेने की पृष्ठिभूमि मान रहे हैं। (MAQ/N)