दूसरों को परेशान करके कोई सुख से नहीं रह पाता
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अली शमख़ानी का कहना है कि ईरानी राष्ट्र के अधिकारों को लूटकर अमरीका, अपनी आंतरिक तबाही को रोक नहीं सकता।
(last modified 2023-04-09T06:25:50+00:00 )
Feb १०, २०२२ २२:३१ Asia/Kolkata
  • दूसरों को परेशान करके कोई सुख से नहीं रह पाता

अली शमख़ानी का कहना है कि ईरानी राष्ट्र के अधिकारों को लूटकर अमरीका, अपनी आंतरिक तबाही को रोक नहीं सकता।

ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा की उच्च परिषद के सचिव अली शमख़ानी ने बुधवार को ट्वीट किया जिसमे उन्होंने लिखा है कि ईरानी राष्ट्र के अधिकारों को नष्ट करके अमरीकी तबाही को रोका नहीं जा सकता।

उन्होंने लिखा कि अमरीकी सत्ता के गलियारों से जो आवाज़ें आ रही हैं उनसे यह पता चलता है कि वियना वार्ता को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से इस देश के पास आवश्यक एकता नहीं पाई जाती है।  ईरान के प्रतिबंधों को हटवाने के उद्देश्य से वियना में 8 फरवरी से आठवे चरण की वार्ता आरंभ हुई है।  वार्ता में प्रगति के बावजूद इसमें किसी भी प्रकार का समझौता, वाशिग्टन की राजनीतिक इच्छाशक्ति पर ही निर्भर है।

अब जबकि ईरान, प्रतिबधों को प्रभावी ढंग से हटवाने और भविष्य में अमरीका की ओर से उसके उल्लंघन न किये जाने की गारेंटी चाह रहा है, अमरीका की रिपब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेटिक पार्टी के कुछ सीनेटर, अमरीका की बाद वाली सरकार के समझौते से निकल जाने की संभावना या फिर जेसीपीओए में कुछ परिवर्तनों की बात कर रहे हैं।

रिपब्लिकन पार्टी के 30 सीनेटरों ने हाल ही में जो बाइडेन को एक पत्र भेजकर चेतावनी दी है कि अगर उनकी सरकार, ईरान के साथ होने वाले परमाणु समझौते की समीक्षा में रुकावट बनती है तो फिर वे उसको अस्थिर बनाने के प्रयास करेंगे।  इन सीनेटरों का यह भी कहना है कि रिपब्लिकन्स के सत्ता में आने की स्थिति में वे उनको निरस्त करवा देंगे।  इन रिपब्लिकन सीनेटरों के अतिरिक्त बाॅब मेंडर्ज़ जैसे कुछ डेमोक्रेट सीनेटर भी परमाणु समझौते में समीक्षा के बिना पुनः वापस लौटने का विरोध कर रहे हैं।  अमरीका के भीतर पाए जाने वाले मतभेद, वियना वार्ता में किसी परिणाम के जल्दी सामने आने में सबसे बड़ी बाधा बने हुए हैं, लेकिन यह बात भी दृष्टिगत रखनी चाहिए कि अमरीका के एकपक्षीय रूप में परमाणु समझौते से निकलने के कारण ही आज यह हालत हुई है।

बाइडेन सरकार ने इस बारे में न केवल यह कि कोई प्रभावी क़दम नहीं उठाया है बल्कि, यह प्रयास किया है कि प्रतिबंधों की नीति को आगे बढ़ाते हुए ईरान के विरुद्ध अधिक दबाव की नीति को जारी रखा जाए।  जानकारों का मानना है कि इस प्रकार के अमरीका के आंतरिक मतभेदों को ईरान से प्रतिबंध न हटाने के हथकण्डे के रूप में प्रयोग नहीं किया जा सकता।  अगर अमरीका की वर्तमान सरकार, जेसीपीओए से निकलने का विरोध करते हुए ईरान पर अधिक दबाव की नीति को बाक़ी रखती है तो फिर वियेना वार्ता, बाइडेन प्रशासन के लिए एक सुनहरा अवसर है कि वह एक नई नीति के अन्तर्गत ईरान की तार्किक मांगों को स्वीकार करते हुए अमरीका की विफल हो जाने वाली दबाव की नीतियों को समाप्त करें और जेसीपीओए में वापस आ जाए।

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