दुनिया को ईरान की ताज़ा ऊर्जा की ज़रूरत, तेल के बाज़ार में लगी आग कब और कैसे बुझेगी?
विश्लेषकों का कहना है कि अगर अगले सप्ताह समझौते पर हस्ताक्षर हो जाते हैं, तो यह सुनिश्चित करने में कई महीनों का समय लगेगा कि ईरान समझौते के प्रति प्रतिबद्ध है कि नहीं और उसके बाद प्रतिबंध हटाए जाएंगे। जिसका अर्थ है कि मई या जून से पहले तक ईरान से अधिक तेल के बाज़ार में आने की संभावना नहीं है।
ईरान और विश्व शक्तियों के बीच वार्ता में हुई प्रगति और ईरान के साथ एक नए समझौते पर पहुंचने की संभावनाओं को लेकर कई तरह के सवाल सामने आ रहे हैं। एक ऐसा समझौता जो ईरानी तेल को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में उतरने की अनुमति देता है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि ईरानी तेल का अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में जल्द आना यह अभी संभव नहीं लग रहा है। विश्लेषकों का कहना है कि इसमें कई महीने लगेंगे और अगर ऐसा होता भी है, तो यह संभावना नहीं है कि ईरानी तेल उस संकट का समाधान होगा जो वर्तमान में तेल बाज़ार अनुभव कर रहा है। विश्लेषकों का यह भी कहना है कि दुनिया की अधिकांश रिफाइनरियों ने कई वर्षों से ईरानी तेल का उपयोग नहीं किया है इसलिए ईरान से तेल आयात फिर से शुरू करने के लिए उन रिफाइनरियों को तकनीकी उपायों को पूरा करने में दो से तीन महीने लगेंगे।
उदाहरण के तौर पर, जब वर्ष 2015 में ईरान के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, तो अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) द्वारा ईरान की कार्यवाहियों को सत्यापित करने के छह महीने बाद ही प्रतिबंध हटाए गए थे। हालांकि, एक बार जब समझौते के प्रति ईरान की प्रतिबद्धता की पुष्टि हो जाती है, तो फिर निर्यात बढ़ाने और तेल उत्पादन में वृद्धि को लेकर ईरान को प्रतीक्षा करने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि ईरान अपने कच्चे तेल के भंडार के मूंह को जितना दिल चाहे खोल सकता है। ईरान अगर ऐसा करता है तो फिर रूस पर लगे प्रतिबंधों की वजह से अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में तेल की क़ीमतों में जो आग लगी है उसको ईरानी तेल के बाज़ार में आने के बाद बुझाया जा सकता है। वहीं एक ओर जहां समझौते के बाद ईरान के तेल उत्पादन में वृद्धि की उम्मीद जताई जा रही है वहीं दूसरी ओर विश्लेषकों का कहना है कि निर्यात में 1 मिलियन से 1.3 मिलियन बैरल प्रति दिन की वृद्धि में शायद तीन से छह महीने का समय लगे। हालांकि यह सब तभी संभव है कि जब उत्पादन में और वृद्धि वर्षों तक रहे और बुनियादी ढांचे में बड़े पैमाने पर निवेश हो।
इस बीच जानकारों का कहना है कि फ्लोटिंग डिपो में ईरान का कच्चा तेल जल्द ही बाज़ार में पहुंचने की संभावना है और तेहरान इसे स्थानांतरित करने के लिए काम कर रहा है। एसवीबी कंपनी की प्रमुख सारा वख़शोरी कहती हैं कि ईरान ने अपने अस्थायी भंडार में से कुछ को तत्काल निर्यात के लिए खार्क द्वीप में स्थानांतरित कर दिया है। वहीं केपलर और एफजीई की रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि अगर मार्च की शुरुआत में परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर हो जाते हैं और उसके तुरंत बाद प्रतिबंध हटा दिए जाते हैं, तो मई से जून तक ईरान के तेला का निर्यात बढ़ जाएगा। लेकिन यूरोपीय बाज़ार के सूत्रों का कहना है कि 2015 की तुलना में इस बार समझौते के बाद की प्रक्रियाएं तेज़ी से आगे बढ़ेंगी, क्योंकि यूक्रेन में संकट और रूसी तेल निर्यात में पर लगे प्रतिबंधों के कारण, ईरानी तेल को लेकर अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार को एक बड़ी उम्मीद दिखाई दे रही है। (RZ)
*पार्ट टूडे का लेखक के विचार से सहमत होना ज़रूरी नहीं है*
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