तुर्कमनिस्तान के राष्ट्रपति तेहरान पहुंचे
तुर्कमनिस्तान के राष्ट्रपति कल शाम को एक उच्च स्तरीय राजनीतिक और आर्थिक प्रतिनिधिमंडल के साथ तेहरान पहुंचे।
तुर्कमनिस्तान के राष्ट्रपति सरदार बर्दी मोहम्मदओफ मंगलवार की शाम को तेहरान पहुंचे जहां पेट्रोलियम मंत्री ने उनका आधिकारिक स्वागत किया। तेहरान के सआदताबाद महल में उनका आधिकारिक स्वागत, अपने ईरानी समकक्ष सय्यद मोहम्मद रईसी से भेंटवार्ता, दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों के बीच संयुक्त बैठक और कुछ समझौतों पर हस्ताक्षर मोहम्मदोफ की दो दिवसीय तेहरान यात्रा के कार्यक्रम हैं।
जब से बर्दी मोहम्मदोफ़ तुर्कमनिस्तान के राष्ट्रपति बने हैं तब से यह उनकी पहली तेहरान यात्रा है।
इस्लामी गणतंत्र ईरान की एक सिद्धांतिक नीति समस्त देशों विशेषकर पड़ोसी देशों के साथ मित्रतापूर्ण संबंधों को स्थापित करना है, उनके साथ सहयोग में विस्तार करना और वार्ता द्वारा मतभेदों का समाधान है। इस्लामी गणतंत्र ईरान की इसी नीति का परिणाम है कि उसके पड़ोसी देश तेहरान के साथ अपने संबंधों को विस्तृत व प्रगाढ़ बनाने के प्रयास में हैं। ईरान का मानना है कि पड़ोसी देशों की शांति व सुरक्षा में सबका विकास व प्रगति नीहित है।
यही नहीं पड़ोसी देशों के आपस में सहयोग से दुश्मनों के बहुत से षडयंत्रों को निष्क्रिय बनाया जा सकता है। बहुत से साम्राज्यवाद देश इस्लामी गणतंत्र ईरान के पड़ोसी देशों को तेहरान से डराते हैं और पड़ोसी देशों के एक दूसरे के साथ तनावग्रस्त संबंधों में ही वे अपने हितों को देखते हैं। अमेरिका और दूसरे वर्चस्ववादी देशों के क्रिया कलापों को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है।
इन वर्चस्ववादी देशों की पूरी कोशिश यह दिखाने की रहती है कि ईरान उनके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है जिसके कारण उन्हें विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना है जबकि वास्तविकता ठीक इसके बिपरीत है। अमेरिका और उसकी हां में हां मिलाने वाले नैटो के सैनिक लगभग 20 वर्षों तक शांति व सुरक्षा स्थापित करने और आतंकवाद से मुकाबला करने के बहाने अफगानिस्तान में मौजूद रहे। पर आज तक अफगानिस्तान में न तो शांति स्थापित हुई और न ही वहां से आतंकवाद का सफाया हुआ और आज अफगानिस्तान के लोगों को जो विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना है उनमें से बहुत सी समस्याओं का संबंध अमेरिका और नैटो की उपस्थिति से है।
इसी प्रकार अमेरिका ने इराक का अतिग्रहण किया और उसके अतिग्रहण के परिणाम में इराकी लोगों को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना है। इसी प्रकार सीरिया में अमेरिकी सैनिक मौजूद हैं और वहां के प्राकृतिक स्रोतों को लूट रहे हैं जिसके कारण सीरियाई लोगों को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना है।
इसी प्रकार सऊदी अरब सुरक्षा परिषद की अनुमति के बिना 26 मार्च 2015 से यमन में पाश्विक हमला आरंभ किये हुए है जिसमें अब तक दसियों हज़ार निर्दोष यमनी मारे जा चुके हैं। सारांश यह कि अमेरिका और उसकी हां में हां मिलाने वाले देश न केवल दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करते हैं बल्कि सैनिक हमला करके कुछ देशों का अतिग्रहण भी कर लेते हैं, वहां के लोगों की हत्यायें करते और वहां के प्राकृतिक स्रोतों का दोहन व शोषण करते हैं और दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का आरोप ईरान पर मढ़ देते हैं।
बहरहाल क्षेत्रीय देश एक दूसरे से संबंधों को घनिष्ठ व प्रगाढ़ बनाकर विदेशियों विशेषकर अमेरिका जैसे वर्चस्ववादी देशों के बहुत से षडयंत्रों को विफल बना सकते हैं। तुर्कमनिस्तान के राष्ट्रपति और पाकिस्तान के विदेशमंत्री की हालिया यात्रा को इसी संबंध में देखा जा सकता है। इन देशों के नेताओं की तेहरान यात्रा से न केवल ईरान, तुर्कमनिस्तान और पाकिस्तान बल्कि क्षेत्र के दूसरे देशों को भी लाभ पहुंचेगा। MM
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