अमेरिका में ईरान के राष्ट्रपति ने वर्चस्ववादी शक्तियों को किया बेनक़ाब, ग़रीब बच्चों के भविष्य से खेलने वालों से मुक़ाबला किया जाना ज़रूरी
न्यूयॉर्क में यूनेस्को की बैठक में अपने भाषण में ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी ने अकादमिक और सांस्कृतिक वर्चस्व को सबसे ख़राब उत्पीड़न कहा और कहा कि प्रगति और विकास को शिक्षा और प्रशिक्षण, पारिवारिक नैतिक नींव और न्याय की स्थिरता से अलग नहीं किया जा सकता है।
प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी ने न्यूयॉर्क में अपने प्रवास के पहले दिन संयुक्त राष्ट्र संघ के बच्चों से संबंधित संगठन यूनेस्को द्वारा आयोजित ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन समिट में बोलते हुए कहा कि विश्व में इस समय मौजूद वर्चस्वादी व्यवस्था अन्य देशों को पिछड़ा रखने में अपना फ़ायदा देखती है। राष्ट्रपति रईसी ने कहा कि यह वर्चस्वादी शक्तियां एक अन्यायपूर्ण विश्व व्यवस्था की स्थापना, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में प्रभाव और उनके वैचारिक और सांस्कृतिक नेटवर्क के माध्यम से अन्य देशों के विकास में सबसे बड़ी बाधा हैं। ईरानी राष्ट्रपति ने कहा कि शैक्षिक चुनौतियों से निपटने के लिए बुनियादी मुद्दों पर ध्यान देने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान समझता है कि विकास, शिक्षा, परिवार व्यवस्था, न्याय और धार्मिक मूल्यों को एक दूसरे से अलग नहीं देखा जा सकता है। सैयद इब्राहीम रईसी ने सांस्कृतिक वर्चस्ववाद और वैज्ञानिक एकाधिकार को अन्याय का सबसे बुरा रूप बताया।
ईरान के राष्ट्रपति ने अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों से दुनिया के सभी देशों के शैक्षिक और प्रशिक्षण अधिकारों का सम्मान करने और सांस्कृतिक आक्रमण के ख़िलाफ़ उनकी रक्षा का आह्वान किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि पारिवारिक व्यवस्था की सुरक्षा, पर्यावरण का सम्मान, न्याय की सर्वोच्चता, हिंसा और उग्रवाद की अस्वीकृति और स्वस्थ साइबर गतिविधियों का प्रावधान शैक्षिक परिवर्तन और सुधारों में सबसे आगे होना चाहिए। बता दें कि सैयद इब्राहीम रईसी संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें अधिवेशन में भाग लेने के लिए एक उच्च स्तरीय राजनयिक प्रतिनिधिमंडल के साथ सोमवार शाम न्यूयॉर्क पहुंचे। संयुक्त राष्ट्र महासभा का वार्षिक अधिवेशन 20 सितंबर से 26 सितंबर तक चलेगा। (RZ)
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