Sep २७, २०२२ ११:५५ Asia/Kolkata

ईरान में आज इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की शहादत का सोग मनाया जा रहा है।

आज मंगलवार 27 सितम्बर को पैग़म्बरे इस्लाम (स) के पौत्र इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की शहादत के दुखद अवसर पर पूरे ईरान में शोक सभाएं आयोजित की जा रही हैं और जूलूस निकाले जा रहे हैं।

दुनिया भर में और ख़ास तौर पर ईरान में शिया मुसलमान अपने आठवें इमाम हज़रत इमाम अली रज़ा (अ) की शहादत की बरसी पर शोक और ग़म मना रहे हैं।

उधर ख़ुरासाने रज़वी प्रांत के तीर्थयात्रियों के मामलों की समन्वय कमेटी के प्रमुख ने कहा है कि 18 सितम्बर से अब तक 42 लाख तीर्थयात्री और श्रद्धालु पवित्र नगर मशहद पहुंच चुके हैं।

हुज्जत गुनाबादी नेजाद ने कहा कि इस समय पवित्र नगर मशहद में इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के रौज़े पर तीर्थयात्रियों का क्रम जारी है और अधिकतर होटल और अस्थाई विश्राम घर भर चुके हैं। उन्होंने बताया कि होटल और मुसाफ़िर ख़ाने 90 प्रतिशत तक भर चुके हैं।

ख़बरों में बताया गया है कि इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की शहादत के कार्यक्रम में भाग लेने के लिए 5 हज़ार से अधिक पाकिस्तानी तीर्थयात्री ज़मीनी रास्ते से पवित्र नगर मशहद पहुंच चुके हैं जबकि सैकड़ों भारतीय श्रद्धालु भी मशहद में मौजूद हैं।

इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक़, मंगलवार 30 सफ़र बराबर 27 सितम्बर 2022 को इमाम रज़ा (अ) की शहादत की बरसी है।

हज़रत इमाम रज़ा (अ) का जन्म मदीना शहर में 148 हिजरी में हुआ था और सन् 203 हिजरी में सफ़र महीने की आख़िरी तारीख़ को अब्बासी ख़लीफ़ा मामून अल-रशीद के हाथों उनकी शहादत हो गई थी।

हज़रत इमाम रज़ा (अ) की इमामत के दौरान, लोगों के बीच पैग़म्बरे इस्लाम (स) के परिजनों या अहले-बैत के प्रति लगाव और स्नेह अपने चरम पर था। उनकी इसी लोकप्रियता को देखते हुए मामून ने उनकी जान लेने की साज़िश रची और ज़हर देकर उन्हें शहीद कर दिया।

इमाम (अ) की शहादत की बरसी पर हर बड़ी संख्या में लोग मशहद में स्थित उनके रौज़े के ज़ियारत करने जाते हैं और इसी तरह क़ुम स्थित उनकी बहन के रौज़े पर भी ज़ायरीन की भीड़ रहती है। (AK)

 

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