ईरान के आंतरिक मामलों में ब्रिटेन का हस्तक्षेप जारी
पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान ब्रिटेन के राजदूत को ईरान के विदेश मंत्रालय में तीसरी बार तलब किया गया है।
ब्रिटेन के राजदूत Simon Shercliffe को विदेश मंत्रालय तलब करके बताया गया है कि जवाबी कार्यवाही के लिए ईरान अपने अधिकार को सुरक्षित मानता है।
ईरान में हालिया उपद्रव के बहाने इस देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करते हुए ब्रिटेन ने सोमवार को ईरान की नैतिक पुलिस तथा देश के सुरक्षा के ज़िम्मेदार कुछ अधिकारियों को प्रतिबंधित कर दिया है। इस कार्यवाही के बाद तेहरान में तैनात ब्रिटेन के राजदूत को विदेश मंत्रालय में तलब करके उनसे बता दिया गया कि ब्रिटेन की हस्तक्षेपपूर्ण कार्यवाही की ईरान कड़ी निंदा करता है।
ब्रिटेन के राजदूत साइमन शेरक्लिफ को इससे पहले 24 सितंबर और उसके बाद 5 अक्तूबर को भी विदेश मंत्रालय बुलवाकर ईरान के आंतरिक मामलों में ब्रिटिश अधिकारियों के हस्तक्षेप से सूचित करवाया गया था। पश्चिम के उकसावे में देश के भीतर बहके हुए लोगों द्वारा आरंभ किये गए उपद्रव में पश्चिमी देश घी डालने का काम कर रहे हैं। अमरीका और ब्रिटेन दोनो ही ईरान के विरुद्ध नए प्रतिबंध लगाकर अपनी हस्तक्षेपूर्ण नीतियों को आगे बढ़ा रहे हैं। इस काम से जहां पर वे अशांति को बढ़ा रहे हैं वहीं पर ईरान की सरकार से विशिष्टता प्राप्त करने के लिए दबाव के हथकण्डे के रूप में प्रयोग कर रहे हैं।
ईरान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप और उसके विरुद्ध षडयंत्र रचने में ब्रिटेन का इतिहास बहुत पुराना रहा है। 2009 में राष्ट्रपति पद के चुनाव से पहले ब्रिटेन में ईरान में अपने राजदूत साइमन गेस को भेजकर इन चुनावों को प्रभावित करने के प्रयास किये थे।
बाद में चुनाव के आयोजन के बाद होने वाली अशांति में ब्रिटेन दूतावास से संबन्धित कुछ तत्वों को ईरान के सुरक्षाबलों ने गिरफ़्तार किया था, साथ ही हस्तक्षेप पूर्ण कार्यवाही के कारण ब्रिटेन के दो कूटनयिकों को ईरान से निष्कासित भी किया गया था। इस बार भी ब्रिटेन की सरकार ने हस्तक्षेपपूर्ण नीति अपनाते हुए ईरान में जारी उपद्रव का समर्थन किया।
इसी के साथ ब्रिटेन ने अपने देश में कूटनयिक स्थलों की सुरक्षा पर कोई विशेष ध्यान नहीं रखा जिसके कारण लंदन में ईरान के दूतावास पर कई बार हमले किये गए। ईरान के विरुद्ध पश्चिम के हालिया फ़ैसलों के बारे में ब्रिटेन के एक राजनीतिक टीकाकार डेविड मिलर लिखते हैं कि सही बात यह है कि वे प्रतिबंधों को बढ़ाना चाहते थे, इसीलिए उन्होंने ईरान में उपद्रव करवाया, दूसरी ओर परमाणु समझौते के विरोधी जो वार्ता प्रक्रिया में विघ्न डालना चाहते थे, वे इस अवसर का दुरूपयोग करते हुए ईरान को अलग-थलग करने के प्रयास में लगे हुए हैं।
इसी संदर्भ में ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनआनी कह चुके हैं कि पश्चिम विशेषक अमरीका की ओर से ईरानी राष्ट्र के विरुद्ध अधिक दबाव बनाने और विशिष्टता हासिल करने के उद्देश्य से नए प्रतिबंधों का हम खुलकर विरोध करते हैं। हम पूरी शक्ति से इनका मुक़ाबला करेंगे और उचित समय पर इसका जवाब दिया जाएगा।
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