मेरा आतंकवाद भी अच्छा तुम्हारी इंसानियत भी बुरी, ईरान में होने वाले आतंकी हमलों पर पश्चिमी देशों की चुप्पी के क्या हैं अर्थ?
हालिया दिनों में ईरान में होने वाले दंगों और आतंकवादी हमलों पर जिस तरह से अमेरिका समेत पश्चिमी देशों का रवैया रहा है उसने इन देशों के असली चेहरों को दुनिया के सामने बेनक़ाब कर दिया है।
प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, इस्लामी गणराज्य ईरान के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी किए गए बयान में ईज़े, इस्फ़हान और मशहद जैसे शहरों में हुई आतंकी घटनाओं की निंदा करते हुए कहा गया है कि निसंदेह ईरान के कुछ शहरों में आतंकवादी घटनाएं हुईं हैं, जिसके बारे में सबको जानकारी भी है। वहीं ईरान में अराजकता और अशांति पैदा करने और दंगों को बढ़ावा देने वाली विदेशी शक्तियों की सोची-समझी चुप्पी से न केवल आतंकवादियों को मनोबल बढ़ रहा है बल्कि इससे दुनिया भर में आतंकवाद को बढ़ावा भी मिलेगा। बता दें कि 16 नवंबर को, दक्षिणी ईरान के खुज़िस्तान प्रांत के ईज़े शहर में मोटरसाइकिल पर सवार दो आतंकवादियों ने आम नागरिकों पर अंधाधुंध गोलियां चला दी थीं, जिसमें एक बच्चे समेत सात लोग शहीद हो गए और दस अन्य घायल हो गए थे। इसी दिन ईरान के इस्फ़हान प्रांत में भी दो मोटरसाइकिल सवारों ने उसी अंदाज़ में गोलियां चलाईं, जिसमें दो सुरक्षाकर्मी शहीद और एक घायल हो गए थे। आतंकवादी तत्वों ने उसी दिन पवित्र नगर मशहद में भी स्वयंसेवी फोर्स के दो जवानों को भी शहीद कर दिया था।
ईरान के विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों और सिद्धांतों के अनुसार, किसी भी समय और किसी भी स्थान पर आतंकवाद की उसके सभी रूपों में निंदा की जाती है। साथ ही यह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों की ज़िम्मेदारी है कि वे ईरान में आतंकवाद के हालिया कृत्यों की निंदा करें और हिंसा और चरमपंथी आंदोलनों के पैरोकारों को किसी भी प्रकार की छूट न दें, जिनका जीवन अशांति, घृणा, तनाव, दंगों से जुड़ा है, क्योंकि यह वही वर्ग है जो आतंकवाद को बढ़ावा देता। इसलिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की यह ज़िम्मेदारी बनती है कि ऐसे लोगों को सुरक्षित ठिकाना न दें। इस बयान में यह बल देकर कहा गया है कि इस्लामी गणराज्य ईरान अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनी मानदंडों के आधार पर और अपने आंतरिक क़ानूनों के अनुसार आतंकवादियों और उनकी समर्थक सरकारों के ख़िलाफ़ सभी क़ानूनी कार्यवाही करने का अधिकार सुरक्षित रखता है। इस बीच जानकारों का भी मानना है कि जिस तरह ईरान को अशांत बनाने और आतंकवादी कार्यवाहियों को अंजाम देने वाले आतंकियों का अमेरिका, ब्रिटेन और कुछ यूरोपीय और अरब देश कर रहे हैं उससे यह साफ-साफ समझा जा सकता है कि इन देशों और शासनों का आतंकवाद से कितना गहरा रिश्ता है। यही आतंकवाद के जन्मदाता है, तभी तो इनको आतंकियों से प्रेम और मानवाता से नफ़रत है। (RZ)
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