ईरान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि अतिग्रहणकारी जायोनी शासन से राष्ट्र नफरत करते हैं।
विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनआनी चाफी ने कहा कि कतर में होने वाला विश्व कप फुटबाल नस्ल भेदी जायोनी शासन से नफरत करने और फिलिस्तीनी राष्ट्र की आकांक्षाओं के समर्थन की प्रदर्शनी में परिवर्तित हो गया है।
उन्होंने कहा कि कुछ अरब सरकारों ने जायोनी शासन से जो संबंध सामान्य बनाया उसका भी अरब राष्ट्रों की नफरत कम करने में कोई प्रभाव नहीं पड़ा। विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्र, अतिग्रहणकारी जायोनी शासन से घृणा करते हैं।
उन्होंने कहा कि विभिन्न देशों विशेषकर अरब देशों के दर्शक कतर में होने वाले विश्व कप फुटबाल मैच में जायोनी पत्रकारों और संचार माध्यमों से बात करने से परहेज़ कर रहे हैं और साथ ही फिलिस्तीनी राष्ट्र की आकांक्षाओं का समर्थन कर रहे हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि जब अरब दर्शकों का सामना इस्राईली पत्रकारों से होता है तो वे कहते हैं कि इस्राईल नाम की कोई जगह है और जायोनियों ने जिस देश का अतिग्रहण कर रखा है उसका नाम फिलिस्तीन है।
ज्ञात रहे कि ट्यूनीशिया, लेबनान यहां तक कि सऊदी अरब के दर्शकों ने भी इस्राईली पत्रकारों से बात नहीं की। ट्यूनीशिया के दर्शकों ने खेल के समय प्लेकार्ड उठा रखा था जिस पर फिलिस्तीन के समर्थन में नारे लिखे हुए थे और जायोनी और पश्चिमी संचार माध्यमों ने इन प्लेकार्डों का भी कवरेज दिया। विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि पश्चिमी देश किस प्रकार स्वंय को मानवाधिकारों का समर्थक बताते हैं।
उन्होंने रासायनिक हथियारों की भेंट चढ़ने वालों की याद में मनाये जाने वाले दिन पर कहा कि पश्चिमी देश विशेषकर जर्मनी किस प्रकार खुद को मानवाधिकारों का रक्षक बताते हैं जबकि उन्होंने अतिक्रमणकारी बासी सरकार को रासायनिक हथियारों से लैस किया और उन्होंने ईरान के सरदश्त शहर और दूसरे क्षेत्रों पर रासायनिक बमबारी की जिसमें न केवल सैनिक बल्कि महिलायें, बच्चे और दूसरे आम लोग भी मारे गये।
ज्ञात रहे कि 28 जून वर्ष 1987 को इराक की बासी सरकार ने ईरान के सीमावर्ती सरदश्त शहर पर रासायनिक बमबार की थी जिसमें 110 आम नागरिक शहीद और 8 हज़ार से अधिक घायल व प्रभावित हुए थे। MM
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