यूरोपीय संसद के जवाब में ईरानी संसद के फ़ैसले ने सबको चौंकाया, अब आएगा ऊंट पहाड़ के नीचे
इस्लामी क्रांति के संरक्षक बल आईआरजीसी के ख़िलाफ़ यूरोपीय संसद की अवैध और शत्रुतापूर्ण कार्यवाही के जवाब में ईरान की संसद ने तीन सूत्री मसौदा तैयार किया है। मजलिसे शूराए इस्लामी के निर्णय से यूरोप समेत अमेरिका में भी हड़कंप मच गया है।
इस्लामी गणराज्य ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान ने इस्लामी क्रांति के संरक्षक बल आईआरजीसी के ख़िलाफ़ यूरोपीय संसद के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया करते हुए संकेत दिया है कि वह परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) से हट जाएंगे। ईरान के विदेश मंत्री ने कहा कि यूरोपीय संघ के अध्यक्ष के बयानों के मुताबिक़ पश्चिमी देश इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए बाध्य नहीं हैं, लेकिन मैं यह साफ़ कर देना चाहता हूं कि अगर यूरोप ने अपना रुख नहीं बदला तो कोई भी जवाब नामुमकिन नहीं है। हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान यूरोपीय संसद के प्रस्ताव को तमाशा क़रार दिया और ईरानी संसद के यूरोपीय बलों को आतंकवादी घोषित करने के विधेयक को एक उचित जवाबी कार्यवाही बताया। ईरान के विदेश मंत्री ने कहा कि क्षेत्र में सैन्य गतिविधियों में बड़े बदलाव हो रहे हैं, जिसका गहरा असर होगा। इस सवाल के जवाब में कि क्या ईरान जवाबी कार्यवाही के तौर पर एनटीपी समझौते से निकल सकता है, विदेश मंत्री हुसैन आमिर अब्दुल्लाहियान ने कहा कि अगर यूरोप समझदारी से काम नहीं लेता है और अपनी स्थिति को सही नहीं करता है, तो सब कुछ संभव है।
अगर ग़ौर किया जाए तो पता चलेगा कि योरोपीय संसद का यह काम अमरीका के नेतृत्व में पश्चिमी ब्लॉक की ओर से ईरान के विरुद्ध किए जा रहे हाईब्रिड युद्ध का ही एक हिस्सा है। जो बाइडन के सत्ताकाल में यूरोपियन, ईरान तथा जेसीपीओए को लेकर मोर्चाबंद हो चुके हैं। ईरान में हालिया उपद्रव के दौरान ईरान की इस्लामी व्यवस्था को कमज़ोर करने के उद्देश्य से जहां उन्होंने अन्य कई कार्यवाहियां कीं वहीं पर आईआरजीसी के विरुद्ध भी षडयंत्र रचा। इसी षडयंत्र के अन्तर्गत ईरान के विरुद्ध कई प्रकार के निराधार आरोप मढ़कर तेहरान के ख़िलाफ़ व्यापक प्रतिबंध लगाए गए और यहां के कई लोगों तथा संगठनों को भी प्रतिबंधित किया गया। इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद से लगातार ईरान को निशाना बना रहे पश्चिमी और अमेरिका को 44 वर्षों में केवल मायूसी ही हाथ लगी है, इसलिए वे ज़्यादा हताश और निराश हैं, यही कारण है कि वे हर उस स्तर तक जाने का प्रयास कर रहे हैं कि जहां वे अपनी हार की खिसियाहट को मिटा सकें, लेकिन हमेशा की तरह इस बार भी उनके हाथ कुछ लगने वाला नहीं है। ईरान की इस्लामी क्रांति के बुनियादें इतनी मज़बूत हैं कि दुश्मन, दुश्मनी करते-करते थक जाएगा, लेकिन ईरानी राष्ट्र के मज़बूत इरादों को हिला भी नहीं पाएगा। इसका मुख्य कारण ईमान की ताक़त और धार्मिक नेतृत्व है। (RZ)
हमारा व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए क्लिक कीजिए
हमारा टेलीग्राम चैनल ज्वाइन कीजिए