पवित्र क़ुरआन का अपमान करने वाले देश के ख़िलाफ़ ईरान ने उठाया अबतक का सबसे कड़ा क़दम!
ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान अपने ताज़ा बयान में बताया है कि राष्ट्रपति के आदेश के अनुसार, जब तक स्वीडन की सरकार इस्लामी पवित्रताओं के लगातार अनादर से निपटने के लिए गंभीर क़दम नहीं उठाती तब तक इस देश के राजदूत को ईरान लौटने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
समाचार एजेंसी तसनीम की रिपोर्ट के मुताबिक़, इस्लामी गणराज्य ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान ने शनिवार को एक बयान जारी करके कहा है कि हमारे देश के विदेश मंत्री होसैन अमीराब्दुल्लाहियन ने कहा कि हमारे देश के प्रिय लोगों ने अपने व्यापक विरोध-प्रदर्शनों से साबित कर दिया है कि वे पवित्र क़ुरआन का अपमान कभी भी बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि शुक्रवार, हमने इस गंभीर मुद्दे को लेकर एक आपात बैठक बुलाई थी, जिसमें हमने पर इस असहनीय घटना पर उचित प्रतिक्रिया की जांच करने के लिए विदेश मामलों के उप मंत्रियों और विदेश मंत्रालय में मेरे सहयोगियों की उपस्थिति विचार-विमर्श किया। हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान ने कहा कि सबसे पहले हम देशवासियों को यह बता देना चाहते हैं कि तेहरान में स्वीडन के वर्तमान राजदूत का कार्यकाल समाप्त हो चुका है, इसलिए राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी के आदेश के अनुसार, जब तक स्वीडिश सरकार पवित्र क़ुरआन की पवित्रता की रक्षा के लिए गंभीर क़दम नहीं उठाती है और उस दोषी व्यक्ति के ख़िलाफ़ कड़ी कार्यवाही नहीं करती है, कि जिसने पवित्र क़ुरआन का अब तक दो बार अपमान किया है, तबतक ईरान, नए स्वीडिश राजदूत को स्वीकार नहीं करेगा और नए ईरानी राजदूत को भी स्वीडन नहीं भेजा जाएगा।
ईरान के विदेश मंत्री ने अपने बयान में कहा है कि पवित्र क़ुरआन का अपमान किए जाने पर कुछ इस्लामी देशों की ओर से अच्छी प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि हम इस्लामी देशों के संपर्क में हैं। 10 दिन पहले ईरान की पहल पर पहली बार मानवाधिकार परिषद में बैठक हुई थी। पहली बार जिनेवा में पवित्र क़ुरआन के अनादर किए जाने के संबंध में निंदा करते हुए एक प्रस्ताव जारी किया गया। हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान ने बताया कि स्वीडन के विदेश मंत्री का फोन आया था और उन्होंने स्वयं इस अपमानजनक कार्य की निंदा करते हुए मुझसे राष्ट्रपति रईसी को स्वीडन की स्थिति से अवगत कराने को कहा है। मैंने उनसे कहा कि आप दो अरब मुसलमानों की भावनाओं को नजरअंदाज़ नहीं कर सकते हैं। मैंने इस बात पर ज़ोर दिया कि स्वीडन के विदेश मंत्रालय का बयान पर्याप्त नहीं है और अपराधी को गिरफ़्तार करके मुक़दमा चलाया जाना चाहिए। (RZ)
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