Oct ०३, २०२३ १६:१२ Asia/Kolkata
  • सुप्रीम लीडर ने दिया इस्लामी एकता पर बल

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने अमरीका और वर्चस्ववादी शक्तियों के हस्तक्षेप से मुक़ाबला करने पर बल दिया है। 

आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने मंगलवार को तेहरान में ईरान के अधिकारियों, इस्लामी देशों के राजदूतों, एकता सम्मेलन में भाग लेने आए विदेशी मेहमानों और समाज के विभिन्न वर्गों से संबन्ध रखने वालों से भेंट की। 

पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा (स) और उनके पौत्र इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस के अवसर पर होने वाली इस मुलाक़ात में वरिष्ठ नेता ने सबको बधाई पेश की। 

उन्होंने कहा कि पूरी मानवता, इन महान हस्तियों के गुणगान करने में असमर्थ दिखाई देती है।  वरिष्ठ नेता का कहना था कि पैग़म्बरे इस्लाम (स) एसे दमकते हुए सूर्य की तरह से जिसकी ऋणी पूरी मानतवा है।  वे एसे कुशल चिकित्सक की भांति थे जिसने मानवता की हर परेशानी और दर्द के उपचार का समाधान पेश कर दिया जिमसें अज्ञानता, निर्धन्ता, अत्याचार, भेदभाव, हवस, बेईमानी, गुमराही, नैतिक भ्रष्टाचार और सामाजिक क्षति जैसे सारे ही मुद्दे शामिल हैं। 

सुप्रीम लीडर से पवित्र क़ुरआन के अपमान के संदर्भ में कहा कि यह, मानवता का निर्माण करने वाली पुस्तक है।  इससे शत्रुता वास्तव में बुद्धि, ज्ञान, जागरूकता और एसी सकारात्मक बातों से दुश्मनी है।  इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने पवित्र क़ुरआन की शिक्षाओं से वर्चस्ववादी शक्तियों के भय को, इस पवित्र पुस्तक के अनादर का मुख्य कारण बताया। 

उन्होंने अपने संबोधन के एक भाग में एकता सप्ताह की ओर संकेत किया।  वरिष्ठ नेता ने इस्लामी देशों के राष्ट्राध्यक्षों, वहां के बुद्धिजीवियों और विद्वानों को संबोधित करते हुए इस विषय की ओर अपना ध्यान केन्द्रित करने का आह्वान करते हुए सवाल किया कि इस्लामी देशों की एकता का दुश्मन कौन है? मुसलमानों की एकता किनके लिए हानिकारक है और यह किनकी लूटपाट एवं हस्तक्षेप में बाधा है? 

आपने यह बात बल देकर कही कि पश्चिमी एशिया और उत्तरी अफ़्रीका में इस्लामी देशों की एकता एवं एकजुटता, अमरीका के हस्तक्षेप और उसके द्वारा की जाने वाली लूटपाट की सबसे बड़ी बाधा होगी।  वर्तमान समय में अमरीका क्षेत्रीय देशों को राजनीतिक एवं आर्थिक दृष्टि से नुक़सान पहुंचा रहा है।  वह सीरिया के तेल की चोरी कर रहा है।  उसने दाइश जैसे ख़ुंख़ार आतंकियों की सुरक्षा अपनी छावनियों में कर रहा है ताकि समय आने पर देशों में हस्तक्षेप करने के लिए उनका फिर से प्रयोग किया जा सके। 

वरिष्ठ नेता कहते हैं कि अगर सब एकजुट हो जाएं और मूलभूत मुद्दों के लिए ईरान, इराक़, सीरिया, लेबनान, सऊदी अरब, मिस्र, जार्डन तथा फ़ार्स की खाड़ी के देश एक ही नीति अपनाएं तो वर्चस्ववादी शक्तियां इन देशों के आंतरिक मामलों एवं विदेश नीतियों में हस्तक्षेप का साहस भी नहीं कर पाएंगी।  आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने इस्लामी जगत में एकता एवं एकजुटता हेतु वहां के नेताओं तथा बुद्धिजीवियों के लिए इस विषय पर सोच-विचार एंव गहन मंथन को अनिवार्य बताया। 

इसी के साथ उन्होंने अवैध ज़ायोनी शासन के अत्याचारों के संदर्भ में कहा कि इस समय यह अवैध शासन, न केवल इस्लामी गणतंत्र ईरान से नाराज़ है बल्कि उसके मन में मिस्र, सीरिया और इराक़ के विरुद्ध भी द्वेष पाया जाता है।  वरिष्ठ नेता ने कहा कि फ़िलिस्तीन का मुद्दा पिछले कुछ दशकों से इस्लामी जगत की ज्वलंत समस्या रहा है। 

इस बारे में उनका कहना था कि इस्लामी गणतंत्र ईरान का यह दृष्टिकोण यह है कि वे देश जिन्होंने ज़ायोनी शासन के साथ अपने संबन्धों को सामान्य करने की नीति अपनाई है वे निश्चित रूप में नुक़सान उठाएंगे क्योंकि इस शासन का अंत होने वाला है।  यह देश अब एक हारे हुए घोड़े पर दांव लगा रहे हैं।

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