Mar १३, २०२४ १४:५१ Asia/Kolkata

अमरीकी राष्ट्रपति ने ईरान के बारे में नैश्नल इमरजेंसी स्टेटस को एक साल के लिए बढ़ा दिया है।

जो बाइडेन ने मंगलवार को ईरान के संदर्भ में राष्ट्रीय आपातकालीन स्थति को फिर एक वर्ष के लिए बढ़ाया है।  इसको 12957 आदेश के अन्तर्गत लागू कर दिया गया।  सन 1995 से लेकर अबतक अमरीका के सारे राष्ट्रपति ईरान के बारे में आदेश संख्या 12957 को बढ़ाते आए हैं।

संयुक्त राज्य अमरीका के भूतपूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने 15 मार्च 1995 को घोषणा की थी कि 12957 आदेश के अन्तर्गत अमरीका के राष्ट्रीय हितों के विरुद्ध ईरान की ओर से उत्पन्न किये जा रहे ख़तरों के कारण इस देश के संबन्ध में राष्ट्रीय आपातकाल स्थति को लागू किया जाता है।  क्लिंटन ने 6 मई 1995 को एक अन्य आदेश जारी करके ईरान के विरुद्ध व्यापक प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। 

इससे पहले अमरीका के एक अन्य भूतपूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने 14 नवंबर 1979 को एक आदेश जारी करके अमरीका के भीतर इस्लामी गणतंत्र ईरान की संपत्तियों को सीज़ करने का हुक्म जारी किया था।  उस वर्ष से लेकर अबतक अमरीका में बनने वाला हर राष्ट्रपति इस आदेश को हर साल बढ़ाने का काम करता आ रहा है।  जो बाइडेन की ओर से ईरान के विरुद्ध नैश्नल इमरजेंसी स्टेटस को एक साल के लिए फिर से लागू करने का काम, ईरानी राष्ट्र के साथ उनकी शत्रुता को दर्शाता है। 

सन 1979 में जब ईरान में इस्लामी क्रांति सफल हुई थी तब से पश्चिमी ब्लाॅक के मुखिया के रूप में अमरीका का रवैया ईरान के बारे में शत्रुतापूर्ण रहा है।  उसने ईरान की लोकतांत्रिक व्यवस्था को गिराने के काम को अपनी कार्यसूचि में सबसे ऊपर रखा है।  पिछले चार दशकों के दौरान अमरीका ने ईरान के विरुद्ध एकपक्षीय रवैया अपनाते हुए शत्रुतापूर्ण कार्यवाहियां जारी रखी हैं जिनमें व्यापक स्तर के प्रतिबंध, सैन्य धमकी और मनोवैज्ञानिक युद्ध आदि सब शामिल हैं। 

इस्लामी गणतंत्र ईरान के विरुद्ध अमरीकी प्रयासों के विफल हो जाने के बावजूद बाइडेन प्रशासन ने विभिन्न बहानों से प्रतिबंधों को बढ़ाया ही है।  अमरीका ने यह सोचते हुए ईरानी राष्ट्र के विरुद्ध कड़े प्रतिबंध लगाए थे कि वह अमरीकी इच्छाओं के सामने नतमस्तक हो जाएगए जो विफल सिद्ध हुआ।  वैसे अमरीका के एक अन्य पूर्व राष्ट्रपति जार्ज बुश ने ईरान को अपने ही कथनानुसार शैतान की धुरी बताते हुए सैन्य हमले की धमकी दी थी।  उनकी यह धमकी भी कारगर साबित नहीं होने पाई। 

बराक ओबामा के काल में भी डराने-धमकाने की नीति को जारी रखते हुए इस बात बारंबार दोहराया जाता रहा कि ईरान के बारे में मेज़ पर सारे ही विकल्प मौजूद हैं।  इन सब बातों के बावजूद ईरान की बढ़ती सैन्य शक्ति के दृष्टिगत किसी ने भी हमले का साहस नहीं किया।  इससे पता चलता है कि ईरान के पास अपने सारे ही शत्रुओं को जवाब देने की पूरी क्षमता पाई जाती है।  एसे में बाइडन की ओर से ईरान के बारे में नैश्नल इमरजेंसी स्टेटस को एक साल के लिए फिर से बढ़ाने का कोई विशेष प्रभाव पड़ने वाला नहीं है।

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