Apr २७, २०२४ १७:३० Asia/Kolkata
  • अमेरिकी सैन्य उद्योगों से जुड़े बिजनेसमैन जंगों को ख़त्म नहीं होने देते! जीत के बदलते मायने

पार्सटुडेः वियतनाम युद्ध के बीच में तत्कालीन अमेरिकी सरकार के प्रवक्ता हेनरी किसिंजर  ने कहा था कि "सेना, अपने पारंपरिक अर्थ में, तभी जीतती है जब वह युद्ध जीतती है। अन्यथा, वह हमेशा हारी हुई है। लेकिन इसके विपरीत, पार्टिज़न (partisan) अर्थात छापेमार या गुरिल्ला तभी हारते हैं जब वे युद्ध छोड़ देते हैं, नहीं तो इसके अलावा वह हमेशा विजयी रहते हैं।

हेनरी किसिंजर द्वारा कहे गए शब्दों का विश्लेषण करने वालों का मानना है कि उनके द्वारा कही गई बातों से वियतनाम कांग्रेस के विरुद्ध अमेरिकी सेना की हताशा की बू आ रही थी और यही उनकी जीत का राज़ बन गया। बेशक, यह देखते हुए कि आज यह अमेरिकी सेना है जो छापामार तरीक़े से काम करती है। अब, वियतनाम युद्ध के दशकों बाद, पेंटागन, जो युद्ध के दौरान "वियतनामी गुरिल्लाओं तक पहुंचने" में विफल रहा था, आख़िरकार एक सरल समाधान लेकर आया है। समाधान यह है कि बहुत चुपचाप, बिना किसी को पता चले, जीत की परिभाषा को बदल दें। जीत की उसी परिभाषा से बदल दें जो गुरिल्ला के पास थी और उनका मानना ​​​​है कि: युद्ध हारना केवल युद्ध छोड़ने से होता है और बहुत हो गया। इस रणनीति के साथ, युद्ध के मैदान के कमांडरों को सेना के विवेक पर असीमित और अंतहीन युद्ध शुरू करने की अनुमति दी गई। साथ ही कांग्रेस के निरीक्षण और प्रतिबंधों से काफ़ी हद तक, उन्हें सुरक्षा प्रदान की गई।

हालाँकि, 2021 में, इतने मज़बूत तंत्र के बावजूद, पेंटागन फिर भी अफ़ग़ानिस्तान में युद्ध हार गया, क्योंकि गुरिल्ला युद्ध में तालेबान अमेरिका से ज़्यादा मज़बूत था। इसलिए पेंटागन को इस युद्ध को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की विनाशकारी पराजयों, वियतनाम, लाओस और कंबोडिया जैसी हार की लंबी सूची में जोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा और साथ ही इसे उन "जीतों" में भी शामिल करना पड़ा कि जिसमें इन्हें कुछ भी हाथ नहीं लगा, जैसे ग्रेनाडा और पनामा। लेकिन इस बीच, लोगों की नज़रों और कांग्रेस की निगरानी से दूर, अनौपचारिक युद्ध और अन्य मनोवैज्ञानिक जंगें जारी रहीं।

उदाहरण के लिए, सीरिया में युद्ध अभी दस साल पुराना हुआ है, इराक़ में अमेरिकी हस्तक्षेप 1990 या 2003 या 2014 से जारी है- अलग-अलग साल लिखने का मक़सद केवल यह है कि हम इसे किस तरह गिनना चाहते हैं- वहीं सोमालिया और अफ़्रीक़ी तट में अमेरिकी संघर्ष दो दशकों से जारी है। लगभग 24 साल पहले, संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपने अन्य नाटो सहयोगियों के साथ मिलकर सर्बिया पर बमबारी करने की परियोजना को अंजाम दिया था, जिसके कारण इस देश को कोसोवो युद्ध में प्रवेश करना पड़ा। आज, संयुक्त राज्य अमेरिका नाटो में कोसोवो शांति सेना के लिए सैनिकों का आपूर्तिकर्ता बना हुआ है।

अमेरिकी सैनिक लगभग 30,000  की संख्या में अभी भी कोरियाई प्रायद्वीप पर तैनात हैं, क्योंकि इस देश में 1953 के युद्ध में जो अस्थायी शांति रुकी थी, उसके परिणामस्वरूप कभी शांति संधि नहीं हुई। यहां तक ​​कि 2021 में अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिका की हार भी कहानी का अंत नहीं थी क्योंकि 2022 में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा अल-क़ायदा के नेता अयमान अल-ज़वाहिरी और उनके सहयोगियों पर अमेरिकी ड्रोन हमले के साथ युद्ध और हत्या का सिलसिला अभी भी जारी है। इस बात की पूरी संभावना है कि पेंटागन युद्ध के मैदान में गुरिल्ला युद्ध करने वालों के सामने टिकने में सक्षम नहीं हो सकता है, लेकिन यह न ख़त्म होने वाली युद्ध शैली-जो वाशिंगटन और अन्य जगहों पर हो रही है- संघर्ष की आग को धीमी और स्थिर बनाए रखती है, और फिर भी पेंटागन का सैन्य बजट न केवल कम नहीं हुआ है बल्कि इसमें अधिक बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। यह ट्रिक बहुत ही अद्भुत है। इसलिए, इन युद्धों में अमेरिकी हार, उन ग़ैर सैन्य अधिकारियों, जनरलों, उद्योगों के मालिकों, उनके भागीदारों और इस उद्योग से जुड़े अन्य लोगों के लिए विशेष जीत रही है। (RZ)

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