May ०९, २०२४ १६:०७ Asia/Kolkata
  • होलोकॉस्ट, इस्राईली अपराधों पर वाइट हाउस के समर्थन के ख़िलाफ अमेरिका की चुप्पी का ख़तरा
    होलोकॉस्ट, इस्राईली अपराधों पर वाइट हाउस के समर्थन के ख़िलाफ अमेरिका की चुप्पी का ख़तरा

पार्सटूडे - इतिहास हमें सिखाता है कि होलोकॉस्ट इसीलिए होता है क्योंकि लोग आदेशों का पालन करते हैं और जानबूझकर उस बड़ी बुराई के बारे में अंधकार का शिकार रहते हैं जिसमें उसका योगदान होता है।

चैपल हिल शहर में नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के प्रोफ़ेसर माइकल श्वाबे लिखते हैं: 

इस्राईल के अपराधों के खिलाफ़ प्रदर्शन करने वालों से निपटने की जारी प्रक्रिया से अमेरिकी, एक राष्ट्र के रूप में मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों के अपराधियों बनने की राह पर लग सकते हैं।

प्रोफेसर द्वारा लिखे गये नोट में इस तरह आया है:

35  हज़ार फ़िलिस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें अधिकतर बच्चे और नागरिक हैं। ग़ज़ा में सभी विश्वविद्यालयों को नष्ट करने और अस्पतालों पर बमबारी के बाद जबकि ग़ज़ा में दस लाख से अधिक लोग जबरन भुखमरी और मौत का सामना कर रहे हैं, ग़ज़ा में किए जा रहे अपराधों का विरोध करने वाले छात्रों को अमेरिका में गिरफ्तार किया जा रहा है।

छात्रों ने कैंप लगाया और इस बारे में बातचीत की मांग की कि उनका विश्वविद्यालय नरसंहार में कैसे शामिल हो सकता है।

विद्यालय परिसर से प्रदर्शनकारियों को जबरन निकालने और गिरफ्तार किए जाने से, उन दूसरे इंसानों तक स्पष्ट संदेश पहुंच जाता है जो हमदर्दी का एहसास करते हैं, चुप रहो, चीज़ों को वैसे ही स्वीकार करो जैसे वे हैं, गाइड लाइन से बाहर मत जाओ, नहीं तो तुम्हें भी नुक़सान पहुंचेगा।

हम जानते हैं कि हर एक गिरफ्तार करने की ज़रूरत नहीं है।

अधिकांश लोग गिरफ्तारी और उसके संभावित नतीजों से डरते हैं और इसलिए उनके विरोध की संभावना कम होती है, यहां तक ​​कि बोलने की संभावना भी कम होती है, इस तरह से वे इस महत्वपूर्ण सवाल से बचते हैं कि क्या विश्वविद्यालय, जो ज़ाहिरी तौर पर समाज के मानवीय मूल्यों के संस्थागत संरक्षक हैं, हिंसा में कैसे शामिल हो सकते हैं।

'फ्रीडम ऑफ स्पीच' और विरोध प्रदर्शनों के हिंसक दमन के बीच विरोधाभास के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधकों को ऐसे औचित्य की पेशकश करने की आवश्यकता होती है जिसके बुद्धि और साक्ष्य दोनों ही साक्षी हों और उसका विरोध करते हों।

उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय के प्रबंधकों ने एक बयान में दावा किया कि उन्हें पुलिस भेजने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि प्रदर्शनकारी विश्वविद्यालय के संचालन में बाधाएं पैदा कर रहे थे, छात्रों को डरा रहे थे और तोड़फोड़ कर रहे थे। इस दावे का प्रत्यक्षदर्शियों, गवाहों और पत्रकारों ने खंडन किया है।

एक स्थानीय टीवी न्यूज एंकर ने कहा कि हम पांच दिनों से यह विरोध प्रदर्शन देख रहे हैं और यह पहली बार है जब हमने हिंसा देखी है। दूसरे चैनल्स के अन्य एंकरों ने भी विरोध प्रदर्शनों के बारे में इसी तरह की टिप्पणियां की हैं।

उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने भी अपने बयान में दावा किया कि वे विरोध प्रदर्शनों से जुड़े "यहूदी विरोधी भाषण की बढ़ती रिपोर्टों" पर चिंतित थे जो फ़िलिस्तीनी जनता पर इस्राईल के अत्याचारों के आलोचकों को बदनाम करने के लिए लंबे समय से इस्तेमाल की जाने वाले एक अहम प्रोपेगैंडे रणनीति का उपयोग कर रहे थे।

जैसा कि पत्रकारों और अन्य लोगों ने दस्तावेज़ पेश किए और यह दावा कि अमेरिकी यूनिवर्सिटियों में यहूदी-विरोधी भावनाएं फैली हुई हैं, सामान्य तौर पर इस्राईल के यहूदी-विरोधी व्यवहारों की आलोचना को यहूदी विरोधी भावनाओं का नाम दिया जाता है।

इस बात में कोई शक नहीं है कि कभी-कभी इस्राईली अधिकारी असावधानी बरतते हुए सार्वजनिक रूप से स्वीकार करते हैं कि यह विरोध प्रदर्शन से निपटने की एक चाल है।

एक अन्य स्ट्राटैजी शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों को दंगों में बदलने के लिए पुलिस का उपयोग करना है और उसके बाद दावा करना कि शांति व्यवस्था बहाल करने के लिए पुलिस की हिंसा ज़रूरी है।

जिन लोगों ने घटनाओं को नज़दीक से नहीं देखा, वे यह सोचकर गुमराह हो सकते हैं कि पुलिस की बर्बरता की शुरुआत प्रदर्शनकारियों की तरफ़ से हुई थी।

इतिहास हमें सिखाता है कि होलोकॉस्ट इसीलिए होता है क्योंकि लोग आदेशों का पालन करते हैं और जानबूझकर उस बड़ी बुराई के बारे में अंधकार का शिकार रहते हैं जिसमें उसका योगदान होता है। यह जनता और शासकों के बीच ख़तरनाक बात है जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में बाधाएं पैदा कर सकती है।

छात्र विरोध प्रदर्शन और नरसंहार विरोधी एकजुटता रैलियां, इसी को तोड़ने की कोशिश कर रही हैं।

अंत में हम कह सकते हैं कि इस्राईल के अपराधों के खिलाफ़ प्रदर्शन करने वालों से निपटने की जारी प्रक्रिया से अमेरिकी, एक राष्ट्र के रूप में मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों के अपराधियों बनने की राह पर लग सकते हैं, मेरा मतलब नाजी जर्मनी में हिटलर के लोकप्रिय समर्थकों जैसा ही कुछ है।

स्रोत:

SCHWALBE, MICHAEL. 2024. University Leaders Are Teaching Us How Holocausts Happen. ACADEME BLOG.

कीवर्ड्स: होलोकॉस्ट क्या है, इस्राईल के लिए अमेरिकी समर्थन, ग़ज़ा युद्ध, फ़िलिस्तीन में शिशुओं की हत्या, अमेरिकी विश्वविद्यालयों में क्या हो रहा है? (AK)

 

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