पश्चिमी एशिया के तेल के स्रोतों पर नियंत्रण करना ही अमरीका और उसके घटकों का लक्ष्य है
विश्व वर्चस्ववाद को लेकर हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन हमीद शहरयारी की प्रतिक्रिया
इस्लामी पंथों को निकट करने वाले वर्ड फोरम के सेक्रेट्री जनरल कहते हैं कि अमरीका और उसके घटकों का लक्ष्य, पश्चिमी एशिया के तेल के स्रोतों पर नियंत्रण करना है।
पार्सटुडे-रूस में होने वाली कांफ्रेंस में इस्लामी पंथों को निकट करने वाले वर्ड फोरम के सेक्रेट्री जनरल ने कहा कि यह संगठन, उस नए वर्ड आडर के लिए सार्थक भूमिका निभाने के लिए तैयार है जिसमें बहुलवाद शामिल हो।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन हमीद शहरयारी ने "न्यायसंगत और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था तथा सुरक्षित विकास" शीर्षक के अन्तर्गत आयोजित कांफ्रेंस में कहा कि इस कांफ़्रेंस का उद्देश्य, तेज़ी से बदलती विश्व की राजनीतिक स्थति के बीच इस्लामी देशों तथा रुसी फेड्रेशन के बीच सहयोग करना और पूरी दुनिया के लिए वर्तमान समय में अवसरों और चुनौतियों की समीक्षा करना है।
उन्होंने कहा कि अमरीका और उसके घटकों के अवैध हितों को हासिल करवाने के उद्देश्य से वैश्विक साम्राज्यवाद की इच्छा को थोपने की वजह से विश्व दो महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है। एक ग़ज़्ज़ा में जारी जातीय सफाया और दूसरे यूक्रेन युद्ध। इन दोनो समस्याओं ने दर्शा दिया कि नेटो के नेतृत्व में विश्व वर्चस्ववाद, अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हर माध्यम का सहारा ले सकता है। लोगों की जान उसकी नज़र में कोई अहमियत नहीं रखती।
शहरयारी ने स्पष्ट किया कि पश्चिमी एशिया और यूरोप में अपने हितों को साधने के लिए अमरीका और उसके घटकों ने कई युद्ध छेड़े। वे यूक्रेन युद्ध आरंभ करवाकर रूस की गैस को यूरोप जाने में रुकावट बने हुए हैं। इसी के साथ अवैध ज़ायोनी शासन का समर्थन करके पश्चिमी एशिया में अपने लक्ष्य हासिल करने की कोशिशों में लगे हुए हैं।
इस्लामी पंथों को निकट करने वाले वर्ड फोरम के सेक्रेट्री जनरल के अनुसार वे मध्यपूर्व में ऊर्जा के स्रोतों पर नियंत्रण के साथ अपने लक्ष्य हासिल करना चाहते हैं जिसकी योजना दूसरे महायुद्ध में बना ली गई थी। इस नए वर्ड आडर के अन्तर्गत दुनियाभर में न्याय चाहने वाले एकजुट हो गए हैं और वे अत्याचारों का विरोध करते हुए सामूहिक हत्याओं तथा युद्धोन्माद की निंद कर रहे हैं।
शहरयारी ने बल देकर कहा कि यह एक इंसानी बेदारी है जो दुनिया के अत्याचारग्रस्त लोगों की ओर से है। वे मानवीय मूल्यों का अनुसरण करते हैं और उन पूंजीपतियों से विरक्त हैं जिनकी आबादी दुनिया की आबादी का मात्र एक प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि इस्लाम जैसे पवित्र धर्म ने पूरी दुनिया के अत्याचारग्रस्तों का समर्थन करके सिद्ध कर दिया कि उसके भीतर यह क्षमता पाई जाती है कि वह सारे ही अत्याचारग्रस्तों की हिफ़ाज़त करने में सक्षम हैं।
फ़िलिस्तीन के परिवर्तनों के बारे में शहरयारी ने कहा कि अलअक़सा तूफ़ान आप्रेशन वास्तव में ज़ायोनियों के वर्षों के अन्याय, परिवेष्टन, जनसंहार और अत्याचारों पर अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों के मौन का ही नतीजा है।
उन्होंने कहा कि ग़ज़्ज़ावासी पिछले सात महीनों से ज़ायोनियों के पाश्विक हमलों का मुक़ाबला कर रहे हैं। इस दौरान 40000 से अधिक फ़िलिस्तीनी, या तो मार दिये गए या फिर उनका पता नहीं है। 80000 से अधिक बच्चे, बूढ़े, महिलाएं और जवान घायल हैं। ग़ज़्ज़ा में बमबारी के कारण बीस लाख लोग बेघर हो गए हैं।
इस्लामी पंथों को निकट करने वाले वर्ड फोरम के सेक्रेट्री जनरल के अनुसार अमरीका के नेतृत्व में कुछ पश्चिमी देशों ने अवैध ज़ायोनी शासन के समर्थन में अपना तन-मन-धन सबकुछ लगा रखा है। वे इस्राईल को विघटन से रोकने के लिए व्यापक स्तर पर पैसा और हथियार दोनों प्रयोग कर रहे हैं। उनका मानना है कि क्षेत्र में अवैध ज़ायोनी शासनकी उपस्थति में ही क्षेत्र में उनके हित सुरक्षित रह पाएंगे। जो कुछ छिपा हुआ था वह सामने आ चुका है। विश्व साम्राज्यवाद की महत्वाकांक्षाएं अधिक से अधिक उजागर हुईं और साथ ही आज़ादी और मानवाधिकारों के समर्थन के नारों की भी पोल खुल गई।
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