बच्चों के लिए बेहतरीन मिरास, अदब व शिष्टाचार के संबंध में पैग़म्बरे इस्लाम के ख़ानदान से 6 हदीसें
पार्सटुडे- इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं" बाअदब इंसान का चुप रहना अल्लाह की बारगाह में नादान इंसान की तस्बीह से बेहतर है।
इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं" अदब के संबंध में मेरे पिता ने हमसे तीन चीज़ों की सिफ़ारिश की और फ़रमाया है कि जो भी बुरे दोस्त की संगत में रहेगा वह सुरक्षित नहीं रह सकता और जो भी अपनी कथनी व ज़बान से सावधान नहीं रहेगा वह पछतायेगा और जो बुरी जगह आवाजाही करेगा उस पर आरोप लगाया जायेगा।
अदब की जो परिभाषा की गयी है उसके परिप्रेक्ष्य में कुछ लोगों ने अदब को अख़लाक़ बताया है और उसे हुस्ने अख़लाक़ कहा है जबकि इस शब्द में ग़ौर करने से हम इस नतीजे पर पहुंचते हैं कि अदब और अख़लाक़ में अंतर है। इस संबंध में शैख़ तबरसी ने अख़लाक़ और अदब में कुछ अंतरों की ओर संकेत किया है। वह कहते हैं
1.अख़लाक़ इंसान की आत्मा से संबंधित मामलों के बारे में बहस करता है मगर अदब इंसान के शरीर के अंगों से संबंधित है।
2. अख़लाक़ी मामले हमेशा रहते हैं और उसमें परिवर्तन नहीं होता है मगर अदब में परिवर्तन होता रहता है।
3. अख़लाक़ी मामले स्थिर होते हैं यानी जगह बदलने से वह परिवर्तित नहीं होते हैं, हर शहर और देश में एक जैसे होते हैं किन्तु अदब व शिष्टाचार शहरों और नगरों में बदलता रहता है और एक क्षेत्र का अदब उसी क्षेत्र से विशेष होता है।
- अदब क्या है
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम से पूछा गया कि अदब क्या है? इसके जवाब में इमाम ने फ़रमायाः अदब यह है कि जब तुम अपने घर से बाहर जाते हो तो तुम किसी से भी मुलाक़ात नहीं करते गगर यह कि तुम उसे ख़ुद से बेहतर समझो।
2. पैग़म्बरे इस्लाम के पवित्र परिजनों के निकट पसंद
इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं हम अपने चाहने वालों में से उसे अधिक दोस्त रखते हैं जो बुद्धिमान, समझदार ,सहनशील, सुशील व सभ्य, नम्र स्वभाव वाला, धैर्यवान और सच बोलने वाला हो।
3. अदब, हसब- नसब से बेहतर व बुलंद है
हज़रत अली अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं अदब इंसान को हसब- नसब से बेनियाज़ कर देता है (यानी ख़ुद शराफ़त की वजह है)
4. संतान के लिए बेहतरीन वरासत
इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं" बेहतरीन चीज़ अदब है न कि माल जिसे बाप अपनी संतान के लिए छोड़ते हैं क्योंकि माल ख़त्म हो जाता है और अदब बाक़ी रह जाता है।
5. बाअदब व सभ्य इंसान असभ्य इबादत करने वाले से बेहतर होता है। इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं कि बाअदब इंसान का मौन अल्लाह की बारगाह में नादान व नासमझ की तस्बीह से बेहतर है।
6. इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं कि अदब में तुम्हारे लिए बस यही काफ़ी है कि जो चीज़ अपने लिए पसंद नहीं करते हो उसे दूसरों के लिए भी पसंद न करो। MM
कीवर्ड्सः अदब क्या है? अदब का महत्व, अख़लाक़ क्या है? पैग़म्बरे इस्लाम के परिजन कौन हैं? किस तरह हम बाअदब रहें?