अपनी बुद्धि को किस मापदंड पर तौलें? इमाम रज़ा अलै. के बयान की रोशनी में परिपूर्ण बुद्धि की 10 अलामतें 
(last modified 2024-10-15T11:52:55+00:00 )
Oct १५, २०२४ १७:२२ Asia/Kolkata
  •  अपनी बुद्धि को किस मापदंड पर तौलें? इमाम रज़ा अलै. के बयान की रोशनी में परिपूर्ण बुद्धि की 10 अलामतें 

पार्सटुडे- पवित्र क़ुरआन के अनुसार, पैग़म्बरे इस्लाम और अहलेबैत अलै. की रिवायतों के अनुसार बुद्धि उपासना और कल्याण का माध्यम व कारण है।

आपने शायद अब तक स्वयं से यह सवाल किया होगा कि बुद्धिमान इंसान की अलामत क्या है? और उसकी क्या विशेषतायें हैं?

 

आज की आधुनिक दुनिया ने बुद्धि की नई परिभाषा पेश की है। आज की दुनिया में उस इंसान को बुद्धिमान कहा जाता है जो पढ़ाई- लिखाई, शक्ति और धन- दौलत हासिल करने में कामयाब हो। ये सारी विशेषतायें अपनी जगह पर सही और मूल्यवान हैं परंतु इन्हें इतना महत्व दे देना सही नहीं है कि वे इंसानी नैतिकता की सीमा को भी पार कर जायें और दुनियावी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मानवीय मूल्यों की सीमा को लांघ जायें।

 

इस बात पर हम धार्मिक और इस्लामी रिवायतों की रोशनी में प्रकाश डालेंगे।

इस्लामी और धार्मिक दृष्टि से बुद्धि वह चीज़ है जो इंसान को बुराइयों और बुरे कार्यों से रोकती और उसे अच्छाइयों की ओर आमंत्रित करती है। इस प्रकार परिपूर्ण बुद्धि को इस रास्ते से भी पहचाना जायेगा। जो चीज़  इंसान को ज़्यादा भलाइयों की ओर आमंत्रित करती है और बुराइयों से रोकती है वह बुद्धि होती है।

पैग़म्बरे इस्लाम के पौत्र इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम परिपूर्ण बुद्धि की 10 अलामतें बयान करते हैं।

इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं

मुसलमान इंसान की बद्धि परिपूर्ण नहीं होगी मगर जब तक उसमें 10 विशेषतायें न हों।

  1.  उससे भलाई की उम्मीद रहती है। (यानी दूसरे लोग उससे भलाई की उम्मीद रखते हैं)
  2.  दूसरे उसकी बुराई से महफ़ूज़ रहते हैं। (यानी वह किसी को कष्ट नहीं पहुंचाता है)
  3.  दूसरों के थोड़े से नेक काम को बड़ा व बहुत समझता है।
  4.  अपनी बहुत अधिक भलाई को कम समझता है।
  5.  उससे जितना भी मांगा जाये उसका दिल छोटा नहीं होता है।
  6.  अपनी उम्र में ज्ञान हासिल करने से थकता नहीं है।
  7.  फ़साद और बुराई के साथ अमीरी से अल्लाह की राह में निर्धनता उसके लिए अधिक प्रिय होती है।
  8.  अल्लाह के दुश्मनों के साथ बैठने से उसे जो इज़्ज़त मिलती है उस इज़्ज़त से अल्लाह की राह में अपमान को पसंद करता है।
  9.  मशहूर होने से अधिक मशहूर न होने और अनाम रहने को पसंद करता है।
  10. किसी को नहीं देखता मगर यह कहता है कि वह मुझसे बेहतर और परहेज़गार है।

 

इस आधार पर धर्म की दृष्टि में बुद्धि इबादत करने और अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने का माध्यम है और बुद्धिमान इंसान को इबादत करने वाला समझा जाता है और वह उस मार्ग में चलता है जो उसे स्वर्ग तक पहुंचाता है। mm

 

कीवर्ड्सः इस्लाम धर्म में बुद्धि, इमाम रज़ा अलै., इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की नज़र में बुद्धिमान इंसान की विशेषतायें

 

 

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