Apr ०६, २०२४ १२:०८ Asia/Kolkata
  • जुमे का दिन, ज़ायोनी शासन के ख़िलाफ़ आज़ाद देशों के रोष का दिन/ सुप्रीम लीडर के भाषण के कुछ अंश

बुधवार को ईरान की तीनों पालिकाओं के प्रमुखों और अधिकारियों के साथ मुलाक़ात में इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस साल का विश्व क़ुद्स दिवस, इंशाल्ला ईरानी राष्ट्र और आज़ाद क़ामों एवं मुसलमान राष्ट्रों की उपस्थति से अवैध ज़ायोनी शासन के ख़िलाफ़ एक अन्तर्राष्ट्रीय रोष में परिवर्तित होगा।

उन्होंने कहा कि ग़ज़्ज़ा जैसा महत्वपूर्ण मुद्दा विश्व जनमत की प्राथमिकता से बाहर नहीं होना चाहिए। ग़ज़ा में फ़िलिस्तीनियों का जातीय सफ़ाया, बच्चों और महिलाओं पर अत्याचार और अस्पतालों पर ज़ायोनी शासन के हमलों को वरिष्ठ नेता ने इतिहास में अभूतपूर्व क़रार दिया और कहाः  

अत्याचार की यह हद है कि पश्चिमी, यूरोपीय और अमरीकी संस्कृति में पले-बढ़े लोग भी चीख़ पड़े हैं।  

6 मीहने के युद्ध का ख़ुलासा करते हुए वरिष्ठ नेता ने कहा कि ज़ायोनी शासन दो आयामों से यह युद्ध हार चुका हैः

उनकी पहली हार 7 अक्तूबर को अल-अक़सा स्टॉर्म के रूप में थी। ख़ुफ़िया जानकारी और सैन्य वर्चस्व का दावा करने वाले शासन को एक प्रतिरोधी संगठन के हाथों भारी पराजय का सामना करना पड़ा, जिसके पास सीमित संसाधन हैं। ज़ायोनी शासन के माथे से पराजय और अपमान का यह दाग़ कभी नहीं धुलेगा।

ज़ायोनी शासन की दूसरी हार ग़ज़ा पर हमले के घोषित लक्ष्यों को हासिल नहीं कर पाना है।

इस समस्त समर्थन के बावजूद, ज़ायोनी अपना एक भी घोषित लक्ष्य हासिल नहीं कर सके।

वरिष्ठ नेता का कहना थाः

वे चाहते थे कि प्रतिरोध और विशेषकर हमास को मिटा दें, जबकि समस्याओं का सामना करने के बावजूद आज हमास और इस्लामी जेहाद और ग़ज़ा का पूरा प्रतिरोध, अवैध ज़ायोनी शासन को चोट पहुंचा रहा है।

उन्होंने प्रतिरोध सेनानियों के सामने ज़ायोनियों की असहायता के परिणामस्वरूप निर्दोष महिलाओं और बच्चों की हत्याओं और उनपर अत्याचार के संदर्भ में कहाः

ज़ायोनियों की विफलता निश्चित रूप से जारी रहेगी और सीरिया में किए गए हताशा भरे उनके प्रयास, जिसके लिए उन्हें निश्चित रूप से थप्पड़ खाना पड़ेगा, उनकी समस्याओं का समाधान नहीं कर सकेंगे।

इमाम ख़मेनई ने इस बात पर ज़ोर देते हुए कि ज़ायोनी जिस जाल में फंस गए हैं, उससे उनका निकलना संभव नहीं है, कहा: ज़ायोनी शासन दिन-ब-दिन कमज़ोर, पतन और विनाश के क़रीब होता जाएगा, और हमें उम्मीद है कि हमारे युवा वह दिन देखेंगे, जब पवित्र क़ुद्स मुसलमानों के निंयत्रण में होगा और वे वहां नमाज़ अदा करेंगे, और इस्लामी दुनिया अवैध ज़ायोनी शासन के विनाश का जश्न मनाएगी।

इस्लामिक गणतंत्र व्यवस्था की स्थापना को इस्लामी जगत के लिए एक महान अवसर बताते हुए उन्होंने कहा:

अल-अक़सा स्टॉर्म के बाद, क्षेत्रीय समीकरण और प्रतिरोधी मोर्चे और उसके विपरीत मोर्चे की स्थिति बदल गई है और भविष्य में और भी अधिक बदल जाएगी। इस्लाम, प्रतिरोध और इस्लामी गणतंत्र ईरान के दुश्मनों को इन परिवर्तनों के सामने झुकने के साथ ही यह जान लेना चाहिए कि वे इस क्षेत्र में इस्लामी समाज पर शासन नहीं कर सकते।

लोगों के कल्याण के लिए काम करने और देश की प्रगति के लिए प्रयास करने को ईश्वर की सेवा बताते हुए वरिष्ठ नेता ने कहाः लोगों की समस्याओं के समाधान का प्रयास करने का अर्थ है एक दिव्य इरादा रखना, और ईश्वर निश्चित रूप से इस प्रयास को पुरस्कृत करता है। msm

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