ज़मीन का एक टुकड़ा, ईरानी पॉप सिंगर ने बताया क्यों ज़रूरी है मानवाधिकार+ आडियो
पार्स टूडे- ईरानी पॉप सिंगर मोहम्मद इस्फ़हानी का एक प्रसिद्ध गीत सामने आया है जिसका शीर्षक "ए पीस ऑफ़ अर्थ" है जिसमें हज़रत आदम के स्वर्ग से निकलने, मानवाधिकारों के महत्व, पाखंडी व इबादत और स्वतंत्र जीवन जैसे विषयों पर रोशनी डाली गई है।
इस गीत में गायक शैतान द्वारा धोखा देकर लोगों का हक़ खाने के कारण जन्नत से निकाले जाने के बाद हज़रत आदम के कठिन दौर की तुलना करता है जिसे इस्लामी साहित्य में "हक़क़ुन्नास" कहा जाता है, और सज़ा बहुत है जन्नत से आये हज़रत आदम से भी अधिक कठोर ने खाने का अधिकार प्रदान किया है।
इस गीत में दिखावटी इबादत का भी ज़िक्र किया गया है और इसकी तुलना बिज़नेस से की गई है।
इस गीत में गायक ने स्वतंत्रता और स्वतंत्र रूप से जीने और दुनिया में धोखेबाज़ों से धोखा न खाने के महत्व पर भी रोशनी डाली गयी की है और साथ ही इस बात को याद दिलाया है कि अंत में, सभी मनुष्य क़यामत के दिन अल्लाह के सामने हाज़िर होंगे इसलिए सावधान और होशियार रहें।
गाने के बोल इस प्रकार हैं:
जिस दिन से आदम ने गेहूँ खाया उसी दिन से उनके हाथ से स्वर्ग छिन गया...
देखिये उस व्यक्ति के साथ क्या होता है जिसने लोगों के अधिकारों को ग़सब किया और उनका हक़ खा लिया!
जो इस दुनिया में हमारा हक़ बर्बाद कर रहे हैं!
वे जो भी हों, एक दिन अपने किए पर भुगतेंगे...
ख़ौफ़ की वजह से इबादत करना उन लोगों के लिए नहीं है जो इबादत से प्यार करते हैं।
इबादत बिज़नेस का एक तरीका नहीं है!
आज़ादी के चरम पर मौत, प्यार का आख़िरी हद है...
कभी किसी बिंदु पर, सभी धर्मों को यह स्वतंत्रता मिलेगी...
ख़ाली दस्तरख़ान पर इच्छाओं का अंबार लगाओ!
यह समझ लो कि लोग जिंदगी भर आपको गेहूँ दिखाएंगे...
उन्हें फिर से हमारे लिए उसी योजना के साथ खेलने दीजिए।
ईश्वर उन्हें कभी माफ़ नहीं करते जिन्होंने दूसरों का हक़ मारा है!
जो किसी भी तरह से आपकी रोजी-रोटी पर लात मार देते हैं
मुझे लगता है कि वे भूल गए कि हर एक को किसी न किसी दिन मरना है...
दुनिया छोटी है, इस दर्द में हम सब शामिल हैं!
एक दिन हर कोई समझ जाएगा कि हमने कैसे ज़िंदगी गुज़ारी थी...
मुख्य शब्द: ईरानी पॉप सिंग, मानवाधिकार, स्वर्ग, नर्क, मानवाधिकार
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