May १०, २०२४ १९:२५ Asia/Kolkata
  • ईश्वरीय धर्म/ मर्दाना और ज़नाना लिंग पैदा करने के पीछे हिकमत पर एक नज़र
    ईश्वरीय धर्म/ मर्दाना और ज़नाना लिंग पैदा करने के पीछे हिकमत पर एक नज़र

पार्सटुडे- महान ईश्वर ने इरादा किया है कि अगर इंसान परिपूर्णता का मार्ग सही ढंग से तय करें तो वे अस्माये एलाही अर्थात ईश्वरीय नामों का मज़हर बन सकते हैं परंतु मर्दों में इस बात के लिए अधिक तत्परता पायी जाती है कि अल्लाह की सिफ़ाते जलाल उनके अस्तित्व से ज़ाहिर हो और महिलाओं के अंदर इस बात की अधिक तत्परता पायी जाती है कि अल्लाह की सिफ़ाते जमाल उनके अस्तित्व से ज़ाहिर हो।

नीचे का जो टैक्स्ट है वह ईरान के महान शिया दर्शनशास्त्री दिवंगत आयतुल्लाह मिसबाह यज़्दी के भाषण का एक भाग है। इसमें इस बात की ओर संकेत किया गया है कि लिंग पैदा करने यानी औरत और मर्द पैदा करने के पीछे क्या रहस्य है। इसी प्रकार इस टैक्स्ट में महिलाओं और मर्दों के अंदर अंतर को बयान किया गया है।

 

इंसान ईश्वर के नामों और उसकी विशेषताओं का मज़हर है।

जैसाकि हम जानते हैं कि इंसान महान ईश्वर की बड़ी आयतों व निशानियों में से एक निशानी है। रहस्यवादियों की परिभाषा में इंसान मज़हरे अस्मा व सिफ़ाते एलाही है।

परिपूर्ण इंसान वह इंसान है जिसके अंदर समस्त अस्मा और सिफ़ाते एलाही ज़ाहिर हों जिस तरह से पैग़म्बरे इस्लाम और अहलेबैत के अंदर। अलबत्ता इस बात को ध्यान में रखना चाहिये कि अस्माये एलाही तक पहुंचने और उसका सामिप्य हासिल करने में मर्द और औरत में कोई अंतर नहीं है। औरतें उस उच्चतम मक़ाम को हासिल कर सकती हैं और उस तक पहुंच सकती हैं जिन्हें मर्दों ने हासिल किया है और उस तक पहुंचे हैं। जिस तरह पैग़म्बरे इस्लाम की प्राणप्रिय सुपुत्री हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा ने हासिल किया और उस तक पहुंचीं।

 

मर्द और औरत के अंदर सिफ़ाते एलाही के असर का ज़ाहिर होना

हज़रत अली और हज़रत फ़ातेमा ज़हरा अहलेबैत में से हैं और दोनों हस्तियों के मासूम होने की ओर पवित्र क़ुरआन ने इशारा किया है और महान ईश्वर का सामिप्य हासिल करने की दृष्टि से दोनों लगभग एक मक़ाम व दर्जे पर थे परंतु जिन्सियत व लिंग की दृष्टि से दोनों में अंतर था और इस अंतर का मज़हरे अस्माये एलाही के ज़ाहिर होने में प्रभाव है।

हज़रत अली अलैहिस्सलाम पैग़म्बरे इस्लाम के उत्तराधिकारी और अहलेबैत में से एक महान हस्ती हैं और इस बात की ओर पवित्र क़ुरआन ने बारमबार इशारा भी किया है। वह दयालुता, बहादुरी, इरादे की शक्ति और दृढ़ता आदि में अस्माये एलाही के मज़हर थे।

हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा भी अहलेबैत में से एक हैं और उनकी महान हस्ती की ओर भी पवित्र क़ुरआन में संकेत किया गया है। वह दयालुता, दूसरों की हितैषी व शुभचिंतक होने, इबादत करने और इस जैसी विशेषताओं में अपनी मिसाल आप थीं।

वास्तव में हम दो परिपूर्ण हस्तियों को देखते हैं जिनमें से हर एक महान ईश्वर की कुछ विशेषताओं का अधिक मज़हर व प्रतीक है।

 

एलाही जलाल व जमाल की विशेषतायें

मूलरूप से महान ईश्वर की विशेषतायें व सिफ़तें दो प्रकार की हैं। कुछ सिफ़तों व विशेषताओं का अर्थ शक्ति और महानता जैसे अर्थ हैं। अल्लाह की कुछ सिफ़तों व विशेषताओं का नाम सिफ़ाते जलाल है यानी वे विशेषतायें जो अल्लाह की महानता पर दलालत करती हैं।

अल्लाह की कुछ दूसरी विशेषतायें हैं जो जमाल पर दलालत करती हैं जैसे खुद जमाल, नूर, रहीम व रहमान। इस प्रकार की सिफ़तों को सिफ़ाते जमाल कहा जाता है।

 

मर्द और औरत अल्लाह की सिफ़ाते जलाल और जमाल का मज़हर हैं।

इस दृष्टि से महान ईश्वर ने इरादा किया है कि इंसान अगर सही से परिपूर्णता का मार्ग तय करते हैं तो वे अस्माये एलाही का मज़हर व प्रतीक बन सकते हैं परंतु मर्दों के अंदर इस बात के लिए अधिक विशेषता पायी जाती है कि वे सिफ़ाते जलाले एलाही का मज़हर बनें और औरतों के अंदर इस बात की अधिक तत्परता पायी जाती है कि वे सिफ़ाते जमाल की प्रतीक बनें और यह सब महान ईश्वर की हिकमत व फ़ल्सफ़े के तहत है जिसने इंसानों को मर्द और औरत के रूप में दो अलग- अलग लिंग बनाये हैं ताकि महान ईश्वर की विभिन्न विशेषताओं का मज़हर बन सकें और जीवन को भी बेहतरीन स्थिति में क़रार दिया जा सके। MM

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