Jun ०३, २०२४ १७:५८ Asia/Kolkata
  • इमाम ख़ुमैनी रह. की भविष्यवाणी व्यवहारिक हो रही है, ज़ायोनी सरकार अपने पतन के मार्ग में अग्रसरः इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता
    इमाम ख़ुमैनी रह. की भविष्यवाणी व्यवहारिक हो रही है, ज़ायोनी सरकार अपने पतन के मार्ग में अग्रसरः इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने सोमवार की सुबह इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह की पैंतीसवीं बरसी के प्रोग्राम में एक विशाल जनसभा को ख़ेताब करते हुए इमाम ख़ुमैनी के विचार व नज़रियों में फ़िलिस्तीन के मुद्दे की ख़ास अहमियत को बयान किया और कहा कि फ़िलिस्तीन के बारे में इमाम ख़ुमैनी की पचास साल पहले की भविष्यवाणी धीरे- धीरे पूरी हो रही है।

उन्होंने कहा कि चमत्कारी तूफ़ान अलअक़्सा ऑप्रेशन ने क्षेत्र और इस्लामी जगत पर वर्चस्व जमाने की बड़ी साज़िश को नाकाम बनाते हुए ज़ायोनी सरकार को पतन के रास्ते पर डाल दिया है और ग़ज़ा के अवाम के ईमान से भरे और तारीफ़ के क़ाबिल प्रतिरोध के नतीजे में ज़ायोनी सरकार दुनिया वालों की नज़रों के सामने पिघलती जा रही है।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने अपनी स्पीच के पहले हिस्से में इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह के विचारों और नज़रियों में फ़िलिस्तीन के मसले की अहमियत को बयान करते हे कहा कि उन्होंने इस्लामी आंदोलन के आग़ाज़ के पहले दिन से ही फ़िलिस्तीन के मसले को अहमियत दी और बड़ी बारीकी से भविष्य पर नज़र रखते हुए फ़िलिस्तीनी क़ौम के सामने एक रास्ते का सुझाव रखा और इमाम ख़ुमैनी का यह बहुत ही अहम नज़रिया धीरे- धीरे व्यवहारिक होता जा रहा है।

उन्होंने इस्लामी आंदोलन के आग़ाज़ में ही ईरान की ज़ालिम व दमनकारी सरकश सरकार के गिरने और इसी तरह पूर्व सोवियत संघ के शासन और दबदबे के दौर में कम्युनिस्ट सरकार के अंत की भविष्यवाणी को इमाम ख़ुमैनी की बसीरत के दो दूसरे नमूने क़रार दिया।

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने ज़ायोनी शासन के साथ वार्ता से कोई उम्मीद न रखने, फ़िलिस्तीनी क़ौम के मैदान में उतरने, अपना हक़ हासिल

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने ज़ायोनी शासन के साथ वार्ता से कोई उम्मीद न रखने, फ़िलिस्तीनी क़ौम के मैदान में उतरने, अपना हक़ हासिल करने और सभी क़ौमों ख़ास तौर पर मुसलमान क़ौमों की ओर से फ़िलिस्तीनियों की मदद को, फ़िलिस्तीनी क़ौम की फ़तह के लिए इमाम ख़ुमैनी के नज़रिये का निचोड़ क़रार दिया और कहा कि ये अज़ीम वाक़या भी इस वक़्त व्यवहारिक हो रहा है।

उन्होंने अलअक़्सा ऑप्रेशन की वजह से ज़ायोनी सरकार के मैदान के एक कोने में फंस जाने की ओर इशारा करते हुए कहा कि अगरचे अमरीका और बहुत सी पश्चिमी सरकारें इस सरकार की निरंतर मदद कर रही हैं लेकिन वो जानती हैं कि क़ाबिज़ सरकार को बचाने का कोई रास्ता नहीं है।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने क्षेत्र की अहम ज़रूरतों के पूरा होने और अपराधी सरकार पर भारी वार को अलअक़्सा ऑप्रेशन की दो मुख्य ख़ुसूसियतें बताया और कहा कि अमरीका, विश्व ज़ायोनीवाद के एजेंटों और कुछ क्षेत्रीय सरकारों ने क्षेत्र के हालात और संबंधों को बदलने के लिए एक सटीक साज़िश तैयार कर रखी थी ताकि ज़ायोनी सरकार और क्षेत्र की सरकारों के बीच अपने मद्देनज़र संबंध क़ायम करवा कर पश्चिमी एशिया और पूरे इस्लामी जगत की राजनीति और अर्थव्यवस्था पर मनहूस ज़ायोनी सरकार के वर्चस्व का रास्ता समतल कर दें।

उन्होंने कहा कि यह मनहूस चाल व्यवहारिक होने के बिलकुल क़रीब पहुंच चुकी थी कि अलअक़्सा का चमत्कार करने वाला तूफ़ान शुरू हो गया और उसने अमरीका, ज़ायोनीवाद और उनके पिट्ठुओं के ताने बाने को बिखेर दिया, इस तरह से कि पिछले आठ महीने के वाक़यों के बाद इस साज़िश के फिर से पलटने की कोई संभावना नहीं है।

 

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने ज़ालिम हुकूमत के अभूतपूर्म अपराधों और बेहद निर्दयता और अमरीकी सरकार की ओर से उस बर्बरता के सपोर्ट को, क्षेत्र पर ज़ायोनी सरकार को थोपने की बड़ी वैश्विक साज़िश के नाकाम हो जाने पर बौखलाहट और तिलमिलाहट वाली प्रतिक्रिया क़रार दिया।

उन्होंने तूफ़ान अलअक़्सा ऑप्रेशन की दूसरी ख़ुसूसियत यानी ज़ायोनी सरकार पर निर्णायक वार की व्याख्या करते हुए अमरीकी और यूरोपीय समीक्षकों और माहिरों यहाँ तक कि ख़ुद मनहूस सरकार के पिट्ठुओं के एतेराफ़ का हवाला दिया और कहा कि वो भी यह बात मान रहे हैं कि क़ाबिज़ सरकार अपने बड़े बड़े दावों के बावजूद एक प्रतिरोधी गुट से बुरी तरह शिकस्त खा चुकी है और 8 महीने के बाद भी अपने किसी छोटे से लक्ष्य को भी हासिल नहीं कर सकी है।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने 21वीं सदी को बदलने के लिए तूफ़ान अलअक़्सा ऑप्रेशन की ताक़त के बारे में एक पश्चिमी पर्यवेक्षकों की समीक्षा की ओर इशारा करते हुए कहा कि दूसरे पर्यवेक्षकों और इतिहासकारों ने भी ज़ायोनी सरकार की बदहवासी, उलटे पलायन की लहर, क़ब्ज़ा किए गए इलाक़ों में रहने वालों की रक्षा में अक्षमता और ज़ायोनीवाद के प्रोजेक्ट के अंतिम सांसें लेने की ओर इशारा किया है और बल दिया है कि दुनिया, ज़ायोनी सरकार के अंत की प्रक्रिया के शुरूआती बिंदु पर खड़ी है।

उन्होंने मक़बूज़ा फ़िलिस्तीन से उलटे पलायन की लहर के गंभीर होने के बारे में एक ज़ायोनी सुरक्षा टीकाकार की बातों की ओर इशारा करते हुए कहा कि इस ज़ायोनी टीकाकार का कहना है कि इस्राईली अधिकारियों की बहसों और उनके बीच मतभेदों की बातें अगर मीडिया में आ जाएं तो 40 लाख लोग इस्राईल से चले जाएंगे।

 

 

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने फ़िलिस्तीन के मसले को दुनिया का पहला मुद्दा बनने और लंदन तथा पेरिस में और अमरीकी यूनिवर्सिटियों में ज़ायोनी विरोधी प्रदर्शनों की ओर इशारा करते हुए कहा कि अमरीकी व ज़ायोनी मीडिया और प्रोपैगंडा सेंटरों ने बरसों तक फ़िलिस्तीन के मसले को भुला दिए जाने के लिए कोशिश की लेकिन तूफ़ान अलअक़्सा ऑप्रेशन और ग़ज़ा के अवाम के प्रतिरोध के साए में आज फ़िलिस्तीन दुनिया का पहला मुद्दा है।

उन्होंने 40 हज़ार लोगों की शहादत और 15000 बच्चों और नवजात शिशुओं की शहादत सहित ग़ज़ा के लोगों की पीड़ाओं को ज़ायोनियों के चंगुल से निकलने की राह में फ़िलिस्तीनी क़ौम की ओर से अदा की जाने वाली भारी क़ीमत बताया और कहा कि ग़ज़ा के लोग, इस्लामी ईमान और क़ुरआन की आयतों पर अक़ीदे की बरकत से निरंतर पीड़ा बर्दाश्त कर रहे हैं और हैरतअंगेज़ प्रतिरोध के साथ प्रतिरोध के मुजाहिदों का समर्थन कर रहे हैं।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने प्रतिरोध के अज़ीम मोर्चे की सलाहियतों के बारे में ज़ायोनी सरकार के ग़लत अंदाज़े को, इस सरकार के डेड एंड कोरिडोर में पहुंच जाने का सबब बताया जो उसे लगातार शिकस्त दे रहा है। उन्होंने कहा कि अल्लाह की मदद से उस बंद गली से निकलने का उसके पास कोई रास्ता नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि पश्चिम के प्रोपैगंडों के बावजूद ज़ायोनी सरकार, दुनिया के लोगों की नज़रों के सामने पिघलती और ख़त्म होती जा रही है और क़ौमों के साथ ही दुनिया की बहुत सी राजनैतिक हस्तियां यहाँ तक कि ज़ायोनी भी इस हक़ीक़त को समझ चुके हैं।

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने अपने ख़ेताब के दूसरे हिस्से में अज़ीज़ व मेहनती राष्ट्रपति और उनके साथियों की शहादत की दुखद घटना की

 

ओर इशारा करते हुए कहा कि राष्ट्रपति के साथियों में से हर एक शख़्स, अपने आप में एक मूल्यवान हस्ती थी।

उन्होंने इसी तरह शहीद राष्ट्रपति की ख़ुसूसियतों और सेवाओं को सराहते हुए और ख़िदमत की राह के शहीदों की शवयात्रा में क़ौम की ज़बरदस्त व मूल्यवान शिरकत की क़द्रदानी करते हुए कहा कि भविष्य के बहुत ही अहम चुनाव में अवाम की भरपूर शिरकत ख़िदमत की राह के शहीदों को अलविदा कहने के क़ौम के बेमिसाल कारनामे का ख़ुबसूरत पूरक होगी।

उन्होंने शहीद रईसी की नुमायां ख़ुसूसियतों का ज़िक्र करते हुए कहा कि सभी ने एतेराफ़ किया कि वे काम, अमल, सेवा और सच बोलने वाले इंसान थे और उन्होंने अवाम की ख़िदमत का एक नया पैमाना तैयार किया था और इतनी ज़्यादा और इतनी मात्रा में, इस सतह की ख़िदमत और ऐसी पाक नीयत और मेहनत मुल्क के ख़ादिमों के दरमियान नहीं रही है।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने कहा कि विदेश नीति में बहुत ज़्यादा बरकत वाली गतिविधियां, अवसरों के सही इस्तेमाल और दुनिया की अहम शख़्सियतों की नज़र में ईरान को नुमायां करना, शहीद रईसी की कुछ दूसरी ख़ुसूसियतें थीं। उन्होंने दुश्मनों और इंक़ेलाब के विरोधियों के बीच स्पष्ट हदबंदी और दुश्मन की मुस्कुराहट पर भरोसा न करने को शहीद रईसी की दूसरी ख़ुसूसियतें गिनावया जिनसे सीख लेने की ज़रूरत है।

उन्होंने इसी तरह शहीद अमीर अब्दुल्लाहियान को श्रद्धांजलि पेश करते हुए उन्हें सरगर्म, मेहनती और इनोवेटिव विदेश मंत्री और प्रभावी, बुद्धिमान और ऊसूलों का पाबंद वार्ताकार बताया।

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने ख़िदमत के शहीदों की शवयात्रा में क़ौम के दसियों लाख लोगों की शिरकत को एक नुमायां व समीक्षा योग्य कारनामा बताया और इसे इंक़ेलाब की तारीख़ में कड़वी व सख़्त घटनाओं

 

 

के समय  ईरानी क़ौम के इतिहास रचने वाले कारनामों का एक नमूना क़रार दिया।

उन्होंने कहा कि इस कारनामे ने दिखा दिया कि ईरानी क़ौम, एक संकल्प लेने वाली, डटी रहने वाली और ज़िंदा क़ौम है जो मुसीबत से नहीं हारती बल्कि उसकी दृढ़ता और जोश में इज़ाफ़ा हो जाता है।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने अवाम की ज़बरदस्त शिरकत का एक पैग़ाम, इंक़ेलाब के नारों को सपोर्ट देना बताया और कहा कि मरहूम रईसी साफ़ तौर पर इंक़ेलाब के नारों को बयान करते थे और वो ख़ुद इंक़ेलाब के नारों का प्रतीक थे।

उन्होंने अपने ख़ेताब के एक दूसरे भाग में आने वाले चुनाव को एक बड़ा व अहम नतीजे वाला काम बताया और कहा कि अगर यह चुनाव अच्छी तरह और शानदार तरीक़े से आयोजित हो जाए तो ईरानी क़ौम के लिए एक बड़ा कारनामा होगा और दुनिया में इसे असाधारण नज़र से देखा जाएगा।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने अपने ख़ेताब के आख़िरी हिस्से में चुनाव में अवाम की भरपूर शिरकत को ख़िदमत के शहीदों को अलविदा कहने के क़ौम के बेमिसाल कारनामे का अच्छा एंड क़रार दिया और कहा कि ईरानी क़ौम को जटिल अंतर्राष्ट्रीय मामलों में अपने हितों की रक्षा और अपनी स्ट्रैटेजिक गहराई को मज़बूत करने के लिए एक सक्रिय, आगाह और इंक़ेलाब की बुनियादों पर ईमान रखने वाले राष्ट्रपति की ज़रूरत है। 

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