इमाम ख़ामेनेईः क्षेत्रीय राष्ट्रों के प्रयास से अमेरिका क्षेत्र से जायेगा, टीचरों व प्रोफ़ेसरों की इस्लामी क्रांति के नेता से मुलाक़ात
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हज़ारों टीचरों, प्रोफ़ेसरों और शिक्षा विभाग से जुड़े लोगों से मुलाक़ात में इस्लामी क्रांत के नेता
अमरीकी राष्ट्रपति व अधिकारियों ने ग़ज़ा में जनसंहार के लिए ताक़त का इस्तेमाल किया है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने शनिवार 17 मई 2025 को पूरे मुल्क से आए हज़ारों टीचरों, प्रोफ़ेसरों और शिक्षा विभाग से जुड़े लोगों से मुलाक़ात में कहा कि जनमत में एक अच्छे, दिलकश, जोश से भरपूर और मोहब्बत के लायक़ टीचर की तस्वीर बनाना ज़रूरी है और इसके लिए कला, मीडिया और ज़िम्मेदार विभागों को बड़ी हुनरमंदी से काम लेना चाहिए।

आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने अमरीका के राष्ट्रपति के क्षेत्र के हालिया दौरे और उनके एक बयान की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि अमरीकी राष्ट्रपति की कुछ बातें इतनी ओछी और ख़ुद उनके व अमरीकी क़ौम के लिए शर्मनाक थीं कि उनका जवाब ही नहीं देना चाहिए।
उन्होंने ट्रम्प के इस बयान को कि "वे शांति के लिए ताक़त का इस्तेमाल करना चाहते हैं।" झूठ बताया और कहा कि उन्होंने और अमरीकी शासन ने कब शांति के लिए ताक़त का इस्तेमाल किया है? उन्होंने ताक़त का इस्तेमाल ग़ज़्ज़ा में जनसंहार के लिए और हर संभव जगह जंग फैलाने और अपने पिट्ठुओं के समर्थन के लिए किया है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने कहा कि शांति व सुरक्षा के लिए ताक़त का इस्तेमाल मुमकिन है और इसी वजह से इस्लामी गणराज्य, दुश्मन को नागवार गुज़रने के बावजूद, हर दिन अपनी और मुल्क की ताक़त बढ़ाता रहेगा लेकिन उन्होंने ताक़त का इस्तेमाल करके ज़ायोनी शासन को दस टन के बम दिए ताकि वो ग़ज़ा के बच्चों, अस्पतालों, घरों पर और लेबनान में जहां चाहे, गिराए।
उन्होंने अमरीकी राष्ट्रपति के उस पुराने बयान की तरफ़ भी इशारा किया जिसमें कहा गया था कि "इलाक़े के मुल्क अमरीका के बिना दस दिन भी बाक़ी नहीं रह सकते।" रहबरे इंक़ेलाब ने कहा कि आज अमरीका अपने लेन-देन और सुझावों में उन पर यही मॉडल थोपना चाहता है, जबकि निश्चित रूप से यह मॉडल नाकाम है और इलाक़े की क़ौमों के पक्के इरादे से अमरीका को इस इलाक़े से निकलना होगा और वो निकलेगा।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने ज़ायोनी शासन को इलाक़े में बुराई, जंग और इख़्तिलाफ़ की जड़ बताया और कहा कि ज़ायोनी शासन एक ख़तरनाक कैंसर और जानलेवा नासूर है जिसे इस इलाक़े से मिटा दिया जाना चाहिए और ऐसा होकर रहेगा।
उन्होंने अपने ख़िताब में इसी तरह कहा कि आज के ईरान की किसी भी तरह बीते कल के ईरान से तुलना नहीं की जा सकती और अल्लाह के फ़ज़्ल व करम से और दुश्मनों की ख़्वाहिशों के उलट, ईरान ने तरक़्क़ी की है और आगे भी हमारे बच्चे देखेंगे कि उन्हीं की मदद से मुल्क आज से कहीं ज़्यादा तरक़्क़ी करेगा।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने ज़ोर देकर कहा कि शिक्षा व प्रशिक्षण विभाग का ढांचा छात्रों की इल्मी, तहज़ीबी और ईमानी परवरिश की दिशा में होना चाहिए और ऐसा ढांचा उन्हीं लोगों को बनाना चाहिए जो माहिर, अनुभवी और धर्म व देश की स्वाधीनता पर कटिबद्ध हों ताकि नए ढांचे की बुनियाद पर ऐसे बच्चों और नौजवानों की परवरिश हो सके जो आलिम, मुत्तक़ी, ईरान से मोहब्बत करने वाले, मेहनती और रोशन मुस्तक़बिल के बारे में पूरी तरह आशावान हों।

उन्होंने किताबों और पुरानी सिफ़ारिशों की अहमियत की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि मुसलिम विद्वानों के नाम या अमरीका के जासूसी के अड्डे के दस्तावेज़ों के कुछ पन्ने पाठ्य पुस्तकों में शामिल करना ज़रूरी है मगर ये काफ़ी नहीं। पाठ्य पुस्तकों को तहरीर के लिहाज़ से दिलचस्प और आसान ज़बान में होना चाहिए ताकि मुश्किल इल्मी और साइंसी बातें बच्चों तक सरल अंदाज़ में पहुँच सकें।