ओपेक का तेल उत्पादन की सीमा निर्धारित करने का फ़ैसला अच्छा या बुरा
तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक के सदस्यों देशों के पेट्रोलियम मंत्रियों ने यह फ़ैसला किया है कि तेल का उत्पादन 3 करोड़ 25 लाख बैरल प्रतिदिन से ज़्यादा नहीं करेंगे।
यह फ़ैसला अलजीरिया में सदस्य देशों के पेट्रोलियम मंत्रियों ने 4 घंटे की बैठक के बाद लिया। शुरु में परामर्श के उद्देश्य से यह बैठक आयोजित हुयी थी, किन्तु बाद में एक आपात बैठक बन गयी ताकि इस बैठक का फ़ैसला अधिक विश्वस्नीय बन सके।
ढाई साल के बाद बाज़ार को संचालित करने के विषय पर ओपेक के सदस्य देशों में यह सर्वसम्मति बनी।
सऊदी अरब ने नवंबर 2014 में तेल की मंडी में अपनी भागीदारी में बेरोक-टोक वृद्धि के लिए ओपेक को मजबूर किया और उसकी ओर से निर्धारित मात्रा से ज़्यादा उत्पादन के कारण तेल की क़ीमत में तेज़ी से गिरावट आयी।
सऊदी अरब जो अब तक अपने कच्चे तेल के उत्पादन की मात्रा को कम करने के संबंध में बातचीत के लिए तय्यार नहीं था, अलजीरिया बैठक में इस बात पर तय्यार हो गया कि वह अपनी मौजूदा प्रतिदिन 1 करोड़ 7 लाख बैरल उत्पादन की मात्रा में 5 लाख बैरल की कमी करके उसे प्रतिदिन 1 करोड़ 2 लाख बैरल पर ले आएगा।
सऊदी अरब के आर्थिक विकास की दर बहुत तेज़ी से गिर रही है और इस वक़्त यह दर 1 फ़ीसद पर पहुंच गयी है, जबकि ईरान के आर्थिक विकास की दर बढ़ रही है और इस वक़्त यह दर 4 फ़ीसद है।
सऊदी अरब को बजट घाटे का सामना है, जबकि ईरान का व्यापारिक खाता लगभग संतुलित है।
ईरान सऊदी अरब के जितना तेल की आयत पर निर्भर नहीं रहा है।
ऐसे हालात में सऊदी अरब यह समझ गया है कि सहमति ही समस्याओं के हल की कुंजी है। अब रियाज़ यह संकेत दे रहा है कि वह विगत के रास्ते को छोड़ने के लिए तय्यार है, लेकिन इस सहमति की कामयाबी के लिए ओपेक के सदस्य और ग़ैर सदस्य देशों के बीच सहयोग ज़रूरी है।
ओपेक के कुछ सदस्य इस सहमति के ख़िलाफ़ थे लेकिन ओपेक के सदस्यों के बीच एकता के लिए यह फ़ैसला सही था, इसलिए ईरान ने भी फ़ैसला किया कि वह इस सहमति का विरोध न करे। (MAQ/T)