ओपेक की बैठक और तेल के उत्पादन में कमी को बाक़ी रखने पर चर्चा
(last modified Thu, 30 Nov 2017 10:30:26 GMT )
Nov ३०, २०१७ १६:०० Asia/Kolkata

तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक की 73वीं बैठक गुरुवार को वियना में आयोजित हो रही है। तेल की अंतर्राष्ट्रीय मंडी में मौजूदा स्थिरता को बनाए रखना इस बैठक का मुख्य लक्ष्य घोषित किया गया है।

इस बैठक में तेल के उत्पादन में कमी के लिए हुयी सहमति को एक बार फिर 6 या 9 महीने की अवधि के लिए बढ़ाने की समीक्षा करने का कार्यक्रम है। ऐसा लगता है कि ओपेक के सदस्य देश तेल के उत्पादक ग़ैर ओपेक देशों के साथ तेल की आपूर्ति में कमी के समझौते की अवधि को 2018 के अंत तक बढ़ाने में सफल रहेंगे। इससे पहले ईरान की सार्थक पेट्रो कूटनीति और ओपेक व ग़ैर ओपेक के सदस्य देशों के सहयोग से नंवबर 2016 में तेल की आपूर्ति में कमी लाने के लिए बहुत अहम सहमति हुयी। इस सहमति के नतीजे में अंतर्राष्ट्रीय तेल मंडी में कुछ हद तक स्थिरता आयी जिससे ओपेक के सदस्य देशों का फ़ायदा हुआ और इससे सबसे ज़्यादा ईरान को फ़ायदा पहुंचा। इस सहमति के तहत इस्लामी गणतंत्र ईरान को तेल की आपूर्ति में कमी लाने से अपवाद रखा गया।

ईरान की सार्थक पेट्रो कूटनीति से ओपेक के सदस्य देश इस बात के लिए तय्यार हो गए कि ईरान के ख़िलाफ़ पश्चिम और ख़ास तौर पर अमरीका की ओर से ग़ैर क़ानूनी पाबंदियों के कारण अंतर्राष्ट्रीय तेल की मंडी में अपने खोए हुए स्थान को फिर से हासिल करने के लिए तेहरान को तेल के उत्पादन में कमी लाने से अपवाद रखा जाए।

तेल के उत्पादक ओपेक व ग़ैर ओपेक देशों की मौजूदा स्थिति के मद्देनज़र तेल के उत्पादन में कमी की योजना का लागू रहना दोनों ही पक्षों के हित में है क्योंकि इसके नतीजे में अंतर्राष्ट्रीय मंडी में तेल की क़ीमत बढ़ेगी जिससे तेल के उत्पादक ओपेक और ग़ैर ओपेक के सदस्य देशों को फ़ायदा पहुंचेगा। (MAQ/T)  

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