इस्लामी जगत में रक्तपात का स्रोत वहाबियतः क़ासिम सुलैमानी
(last modified Fri, 22 Feb 2019 09:25:27 GMT )
Feb २२, २०१९ १४:५५ Asia/Kolkata

जनरल क़ासिम सुलैमानी का कहना है कि पाकिस्तान में सऊदी समर्थित तकफ़ीरी इस देश के पड़ोसियों के लिए शत्रुतापूर्ण कार्यवाहियां करके समस्याएं उत्पन्न कर रहे हैं।

आईआरजीसी की क़ुद्स ब्रिगेड के कमान्डर जनरल क़ासिम सुलैमानी का कहना है कि पाकिस्तान में सऊदी समर्थित तकफ़ीरी भारत तथा अफ़ग़ानिस्तान सहित इस देश के समस्त पड़ोसियों के लिए शत्रुतापूर्ण कार्यवाहियां अंजाम देकर समस्याएं पैदा कर रहे हैं।  उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को इस बात को सही ढंग से समझना चाहिए।

जनरल क़ासिम सुलैमानी ने गुरुवार को ईरान के उत्तर में शहीदों को श्रद्धांजलि देने के एक कार्यक्रम में कहा कि इस्लामी जगत में रक्तपात और मतभेद की जड़ वहाबियत है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की जनता और सरकार को इस बात की अनुमति नहीं देनी चाहिए कि सऊदी अरब के पैसे तकफ़ीरी आतंकवादियों के हाथ में पड़ें और वे पाकिस्तान को दुनिया के मुक़ाबले पर खड़ा कर दे।  सऊदी शासन अमरीकी समर्थन से क्षेत्र में विध्वंसक भूमिका निभा रहा है।  वह आतंकियों के समर्थन से ईरान की सीमाओं को अशान्त करने के प्रयास कर रहा है।  13 फ़रवरी 2019 को ईरान के सीस्तान व बलोचिस्तान प्रांत की आतंकी घटना इस बात की पुष्टि करती है जिसमें ईरान के 27 जवान शहीद हुए थे।  वह आत्मघाती जिसने ईरान के सीमा सुरक्षाबलों के वाहन को लक्ष्य बनाया था उसका संबन्ध पाकिस्तान से था।  इससे पता चलता है कि पाकिस्तान, अपने सीमावर्ती क्षेत्रों में आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष में गंभीर नहीं है।  आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष में पाकिस्तान के हालिया क्रियाकलापों से ईरान सहमत नहीं है।  संयुक्त सीमाओं को अधिक सुरक्षित बनाने के लिए पाकस्तान को और अधिक प्रयास करने होंगे।

जनरल क़ासिम सुलैमानी ने कहा कि ईरान, पाकिस्तान के लिए एक विश्वसनीय पड़ोसी है।  उन्होंने स्पष्ट किया कि तेहरान कभी भी इस्लामाबाद के लिए ख़तरा नहीं होगा किन्तु इस्लामी गणतंत्र ईरान उन तकफ़ीरी पिट्ठुओं से बदला लेकर रहेगा जिनके हाथ ईरानी युवाओं के ख़ून से रंगे हुए हैं।

अमरीका और पश्चिम का समर्थन प्राप्त आतंकवादियों से संघर्ष में ईरान की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।  ईरान की यह भूमिका आतंकवाद के समर्थकों के लिए खुली चेतावनी है कि तेहरान, आतंकवाद से संघर्ष में सीमाओं की ओर ध्यान नहीं देगा और तकफ़ीरी आतंकवादियों के विरुद्ध कार्यवाही में केवल सीमा तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि उससे भी आगे जा सकता है।   

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