अमेरिका से थर-थर कांपने वाले देश, ईरान के वरिष्ठ नेता की ईमानी ताक़त से लें सबक़
(last modified Thu, 13 Jun 2019 11:55:09 GMT )
Jun १३, २०१९ १७:२५ Asia/Kolkata
  • अमेरिका से थर-थर कांपने वाले देश, ईरान के वरिष्ठ नेता की ईमानी ताक़त से लें सबक़

दशकों से अपनी ताक़त के बल पर पूरी दुनिया पर वर्चस्व जमाने वाले अमेरिका को 2019 की 13 जून की तारीख़ और गुरुवार का दिन हमेशा याद रहेगा। इसका कारण है ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता का जापान के प्रधानमंत्री को दिया गया वह जवाब जिससे अमेरिका सहित मध्यपूर्व और दुनिया भर के उसके पिट्ठू देशों के पसीने छूट गए।

जापान के प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे बुधवार को अपने दो दिवसीय ईरान दौरे पर तेहरान पहुंचे थे। जापान के प्रधानमंत्री के ईरान दौरे पर इस समय दुनिया भर के देशों, राजनेताओं, मीडिया और विशेषकर अरब शासकों की निगाहें टिकी हुईं हैं। इस बीच जापानी प्रधानमंत्री की ईरान के राष्ट्रपति डॉक्टर हसन रूहानी के साथ बहुत ही महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें दोनों देशों के संबंध विस्तार सहित कई अहम मुद्दों पर साकारात्मक वार्ता हुई। लेकिन गुरुवार का दिन शिंज़ो आबे की तेहरान यात्रा के दौरान ऐसा भी होगा, किसी ने सोचा भी नहीं था, क्योंकि उनके ईरान दौरे को लेकर जिस चीज़ पर पूरी दुनिया की नज़रें टिकीं थीं वह घड़ी आ चुकी थी और वह थी इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई से उनकी मुलाक़ात।

जापान के प्रधानमंत्री के साथ-साथ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने भी इस मुलाक़ात को लेकर बहुत सारी उम्मीदें लगा रखी थीं। वैसे जिस देश के राष्ट्रपति को दुनिया, दुनिया का सबसे ताक़तवर नेता मानती है उस देश के राष्ट्रपति ने वास्तविक ईमान की शक्ति से भरे हुए एक सच्चे और केवल अल्लाह को सर्वशक्तिमान मानने वाले व्यक्ति ईरान के वरिष्ठ नेता को, स्वयं की समझ के अनुसार जापान के प्रधानमंत्री द्वारा एक संदेश भेजने की ग़लती की थी। ट्रम्प, शिंज़ो आबे द्वारा अपने भेजे संदेश से संभवता ईरानी राष्ट्र को डराने का प्रयास करने की कोशिश करना चाहते थे, लेकिन इस बीच हुआ कुछ ऐसा कि शिंज़ो आबे सहित पूरी दुनिया अचंभित रह गई। ईरान के वरिष्ठ नेता से जापान के प्रधानमंत्री ने जैसे ही कहा कि वह अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प का संदेश पहुंचाना चाहते हैं, वैसे ही वरिष्ठ नेता ने उन्हें रोक दिया। ऐसा लगा कि जैसे आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई, ट्रम्प द्वारा संदेश को पहले से ही जानते थे, क्योंकि उन्होंने जापानी प्रधानमंत्री से कहा कि, मुझे आपकी सद्भावना और गंभीरता पर कोई संदेह नहीं है किन्तु उस चीज़ के बारे में जो आपने अमरीकी राष्ट्रपति के बारे में कहा है, मैं ट्रम्प जैसे व्यक्ति को किसी भी प्रकार के संदेशों के आदान-प्रदान के योग्य नहीं समझता और न मुझे उनका कोई उत्तर देना है और न ही मैं उनसे कुछ कहूंगा।

जापान के प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे के माध्यम से ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने अमेरिका और उसके राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प को जिस प्रकार से जवाब दिया है उसका अनुमान न जापानी प्रधानमंत्री को था और न ही दुनिया के किसी अन्य देश को। हां इस तरह के जवाब का इंतेज़ार उन सबको था जो ईमान की शक्ति पर भरोसा करते हैं। जो ईश्वर को सर्वशक्तिमान मानते हैं। जो अल्लाह के आलावा किसी से नहीं डरते और जो पैग़म्बरे इस्लाम, हज़रत अली और उनके पवित्र परिजनों के बताए हुए रास्ते पर चलते हैं। वरिष्ठ नेता के जवाब ने जहां पूरी दुनिया के अमन पसंद और अत्याचारग्रस्त लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट ला दी वहीं उनके इस सख़्त और दो टूक जवाब ने सबसे अधिक इस्राईल, सऊदी अरब और सभी साम्राज्यवादी शक्तियों के चेहरे की हंसी छीन ली है। (रविश ज़ैदी)

 

 

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