परमाणु टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देना ईरान का मूल अधिकार है꞉ सालेही
ईरान की परमाणु ऊर्जा संस्था के प्रमुख डाक्टर अली अकबर सालेही ने कहा है कि शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देना इस्लामी गणतंत्र ईरान का मूल अधिकार है।
प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, फ्रांसीसी पत्रिका ली फ़िगारो (LE FIGARO) के लिए लिखे गए एक लेख में ईरान की परमाणु ऊर्जा संस्था के प्रमुख डॉक्टर अली अकबर सालेही का कहना था कि अमेरिका, ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम को ईरानी राष्ट्र के ख़िलाफ़ एकपक्षीय अमानवीय प्रतिबंधों के बहाने के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी प्रतिबंधों से ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
डॉक्टर अली अकबर सालेही ने जेसीपीओए से अमेरिका के निकल जाने और यूरोपीय देशों की ओर से अपने वादों पर अमल न किए जाने का विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि ईरान ने परमाणु समझौते के अनुच्छेद छब्बीस और छत्तीस के तहत दूसरे पक्षों की वादा ख़िलाफ़ी के जवाब में जेसीपीओए के कुछ भागों पर कार्यान्वयन को रोक दिया है। ईरान की परमाणु ऊर्जा संस्था के प्रमुख ने इस बात पर बल देकर कहा कि अगर यह स्थिति रही तो इसके अच्छे परिणाम नहीं निकलेंगे और इस बात में भी कोई संदेह नहीं है कि ईरान इस स्थिति को सहन नहीं करेगा।
इससे पहले ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैय्यद अब्बास मूसवी ने फ़्रांसीसी राष्ट्रपति के सलाहकार इमानुएल बोन की तेहरान यात्रा की ओर संकेत करते हुए कहा, अमरीका के जेसीपीओए से निकलने और यूरोप द्वारा अपने वादों पर अमल नहीं करने के कारण, तेहरान भी अपने वादों पर अमल में कमी लाने के लिए एक तंत्र तैयार करना चाहता है, जिस के लिए उसने क्षेत्रीय और विश्व स्तर पर कूटनीति के प्रयास किए हैं। मूसवी ने यह भी कहा है कि, परमाणु समझौसे से अमरीका का बाहर निकलना और उसके बाद ईरान के ख़िलाफ़ आर्थिक प्रतिबंध लागू करना आर्थिक आतंकवाद के अलावा कुछ नहीं है। (RZ)