अच्छी औलाद समाज में इंसान के गर्व की बात
इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम फरताते हैं" अच्छी औलाद समाज में इंसान के गर्व का कारण है।
रवायतों में अच्छी संतान की उपमा स्वर्ग के पुष्पों से दी गयी है। दुनिया में इंसान के नाम के बाकी रहने का एक कारण अच्छी संतान है। अच्छी संतान अपने मां- बाप के नाम को बाकी रखने का प्रयास करती है। यही नहीं बहुत सी संतान अपने मां- बाप के सम्मान के दृष्टिगत बहुत से एसे कार्यों से बचती है जिससे उसके मां- बाप की प्रतिष्ठा को आघात पहुंच सकती है।
अच्छे इंसान की एक अलामत उसकी संतान का अच्छा होना है। जो इंसान यह चाहता है कि उसकी संतान अच्छी हो उसे अपनी संतान की शिक्षा- प्रशिक्षा पर ध्यान देना चाहिये ताकि उसकी संतान अच्छी हो सके।
संतान की अच्छी प्रशिक्षा के लिए खान- पान पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी है। इंसान जो चीज़ अपने बच्चों को खाने के लिए देता है उनका हलाल व वैध होना बहुत ज़रूरी है। क्योंकि अगर जो चीज़ें संतान खा रही है अगर वे हलाल व वैध नहीं होगी तो अच्छी बातों का असर उसके अंदर नहीं होगा। रवायतों में नमाज़ी होने, अच्छे व भले कार्यों में आगे- आगे रहने, सही व हक बात को सुनने और पैग़म्बरे इस्लाम और उनके पवित्र परिजनों से प्रेम को अच्छी संतान की विशेषता बयान किया गया है।
हज़रत अली अलैहिस्सलाम फरमाते हैं" मैंने ईश्वर से सुन्दर संतान की प्रार्थना नहीं की है बल्कि ईश्वर से एसी संतान की प्रार्थना की है जो ईश्वर के आदेशों का पालन करे और उससे डरे।
महान ईश्वर ने हज़रत इब्राहीम से कहा कि मैंने तुम्हारा चयन लोगों के मार्गदर्शन के लिए किया तो हज़रत इब्राहीम ने महान ईश्वर से कहा कि मेरी संतान को भी लोगों का मार्गदर्शक बना इस पर ईश्वर ने कहा मेरा पद अत्याचारियों तक नहीं पहुंचेगा।
इस्लाम ने विवाह करने पर जो इतना अधिक बल दिया है उसका एक कारण समाज और मानवता को जीवित व बाकी रखना है और समाज को सही अर्थों में बाकी व जीवित रहने के लिए अच्छी संतान का होना ज़रूरी है।
जहां इंसान के लिए अच्छी व भली संतान के होने पर बल दिया गया है वहीं संतान दुनिया में इंसान के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है बल्कि संतान इंसान की परीक्षा का एक माध्यम भी है। पवित्र कुरआन स्पष्ट शब्दों में इंसानों को चेतावनी देता है कि दुनिया परीक्षा की जगह है और इस परीक्षा में केवल वही गिरोह सफल होगें जो ईमान लाये और अच्छे कार्य किये और एक दूसरे को धैर्य व सत्य की सिफारिश करते हैं। इसी तरह पवित्र कुरआन इस बारे में कहता है क्या ईमान लाने वालों ने यह सोच लिया है कि उन्हें परीक्षा के बिना छोड़ दिया जायेगा। निः संदेह इससे पहले जो लोग थे उनकी परीक्षा ली जा चुकी है ताकि यह मालूम हो सके कि उन्होंने ईश्वर से जो कहा था वह सच था और जो झूठे थे वे भी मालूम हो गये।
यहां इस बात का उल्लेख आवश्यक है कि जिस तरह अच्छी संतान लोक- परलोक में इंसान की शोभा है और उसके लिए अच्छे कार्य अंजाम देती है उसी तरह बुरी संतान अपने मां बाप का दुश्मन भी होती है। जिस इंसान का दिल अपनी संतान से बहुत अधिक लग जाता है वह अपने मां- बाप के दुर्भाग्य का कारण भी बन सकती है यही नहीं कुछ संतानें अपने मां- बाप की दुश्मन भी होती हैं। महान ईश्वर ने हज़रत नूह सहित पैग़म्बरों तक को इस बात की चेतावनी दी है कि संतान से प्रेम को उसकी अवज्ञा का कारण नहीं बनना चाहिये।
जिस तरह आप यह चाहते हैं कि दूसरे आपका सम्मान करें तो उसी तरह आप भी दूसरों का सम्मान करें। जिस तरह आप यह चाहते हैं कि दूसरे आपको सलाम करें तो आप भी दूसरों को सलाम करें जिस तरह आप चाहते हैं कि दूसरे आपके साथ भलाई करें तो आप भी दूसरों के साथ भलाई कीजिये और उनकी भलाई के बारे में सोचिये। जिस तरह आप यह नहीं चाहते कि कोई आपका अपमान करे या बुरा भला कहे तो आप भी किसी का अपमान न कीजिये और न किसी को बुरा- भला कहिये।