सेन्चरी डील और नकबा दिवस, कैसा था फ़िलिस्तीन और कैसा हो गया? फ़िलिस्तीन की स्वतंत्रता तक देंगे साथ, ब्रिटेन की साज़िश फिर हुई फ़ाश+वीडियो
(last modified Thu, 14 May 2020 15:39:50 GMT )
May १४, २०२० २१:०९ Asia/Kolkata
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फ़िलिस्तीनी इन्तेफ़ाज़ा के समर्थन में अंतर्राष्ट्रीय कांफ़्रेंस के सेक्रेट्रीयेट ने घोषणा की है कि सेन्चुरी डील षड्यंत्रकारी योजना नकबा दिवस की स्थापना और अतिग्रहणकारी ज़ायोनियों के 72 वर्षीय अपराधों में अमरीका और कुछ अरब अधिकारियों की भागीदारी पर बल के समान है।

ईरान की संसद मजलिसे शूराए इस्लामी में फ़िलिस्तीनी इन्तेफ़ाज़ा के समर्थन में अंतर्राष्ट्रीय कांफ़्रेंस के स्थाई सेक्रेट्रीयेट ने नकबा दिवस के अवसर पर एक बयान में कहा कि 72 साल पहले 15 मई 1948 को ब्रिटेन ने फ़िलिस्तीन पर अपने जबरी अधिकार का प्रयोग करने, अपने साम्राज्यवादी लक्ष्यों को आगे बढ़ाने तथा पश्चिमी एशिया में अपना स्थाई अड्डा स्थापित करने के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय ज़ायोनिज़्म के साथ फ़िलिस्तीन में यहूदियों के पलायन और ज़ायोनी शासन की स्थापना के बारे में एक समझौता तय किया।

इस बयान में कहा गया है कि नकबा डे पर फांसीवादी ज़ायोनिज़्म ने अमरीका और अमरीका के समर्थन से 15 हज़ार फ़िलिस्तीनी महिलाओं, बच्चों और युवाओं का पाश्विक जनसंहार और लाखों अन्य फ़िलिस्तीनियों को बेघर करके बच्चों के हत्यारे, अतिग्रहणकारी, आतंकवादी और मानवता का गला घोंटने वाले अत्याचारी शासन की स्थापना की योजना तैयार की।

ईरान की संसद मजलिसे शूराए इस्लामी में फ़िलिस्तीनी इन्तेफ़ाज़ा के समर्थन में अंतर्राष्ट्रीय कांफ़्रेंस के स्थाई सेक्रेट्रीयेट ने बल दिया कि क्षेत्र से विदेशियों के निष्कासन और अमरीका के पतन का चिन्ह प्रकट होना शुरु हो गया है और भविष्य में क्षेत्र में अतिग्रहणकारी और अवैध ज़ायोनी शासन का बोरिया बिस्तरा निश्चित रूप से बंध जाएगा। बयान में कहा गया है कि इस में दो राय नहीं है कि अमरीका की सेन्चुरी डील योजना और इस्राईल के साथ संबंध सामान्य करने के लिए कुछ पराजित अरब सरकारों की ख़ुशफ़हमी और बेइज़्ज़ती से अपने देश को स्वतंत्र कराने और फ़िलिस्तीनियों की स्वदेश वापसी के लिए अत्याचारग्रस्त और संघर्षकर्ता फ़िलिस्तीनी राष्ट्र के संकल्प और इरादे पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

बयान में कहा गया है कि अमरीका की एकपक्षीय सेन्चुरी डील योजना ने प्रतिरोधकर्ता संगठनों को अपनी सफलता की प्राप्ति के लिए और अधिक मज़बूत कर दिया है। बयान में बल दिया गया है कि निश्चित रूप से फ़िलिस्तीन स्वतंत्र होकर रहेगा और विस्थापित और बेघर फ़िलिस्तीनी शीघ्र ही अपने पैतृक देश वापस लौटेंगे। (AK)

 

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