आईएईए के मैदान में ईरान और अमरीका आमने-सामने
दो साल से ज़्यादा समय हो गया है कि जब अमरीका परमाणु समझौते से निकल गया था और उसके बाद उसने ईरान के ख़िलाफ़ अपने कड़े प्रतिबंधों को बहाल कर दिया था। तेहरान ने उसके इस क़दम के मुक़ाबले में अपनी परमाणु प्रतिबद्धताओं को चरमबद्ध तरीक़े से कम करके जवाब दिया था।
अमरीका की ओर से ईरान के ख़िलाफ़ संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रतिबंधों को बहाल करने की कोशिशों के दृष्टिगत इस प्रकार की कार्यवाहियों की छाया में अब मामला इस हद तक पहुंच चुका है कि परमाणु समझौते के समाप्त होने की आशंका बढ़ गई है। अलबत्ता आईएईए के महानिदेशक रफ़ाइल ग्रोसी के ईरान के दौरे और आईएईए की हालिया रिपोर्ट के बाद परमाणु समझौते के बारे में उम्मीद के कुछ झरोखे ज़रूर खुले हैं और इस समझौते के सदस्यों के बीच विश्वास पैदा हुआ है।
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी आईएईए के नए महानिदेशक रफ़ाइल ग्रोसी ने अपनी हालिया रिपोर्ट में बताया है कि ईरान ने अपने दो परमाणु केंद्रों के निरीक्षण और वहां से सैम्पल लेने की इजाज़त दी है जो सकारात्मक क़दम है। ईरान ने आईएईए के साथ सहयोग में अपनी सच्चाई और सद्भावना ज़ाहिर करने के लिए इन केंद्रों के निरीक्षण की अनुमति दी है। इस रिपोर्ट में जो दूसरी अहम बात रेखांकित की गई है वह यह है कि ईरान के पास यूरेनियम का भंडार, परमाणु समझौते में दर्ज, मात्रा से ज़्यादा है। इस संबंध में कुछ अहम बातें जानना ज़रूरी है जिनकी ओर से विश्व समुदाय निश्चेत है और अमरीका उनसे ईरान के ख़िलाफ़ माहौल बनाने के लिए ग़लत फ़ायदा उठ रहा है।
- ईरान ने परमाणु समझौते के परिप्रेक्ष्य में अपनी कटिबद्धताओं का उल्लंघन नहीं किया है और कम संवर्धित यूरेनियम का भंडार, स्वेच्छा से अपनाई गईं परमाणु प्रतिबद्धताओं को कम करने के लिए बढ़ाया गया है और इसकी ईरान खुल कर घोषणा करता है। यह कोई छिपी हुई बात नहीं है बल्कि ईरान का स्वाभाविक हक़ है जिसे परमाणु समझौते में स्पष्ट रूप से माना गया है।
- यूरेनियम के भंडार में वृद्धि की दृष्टि से ईरान को दोषी क़रार देना और उसकी आलोचना के लिए आईएईए को इस्तेमाल करने का कोई क़ानूनी आधार नहीं है। अमरीका, इस्राईल और कुछ अरब देशों के संभावित हमलों का अर्थ यह है कि अपराधी को उसके अपराध की वजह से नहीं बल्कि प्रभावित को दंडित किया जा रहा है। ट्रम्प सरकार परमाणु समझौते से निकल गई और उसने ईरान के ख़िलाफ़ प्रतिबंध बहाल कर दिए और अब वह उसके ख़िलाफ़ राष्ट्र संघ के प्रतिबंधों को बहाल करने की कोशिश कर रही है। इस आधार पर ईरान ने जो भी क़दम उठाया है वह उसका स्वाभाविक अधिकार और अमरीका की ग़ुंडागर्दी एवं आक्रामक नीति का जवाब है।
- रूस ने कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की हालिया रिपोर्ट, ईरान की ओर से भरपूर सहयोग व अच्छी नीयत को सिद्ध करती है और इससे भी बढ़ कर ईरान का सहयोग व सद्भावना, उसकी कमज़ोरी के कारण नहीं है बल्कि उसकी राजनैतिक क्षमता व संप्रभुता की शक्ति के कारण है। इस आधार पर ईरान ने अपनी परमाणु प्रतिबद्धताओं को कम करने के लिए कुछ क़दम उठाए हैं।
- ईरान ने आईएईए से सहयोग की नीति हमेशा ही नतीजे को दृष्टिगत रख कर नहीं अपनाई है बल्कि वह इस अंतर्राष्ट्रीय संस्था के प्रति अपनी सद्भावना ज़ाहिर करना चाहता है। बहुत से मामलों में सद्भावना के साथ क़दम बढ़ाने से ही उचित नतीजा हासिल होता है। ईरान को अभी उसके परमाणु अधिकार नहीं मिले हैं लेकिन वह आईएईए के साथ सहयोग कर रहा है। ईरान के परमाणु अधिकारों की राह में सबसे बड़ी रुकावट अमरीका है जो ग़ुंडागर्दी की नीति अपनाए हुए है लेकिन ईरान सूझ-बूझ के साथ एजेंसी से सहयोग कर रहा है और दुनिया देखेगी कि अंत में विजय ईरान को ही हासिल होगी। (HN)
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