सुरक्षा परिषद को वैधता और विश्वसनीयता के संकट का सामनाः तख़्त रवांची
संयुक्त राष्ट्रसंघ में ईरान के राजदूत ने कहा है कि सुरक्षा परिषद ने अपने ख़राब प्रदर्शनों के कारण और कुछ मामलों में उसके द्वारा की गई ग़ैर-क़ानूनी कार्यवाहियों ने उसकी निष्क्रियता, विश्वसनीयता और यहां तक कि वैधता पर प्रश्न चिंह लगा दिया है।
समाचार एजेंसी इर्ना की रिपोर्ट के मुताबिक़, संयुक्त राष्ट्र संघ में ईरान के राजदूत मजीद तख़्त रवांची ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में सुरक्षा परिषद में सुधार के विषय को लेकर हुई चर्चा में इस परिषद की वर्तमान संरचना की आलोचना की है। ईरान के राजदूत ने कहा कि, सुरक्षा परिषद की सदस्यता में विकासशील देशों की कमज़ोर उपस्थिति इस परिषद को अलोकतांत्रिक बनाती है। तख़्त रवांची ने यह बात ज़ोर देकर कही कि, सुरक्षा परिषद अभी तक पूरी तरह पश्चिमी देशों के नियंत्रण में है और कुछ स्थाई सद्स्यों द्वारा लगातार इसका दरुपयोग किया जा रहा है और यही कारण है कि आज तक इसे इसके द्वारा उठाए गए क़दमों के लिए जवाबदेह नहीं ठहराया गया।
ईरान के राजदूत ने संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के अध्याय 7 का सहारा लेकर सुरक्षा परिषद द्वारा सबसे ज़्यादा और तुरंत की जाने वाली कार्यवाही, जैसे प्रतिबंध का उल्लेख करते हुए कहा कि, सुरक्षा परिषद को इन शक्तियों का उपयोग केवल अंतिम उपाय के रूप में करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह क़दम उस स्थिति में उठाया जाना चाहिए जब विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए सभी रास्ते तलाश किए जा चुके हों और उनके प्रभावों और परिणामों का आकलन किया किया जा चुका हो। तख़्त रवांची ने इसी तरह इस बात पर भी बल दिया कि, प्रतिबंध लगाना हर समस्या का समाधान नहीं है बल्कि यह एक सबसे कमज़ोर तरीक़ा है, क्योंकि इसका असर प्रतिबंधित देशों के कमज़ोर वर्ग पर सबसे ज़्यादा पड़ता है और यह इस तरह की कार्यवाही परिषद के नैतिकता पर भी सवाल खड़ा करती है। बैठक के अंत में ईरान के राजदूत ने कहा कि, संशोधित परिषद को क़ानून का पालन करना चाहिए और चार्टर के अनुसार कार्य करना चाहिए साथ ही अपने कार्यों और निर्णयों के लिए जवाबदेह होना चाहिए। (RZ)