परमाणु समझौते को लेकर अब कोई वार्ता नहीं, अपनी हद को याद रखे आईएईएः ग़रीबाबादी
(last modified Fri, 18 Dec 2020 04:47:32 GMT )
Dec १८, २०२० १०:१७ Asia/Kolkata
  • परमाणु समझौते को लेकर अब कोई वार्ता नहीं, अपनी हद को याद रखे आईएईएः ग़रीबाबादी

वियना में अंतर्राष्ट्रीय संगठनों व संस्थाओं में ईरान के स्थाई राजदूत ने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के महानिदेशक द्वारा ईरान के ज़रिए परमाणु समझौते के प्रति अपनी प्रतिबद्धाओं में कमी लाने के तरीक़े पर की गई टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए साफ़ किया कि, परमाणु समझौते को लेकर अब दोबारा वार्ता नहीं होगी। उन्होंने कहा कि यदि उसे पुनर्जीवित किया जाता है, तो किसी अलग से दस्तावेज़ की आवश्यकता नहीं होगी।

समाचार एजेंसी इर्ना की रिपोर्ट के मुताबिक़, वियना में अंतर्राष्ट्रीय संगठनों व संस्थाओं में ईरान के स्थाई राजदूत काज़िम ग़रीबाबादी ने अपने ट्वीट में लिखा है कि, जैसा कि हमने पहले भी कहा है कि, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की एक मात्र भूमिका केवल परमाणु समझौते की क्रियाओं की निगरानी, उसका सत्यापन और वास्तविक अपडेटेड रिपोर्ट प्रदान करना है। इसके अलावा कि इन प्रतिबद्धताओं को कैसे लागू किया जाएगा, इस संबंध में आईएईए द्वारा की जाने वाली टीका-टिप्पणी निश्चित रूप से एजेंसी की ज़िम्मेदारियों से हटकर है जिससे उसको बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि एजेंसी, परमाणु वार्ता के दौरान अपनी भूमिका निभा चुका है, परमाणु वार्ता के पक्षकारों और एजेंसी के दायित्वों को सटीक और स्पष्ट रूप से लिखा जा चुका है, जिसपर समझौता भी हुआ है, इसलिए सभी पक्षकार यह जानते हैं कि परमाणु समझौते को लागू करने के लिए क्या किया जाना चाहिए।

वियना में अंतर्राष्ट्रीय संगठनों व संस्थाओं में ईरान के स्थाई राजदूत काज़िम ग़रीबाबादी ने इस बात पर बल देते हुए कि परमाणु समझौते को लेकर दोबारा वार्ता नहीं होगी और कहा कि, यदि उसे पुनर्जीवित किया जाता है, तो एजेंसी की भूमिका के बारे में किसी नए दस्तावेज़, या समझौते की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें स्थिति को जटिल बनाने की आवश्यकता नहीं है। याद रहे कि अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के महानिदेशक राफेल ग्रॉसी ने रोएटर्ज़ से वार्ता करते हुए यह दावा किया था कि जो बाइडेन के ज़रिए अमेरिका का राष्ट्रपति पद संभालने के बाद परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने के लिए एक नए समझौते की आवश्यकता होगी। क्योंकि पहले की तुलना में स्थितियां काफ़ी बदली चुकी हैं। उन्होंने दावा किया था कि परमाणु समझौते को लेकर होने वाले उल्लंघन उसमें आसानी से वापस लौटने से बहुत ज़्यादा हैं।

ग्रॉसी द्वारा ऐसी स्थिति में यह दावा किया जा रहा है कि जब ईरान ने अमेरिका द्वारा ग़ैर-क़ानूनी और एकपक्षीय तरीक़े से परमाणु समझौते से निकलने और यूरोपीय पक्षकारों द्वारा अपने वादों पर अमल न करने पर, अपनी प्रतिबद्धाओं में कमी की है। ईरान ने अमेरिका द्वारा ग़ैर-क़ानूनी और एकपक्षीय तरीक़े से परमाणु समझौते से निकलने और यूरोपीय पक्षकारों द्वारा अपने वादों पर अमल न करने के दो वर्षों बाद आईएईए की निगरानी में अपनी प्रतिबद्धाओं में कमी करना आरंभ किया है। ग़ौरतलब है कि, इस्लामी गणतंत्र ईरान ने हमेशा कहा है कि, अमेरिका द्वारा परमाणु समझौते में लौटने की स्थिति में और अन्य पक्षकारों द्वारा अपने वादों पर अमल किए जाने पर तेहरान द्वारा अपनी प्रतिबद्धाओं में लाई गई कमी को तेज़ी के साथ वापस कर दिया जाएगा। (RZ)

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