बाइडन सरकार की नीतियां अभी भी स्पष्ट नहीं, व्हाइट हाउस कोई भी क़दम उठाने से पहले ईरान की कड़ी प्रतिक्रया के बारे में जान ले: ज़रीफ़
इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेश मंत्री ने बल देकर कहा है कि बाइडन सरकार अभी तक अपनी नीतियों को स्पष्ट नही कर सकी है। जबकि इसके मुक़ाबले में ईरान की नीतियां पूरी तरह पारदर्शी और निर्णायक हैं।
समाचार एजेंसी इर्नी की रिपोर्ट के मुताबिक़, इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ चीन के समाचार चैनल फूनीक्स से बातचीत करते हुए कहा कि, परमाणु समझौते को लेकर अमेरिका की नई सरकार के रवैये को देखते हुए ईरान पहले अपना क़दम आगे नहीं बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि सबसे पहले अमेरिका को चाहिए कि वह परमाणु समझौते के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं पर अमल करे और यह दिखाए कि वह इस समझौते को लेकर गंभीर है।
जवाद ज़रीफ़ ने कहा कि, अमेरिका द्वारा परमाणु समझौते को लेकर उठाए जाने वाले हर क़दम से पहले उसको ईरान की कड़ी प्रतिक्रिया के बारे में जान लेना चाहिए। चीनी समाचार चैनल फूनीक्स के पत्रकार ने जब ईरान के विदेश मंत्री से यह पूछा कि, बाइडन ने तो कहा है कि, वॉशिंग्टन परमाणु समझौते को लेकर पहला क़दम नहीं उठाएगा तो ऐसी स्थिति में तेहरान का क्या स्टैंड रहेगा? जवाद ज़रीफ़ ने कहा कि, हमारा मानना है कि अमेरिका ने अभी तक न अपनी नीतियों को स्पष्ट किया है और न ही उसको अंतिम रूप दिया है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में हम देखेंगे कि व्हाइट हाउस कई बार बाइडन के स्टैंड में बदलाव का एलान करेगा।
इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ ने कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि अमेरिका परमाणु समझौते से निकल चुका है, इसलिए इस देश को नैतिकता के आधार पर अपनी ग़लतियों को सुधारते हुए पहले प्रतिबंधों को समाप्त करना चाहिए। फूनीक्स के पत्रकार ने जब यह पूछा कि अगर दोनों पक्ष अपने-अपने स्टैंड पर अड़े रहेंगे तो क्या वार्ता बंद गली में नहीं पहुंच जाएगी?
जवाद ज़रीफ़ ने कहा कि, इस संबंध में ईरान कभी भी अपने दूसरे पक्ष को कोई मौक़ा नहीं देगा। उन्होंने कहा कि वैसे मेरा मानना है कि इस संबंध में वार्ता के लिए बंद गली का कोई अस्तित्व नहीं है। ईरान के विदेश मंत्री ने कहा कि मेरा विश्वास है कि इस समय अमेरिका के अधिकारी अपनी नीतियों पर मंथन कर रहे हैं क्योंकि उनके सामने एक निश्चित विकल्प मौजूद है। उन्होंने कहा कि जो बाइडन जानते हैं कि ट्रम्प की नीतियां ग़लत थीं, इसलिए उन्होंने इस स्थिति से निकलने का फ़ैसला किया है। जवाद ज़रीफ़ ने कहा कि इस स्थिति से निकलने का एक ही रास्ता है और वह है ईरान पर से प्रतिबंधों को समाप्त करना क्योंकि ईरान अब कोई भी मौक़ा नहीं देगा।
उल्लेखनीय है कि ईरान के अधिकारियों ने हमेशा कहा है कि ईरान ने कभी भी वार्ता की मेज़ को नहीं छोड़ा है और जो इस वार्ता की मेज़ को छोड़कर भागा वह अमेरिका है। ईरानी अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया है कि ईरान ने परमाणु समझौते के प्रति जो अपनी प्रतिबद्धताओं को कम किया है उसका आधार परमाणु समझौते का 36वां अनुच्छेद है। जिसमें यह स्पष्टता के साथ कहा गया है कि अगर परमाणु समझौते के दूसरे पक्षों ने अपने वादों पर अमल नहीं किया तो ईरान के पास यह अधिकार होगा कि वह अपनी प्रतिबद्धताओं में कमी ले आए। अमेरिका द्वारा एकपक्षीय और ग़ैर-क़ानूनी तीरक़े से परमाणु समझौते से निकलने के बाद ईरान को जो नुक़सान हुआ है उसकी भरपाई करने का वादा करने वाले यूरोपीय पक्षों ने अपने वादों पर अमल नहीं किया जिसकी वजह से ईरान भी अपनी प्रतिबद्धताओं में कमी ले आया, जबकि ईरानी अधिकारियों ने यह बारमबार कहा है कि जैसे ही दूसरे पक्षों द्वारा अपने वादों पर अमल किया जाएगा वैसे ही ईरान अपनी पहली वाली स्थिति पर लौट जाएगा। (RZ)
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