Apr २३, २०२२ १८:४५ Asia/Kolkata
  • यमन के लोगों का हज़रत अली (अ) से है एक ख़ास रिश्ता, पवित्र क़ुरआन पर मौजूद ख़ून बूंदें किसकी हैं? +वीडियो

पैग़म्बरे इस्लाम (स) के उत्तराधिकारी हज़रत अली (अ) के मुबारक हाथों से लिखी गई क़ुरआन की एक प्रति यमन की राजधानी सनआ में स्थित जामे मस्जिद कबीर की लाइब्रेरी में मौजूद है।

समाचार चैनल अलमसीरा की रिपोर्ट के मुताबिक़, यमन की राजधानी सनआ में स्थित जामा मस्जिद कबीर की लाइब्रेरी के प्रबंधक अली अद्दौला कहते हैं कि हमारे देश में हज़रत अली (अ) के मुबारक हाथों से लिखे गए पवित्र क़ुरआन के संस्करण की मौजूदगी और उसको आज तक पूरी तरह सुरक्षित रखा जाना यह दर्शाता है कि यमनी राष्ट्र और हज़रत अली (अ) के बीच कितना गहरा रिश्ता है। यमन की जनता इमाम अली (अ) पर अपनी जान न्योछावर करती है। इस देश की जनता हज़रत अली को अपना मौला मानती है। ग़ौरतलब है कि वैसे तो सनआ की जामा मस्जिद कबीर के पुस्तकालय में कई पांडुलिपियां रखी गई हुईं हैं, लेकिन यह हज़रत अली (अ) के मुबारक हाथों से लिखे गए पवित्र क़ुरआन का संस्करण सबसे महत्वपूर्ण और प्रमुख है।

जामा मस्जिद कबीर की लाइब्रेरी के प्रबंधक अली अद्दौला कहते हैं कि क़ुरआन के पन्नों के कुछ हिस्से ऐसे पदार्थों से भरे हुए हैं, जो विशेषज्ञों के अनुसार, एक शहीद का ख़ून हैं। अली अद्दौला कहते हैं कि हज़रत अली (अ) द्वारा लिखी गई क़ुरआन की प्रतियां दो खंडों में है। पहला खंड सूरे हम्द से सूरे काफ़ के अंत तक है और दूसरा खंड सूरे मरयम से लेकर सूरे हश्र तक है। यमनी विद्वानों के संघ के सदस्य और इस्लामी शोधकर्ता "हमूद अल-अहनोमी" कहते हैं कि हज़रत अली (अ) द्वारा लिखे गए क़ुरआन का संस्करण का इस्लामी दुनिया में ऐतिहासिक महत्व है क्योंकि यह इस्लामी दुनिया और यमन में सबसे पुराना क़ुरआन है, जो शुरू से अंत तक एक पंक्ति में लिखा गया है। यह मूल प्रति पहले सनआ की ही शहीदैन मस्जिद में रखी हुई थी। (RZ)

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