May १७, २०२२ १९:२३ Asia/Kolkata
  • यमन के आसमान में दिखा दिलचस्प नज़ारा, हज़ारों बार हवाई हमला करने वाले सऊदी अरब की सनआ से उड़े एक विमान ने निकाली हवा!

क़रीब छह वर्षों से अधिक समय से यमन पर सऊदी अरब और उसके सहयोगियों द्वारा किए जा रहे पाश्विक हमलों के बीच सोमवार को पहली बार कोई वाणिज्यिक उड़ान ने यमन की राजधानी सनआ से उड़ान भरते ही अपनी जीत का एलान कर दिया।

यमन की राजधानी सनआ जहां सऊदी अरब और उसके सहयोगियों ने दुनिया के सभी तरह के अपराधों को अंजाम दिया है और लगातार 6 वर्षों से अधिक समय से इस प्रांत पर बम बरसा कर इस कोशिश में थे कि सनआ में रहने वाले हमलावरों की ताक़त से डरकर भाग जाएंगे और वह उसपर क़ब्ज़ा कर लेंगे, लेकिन हुआ बिल्कुल उसके उल्टा। हमलावर सऊदी गठबंधन द्वारा ज़मीनी, हवाई और समुद्री घेराबंदी के बावजूद यमनी राष्ट्र ने हार नहीं मानी और हमलावरों के हर हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया। एक ओर जहां रियाज़ में बैठे आले सऊद की हर दिन उम्मीदें टूटती जा रही थीं वहीं हर दिन पहले दिन से ज़्यादा सख़्ती बर्दाश्त करके यमनी जियालों की उम्मीदें और मज़बूत होती जा रही थीं। सोमवार 17 मई को जब सनआ के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से जॉर्डन के लिए 6 वर्षों के बाद यात्री विमान उड़ा तो लोगों की आंखों में आंसू आ गए। वास्तव में यह आंसू ग़म के नहीं थे बल्कि उस अहंकार को तोड़ने की जीत की ख़ुशी में थे कि जिन्होंने यमन पर यह सोचकर हमला आरंभ किया था कि एक हफ़्ते में युद्ध समाप्त करके सनआ पर क़ब्ज़ा कर लेंगे।

यमन के एक अस्पताल में बीमार बच्चे और उनके परिजन 

उल्लेखनीय है कि यमन की राजधानी सनआ से सोमवार को एक यात्री विमान 126 यात्रियों को लेकर जॉर्डन की राजधानी अम्मान के लिए रवाना हुआ। विमान मरीज़ों और उनके परिवारों को ले जा रहा था, जो इलाज के लिए विदेश जा रहे थे। यह लगभग छह वर्षों बाद सनआ के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से पहली व्यावसायिक उड़ान थी। बता दें कि यमन अरब दुनिया के सबसे ग़रीब देशों में से एक है। व्हीलचेयर पर बैठी एक मरीज़ ने कहा, "मैं सनआ हवाई अड्डे के खुलने से बहुत ख़ुश हूं। आज उत्सव का दिन है और मुझे आशा है कि यह खुला रहेगा।" सनआ निवासी मोहम्मद ज़ैद अली अपनी साढ़े तीन साल की बेटी के साथ यात्रा कर रहे थे। उनकी बेटी को ब्रेन ट्यूमर है। अली ने जॉर्डन पहुंचने पर समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "यमन से इलाज के लिए आ रहे निराशाजनक लोगों से फ्लाइट भरी हुई थी, हम लोगों को इस मौक़े के लिए सात साल तक इंतेज़ार करना पड़ा।" वहीं कुछ यात्रियों ने विश्व जनमत और संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रति अपनी नाराज़गी भी जताई। यात्रियों का कहना था कि सैकड़ों हमारे मरीज़ इलाज़ न मिलने की कारण मौत की नींद सो गए, लेकिन मानवाधिकार संगठन और संयुक्त राष्ट्र संघ केवल तमाशाई बना देखता रहा। दुनिया को मज़बूत संगठन की ज़रूरत है ग़ुलाम और असहाय संगठनों पर ताले लगा देना चाहिए। (RZ)

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