Jun २६, २०२३ १६:५७ Asia/Kolkata
  • सऊदी अरब में भीषण गर्मी के बावजूद हाजियों की संख्या बनाती रिकॉर्ड, इस साल हज है ख़ास!

सऊदी अरब में हज तीर्थयात्रा की शुरुआत हो गई है। बताया जा रहा है कि इस बार 25 लाख से अधिक तीर्थयात्री, इसके लिए सऊदी अरब पहुंचेंगे। ऐसे में इसे इतिहास का सबसे बड़ा जत्‍था क़रार दिया जा रहा है। रविवार से पवित्र मक्‍का में इसकी शुरुआत हो गई है।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, रविवार से पवित्र मक्‍का में तवाफ और काबा में परिक्रमा के साथ ही हज की तीर्थयात्रा शुरू हो गई है। सफेद कपड़ों अर्थात एहराम में मुसलमान तीर्थयात्रियों की भीड़ इस्लाम के सबसे पवित्र स्थल काबा की परिक्रमा कर रही है। उनकी प्रार्थनाएं सऊदी अरब की हवा में गूंजने लगी हैं। हर साल शुरू होने वाली हज यात्रा इस बार एतिहासिक है। माना जा रहा है कि इस साल तीर्थयात्रियों की रिकॉर्ड भीड़ एतिहासिक है जिसे इससे पहले कभी नहीं देखा गया। सऊदी हज और उमरा मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि इस साल, हम इतिहास की सबसे बड़ी हज यात्रा देखने वाले हैं। इस बार 25 लाख से ज़्यादा मुसलमानों के इसमें शामिल होने की उम्‍मीद है। साल 2020 में लागू कोरोनो वायरस महामारी प्रतिबंधों में अब जाकर पूरी ढील दी गई है। कोरोना महामारी के समय साल 2020 में केवल 10,000 लोगों को भाग लेने की अनुमति दी गई थी। जबकि 2021 में 59,000 और पिछले साल दस लाख लोगों की सीमा थी। स्‍थानीय समयानुसार रविवार शाम से तीर्थयात्रियों ने पवित्र मस्जिदुल हराम से क़रीब आठ किमी दूर मेना की ओर जाना शुरू कर दिया। इससे पहले वे अराफ़ात नामक पहाड़ पर इकट्ठा हुए। यहां माना जाता है कि पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने अपना अंतिम उपदेश दिया था।

मेना को तीर्थयात्रियों के लिए तैयार किया गया है, खाद्य आपूर्ति लाई गई है और सुरक्षा बल तैनात कर दिए गए हैं। इस साल का हज एक चुनौती है। इस बार तापमान क़रीब 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। सऊदी अधिकारियों ने कहा कि 32,000 से ज़्यादा स्वास्थ्यकर्मी और हज़ारों एंबुलेंस हीटस्ट्रोक, डि-हाईड्रेशन और थकावट जैसे मामलों के इलाज के लिए तैयार हैं। इस्लामिक नियमों के मुताबिक़ हर सक्षम मुस्लिम वयस्क को यह तीर्थयात्रा करना अनिवार्य है। इसे धर्म के स्तंभों में से एक माना जात है। भले ही यात्रा शारीरिक और भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण अनुभव हो मगर इसको अंजाम देने वाला अल्लाह के ख़ास बंदों में शामिल हो जाता है। 26 जून से एक जुलाई तक हज का आयोजन होगा जबकि 28 जून को ईदुल अज़हा यानी बक़रीद मनाई जाएगी। हज करना काफ़ी महंगा होता है। इसके बावजूद हज की यात्रा अक्सर कई लोगों के बीच उम्‍मीद को जगाती है। यहां पर लोग युद्ध और ग़रीबी के अलावा व्यवसायिकों देशों से भी लोग पहुंचते हैं। कई लोग तक इस यात्रा के लिए बरसों तक बचत तक करते हैं। (RZ)

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