Jul २९, २०२३ १५:११ Asia/Kolkata

सऊदी अरब के पवित्र शहर मदीने में स्थित ऐतिहासिक क़ब्रिस्तान जन्नतुल बक़ी में मोहर्रम की नौ तारीख़ को ऐसी तस्वीरें सामने आई कि हर हुसैनी का कलेजा मुंह को आ गया। शबे आशूरा थी और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के श्रद्धालु उनकी मां हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा को उनके बेटे का पुरसा दे रहे थे।

प्राप्त समाचार के मुताबिक़, जन्नतुल बक़ी क़ब्रिस्तान में मोहर्रम की नौ तारीख़ को पैग़म्बरे इस्लाम (स) के प्राण प्रिय नवासे हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शोक सभा का आयोजन हुआ। मिली जानकारी के अनुसार, इस साल सऊदी अरब की सरकार ने इस शोक सभा के लिए आधिकारिक तौर पर इजाज़त दी थी। बता दें कि पिछले कई दशकों से जन्नतुल बक़ी क़ब्रिस्तान में किसी भी तरह के कार्यक्रम विशेषकर अज़ादारी के कार्यक्रमों पर पूरी तरह पाबंदी लगी हुई थी। ग़ौरतलब है कि जन्नतुल बक़ी क़ब्रिस्तान में पैग़म्बरे इस्लाम (स) की सुपुत्री हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स), उनके नवासे हज़रत इमाम हसन (अ) उनके पौत्र इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ), इमाम मोहम्मद बाक़िर (अ), इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) समेत कई अन्य इस्लामिक हस्तियों की क़ब्रें हैं।  

हालिया दिनों में सऊदी अरब और इस्लामी गणराज्य ईरान के बीच समान्य हुए रिश्तों के बाद आले सऊद शासन ने इस बार इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का शोक मनाने वालों की मेज़बानी की ज़िम्मेदारी स्वीकार की है। इसीलिए क़ब्रिस्तान में तैनात सुरक्षा बलों ने अज़ादारी करने वाले श्रद्धालुओं के किसी भी कार्य में कोई हस्तक्षेप नहीं किया और मातम और नौहा करने वालों को पूरी आज़ादी के साथ ग़म मनाने का मौक़ा दिया। इस अवसर पर भारी संख्या में अज़ादारों ने लब्बैक या हुसैन के नारे भी लगाए। उल्लेखनीय है कि बक़ीअ क़ब्रिस्तान सऊदी अरब में स्थित है और आले सऊद वंश ने हिजाज़ और मक्का व मदीना नगरों पर क़ब्ज़े के बाद वह्हाबी धर्मगुरुओं के फ़तवे को आधार बना कर इस्लामी कैलेंडर के अनुसार आठ शव्वाल सन 1344 हिजरी क़मरी को बक़ीअ क़ब्रिस्तान में स्थित सभी मज़ारों को ध्वस्त कर दिया था। (RZ)

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