Aug ३१, २०२३ १६:५३ Asia/Kolkata

दोस्तो 6 सितंबर को इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफादार और निष्ठावान साथियों का चेहलुम है।

इस समय दुनिया के कोने कोने से लाखों श्रद्धालु इराक पहुंच चुके और पहुंच रहे हैं और इराक के पवित्र नगर नजफ से पवित्र नगर कर्बला तक पैदल चल रहे हैं। इन दोनों नगरों के बीच की दूरी लगभग 80 किलोमीटर है जिसके बीच हज़ारों शिविर लगे हुए हैं जहां इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के श्रृद्धालुओं का स्वागत किया जा रहा है और उनकी ज़रूरत की लगभग समस्त चीज़ें उपलब्ध हैं। यही नहीं इराक के पवित्र नगर नजफ और कर्बला के बीच सुन्नी मुसलमानों ने भी अपने शिविर लगा रखे हैं जहां इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के चाहने वालों का स्वागत किया जा रहा है।

यहां इस बात का उल्लेख ज़रूरी है और वह यह है कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के जो श्रृद्धालु इराक पहुंचे हैं उनमें एसे भी लोग हैं जो मुसलमान नहीं हैं जो इस बात का सूचक है कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का संबंध किसी विशेष सप्रंदाय व धर्म के मानने वालों से नहीं है बल्कि इमाम हुसैन का संबंध समस्त मानवता से है। उसकी एक वजह यह है कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम उस हस्ती के उत्तराधिकारी हैं जिसे महान ईश्वर ने पूरे संसार के लिए रहमत व दया बनाकर भेजा था। जिस तरह महान ईश्वर ने पैग़म्बरे इस्लाम को पूरी मानवता की मुक्ति व कल्याण के लिए भेजा है उसी तरह इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम भी समूची मानवता की मुक्ति की नाव हैं।

यह इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के प्रति लोगों का असीम प्रेम है जो लोगों को अपनी ओर खींच रहा है। पैग़म्बरे इस्लाम ने अपनी एक हदीस में फरमाया है कि बेशक हुसैन मार्गदर्शन के चेराग़ हैं और नजात की कश्ती। लोगों का जनसैलाब पैग़म्बरे इस्लाम की हदीस की व्याख्या कर रहा है। पैग़म्बरे इस्लाम ने कहीं भी यह नहीं कहा है कि इमाम हुसैन मुसलमानों के मार्गदर्शन के चेराग़ हैं बल्कि यह कहा है कि हुसैन हिदायत के चेराग़ हैं। जिसे भी हिदायत चाहिये वह इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शरण में जाये और जो भी वास्तविक अर्थों में इमाम हुसैन की शरण में चल गया, लोक- परलोक में उसकी मुक्ति निश्चित है। क्योंकि वह इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की नाव में सवार हो गया है और यह वह नाव है जिसमें सवार होने वाले की मुक्ति निश्चित है।

यहां कोई यह कह सकता है कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम उस वक्त हिदायत के चेराग़ थे जब वह ज़िन्दा थे अब वह शहीद हो चुके हैं? तो इस सवाल के जवाब में कहा जा सकता है कि पैग़म्बरे इस्लाम ने यह नहीं कहा था कि इमाम हुसैन केवल उस समय हिदायत के चेराग़ हैं जब तक वह ज़िन्दा हैं बल्कि उन्होंने किसी प्रकार की शर्त के बिना कहा था कि इमाम हुसैन हिदायत व मार्गदर्शन के चेराग़ हैं जिससे पूरी तरह स्पष्ट है कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम हर समय के लोगों के लिए मार्गदर्शन के चेराग हैं।

बहरहाल इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का संबंध पूरी मानवता से है और वह पूरी मानवता के लिए हिदायत के चेराग़ हैं और इस समय ग़ैर मुसलमानों का भी इराक में मौजूद होना इस बात का जीवंत सुबूत है कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम सबके हैं। जोश मलीहाबादी ने कितना अच्छा शेर कहा है कि इंसान को बेदार तो हो लेने दो हर कौम पुकारेगी हमारे हैं हुसैन। MM

 

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