Feb १६, २०२४ १६:४१ Asia/Kolkata
  • हिज़्बुल्लाह और इस्राईल के बीच क्या व्यापक युद्ध छिड़ने वाला है?

दक्षिणी लेबनान के नबतिया शहर पर मिसाइल हमला करके ज़ायोनी शासन ने हिज़्बुल्लाह के साथ अपने टकराव को नए चरण में पहुंचा दिया है। यह हमला बहुत महत्वपूर्ण है और इसके ख़ास संदेश हैं।

7 अक्तूबर 2023 को हमास की ओर से तूफ़ान अलअक़सा आप्रेशन किए जाने के बाद ज़ायोनी शासन ने ग़ज़ा पट्टी पर वहशियाना अंदाज़ा में हमले शुरू किए। ज़ायोनी शासन पर अंकुश लगाने के लिए हिज़्बुल्लाह लेबनान और रेज़िस्टेंस एक्सिस से जुड़ी दूसरी फ़ोर्सेज़ ने ज़ायोनी शासन पर हमले शुरू किए। हिज़्बुल्लाह की ओर से लगातार कार्यवाही की गई।

हिज़्बुल्लाह प्रमख सैयद हसन नसरुल्लाह के अनुसार 8 अक्तूबर से ही हिज़्बुल्लाह पूरी तरह युद्ध के मैदान में है और हिज़्बुल्लाह ने अपनी कार्यवाहियों से ज़ायोनी शासन की एक तिहाई सेना को इंगेज कर रखा है।

दक्षिणी लेबनान के सीमावर्ती इलाक़ों में अब तक होने वाली झड़पों की ख़ास बात यह थी कि इस्राईल और हिज़्बुल्लाह अब तक पांच किलोमीटर या सात किलोमीटर भीतर तक हमले कर रहे थे मगर ज़ायोनी शासन ने नबतिया पर हमला करके टकराव के नए स्तर पर पहुंचा दिया है। नबतिया शहर सीमा से 50 किलोमीटर भीतर स्थित है। इस हमले में हिज़्बुल्लाह के कमांडर अली मुहम्मद अलदिब्स सहित 12 लोग शहीद हो गए जिनमें कई बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं। इस्राईल ने यह हमला एक आवासीय इमारत पर किया था।

हिज़्बुल्लाह ने मक़बूज़ा फ़िलिस्तीन के भीतर सफ़द नामक ज़ायोनी शासन के नियंत्रण वाले शहर पर हमला किया जो सीमा से 15 किलोमीटर भीतर स्थित है। हिज़्बुल्लाह के इस हमले में इस्राईल का एक सैनिक मारा गया और कम से कम आठ सैनिक घायल हो गए।

हिज़्बुल्लाह ने इस पूरे अर्से में इस बात पर पूरा ध्यान दिया है कि हमला केवल ज़ायोनी सैनिक ठिकानों पर किया जाए आम नागरिकों और आवासीय इमारतों को निशाना न बनाया जाए।

हालिया दो तीन दिनों की घटनाओं के बाद अब यह चर्चा तेज़ हो गई है कि हिज़्बुल्लाह और ज़ायोनी शासन के बीच झड़पों का दायरा बढ़ेगा लेकिन क्या यह झड़पें व्यापक युद्ध का रूप ले लेंगी या नहीं इस पर अलग अलग विचार सामने आ रहे हैं।

हिज़्बुल्लाह की तरफ़ से नबतिया शहर पर हमले के बारे में यह बयान आया है कि ज़ायोनी शासन के इस अपराध का बदला ज़रूर लिया जाएगा।

दरअस्ल 7 अक्तूबर के हमास के हमले के बाद ज़ायोनी शासन बहुत कमज़ोर स्थिति में पहुंच गया है और इस्राईलियों में भी यह विचार आम है कि इस्राईल की डिटरेंस पावर ख़त्म हो चुकी है। इस्राईली विचारकों का मानना है कि इस्राईल की डिटरेंस पावर के समाप्त हो जाने का सीधा अर्थ यह है कि इस्राईल का अस्तित्व बाक़ी रह पाना कठिन है क्योंकि ज़ायोनी शासन जिस इलाक़े में मौजूद है वहां वह केवल ताक़त अपराधों व अत्याचारों के ज़रिए ही बाक़ी रह सकता है।

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