Feb २१, २०२४ १५:२४ Asia/Kolkata

ग़ज़्ज़ा में संघर्ष विराम के ताज़ा प्रस्ताव को अमरीका ने वीटो कर दिया है।

अमरीकी क्रियाकलाप यह बताते हैं कि फ़िलिस्तीनियों के जनसंहार में वह अवैध ज़ायोनी शासन के साथ खड़ा है।  यही कारण है कि उसने इस्राईल के समर्थन में ग़ज़्ज़ा में तत्काल संघर्ष विराम के ताज़ा प्रस्ताव को वीटो कर दिया है। 

अरब देशों का प्रतिनिधित्व करते हुए अल्जीरिया की ओर से राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में ग़ज़्ज़ा युद्ध में तत्काल संघर्ष विराम को लेकर एक प्रस्ताव पेश किया गया था।  मंगलवार को सुरक्षा परिषद में होने वाली बैठक में इस परिषद के सदस्यों की ओर से प्रस्ताव के पक्ष में अधिकांश सदस्यों के मतदान के बावजूद अमरीका ने इसको वीटो कर दिया।  अमरीका का पिछलग्गू होने के कारण ब्रिटेन ने इस मतदान में नकारात्मक वोटिंग की। 

जबसे ग़ज़्ज़ा पर ज़ायोनियों ने अपने पाश्चिक हमले आरंभ किया हैं उस समय से अबतक इन हमलों को रुकवाने के उद्देश्य से विश्व समुदाय की ओर से तीन बार प्रस्ताव लाए जा चुके हैं।  इन प्रस्तावों को तीनो बार अमरीका ने वीटो करके दिखा दिया कि ग़ज़्ज़ा युद्ध में वह किसके साथ है?  संयुक्त राष्ट्रसंघ में अमरीका की विशेष दूत लिंडा थाॅमस ग्रीनफील्ड ने दावा किया है कि अल्जीरिया की ओर से पेश किया गया प्रस्ताव वास्तव में बंदियों के आदान-प्रदान के समझौते के मार्ग की बाधा था।  इसपर अपनी प्रतिक्रिया में राष्ट्रसंघ में फ़िलिस्तीनियों के प्रतिनिधि रियाज़ मंसूर ने अमरीकी वीटो की कड़ी निंदा करते हुए इसको बहुत ही ख़तरनाक काम बताया है।  उन्होंने कहा कि इससे फ़िलिस्तीनियों के जनसंहार में ही वृद्धि होेगी।  अमरीका ने एसी हालत में ग़ज़्ज़ा में तत्काल संघर्ष विराम के प्रस्ताव को वीटो किया है कि जब ग़ज़्ज़ा में शहीद होने वाले फ़िलिस्तीनियों की संख्या 29 हज़ार से भी अधिक हो चुकी है। 

दूसरी बात यह है कि अमरीका की ओर से यह प्रस्ताव उस सूरत में वीटो किया जा रहा है कि जब अवैध ज़ायोनी शासन, ग़ज़्ज़ा के रफ़्ह नगर पर हमला करने की तैयारी कर रहा है।  यह ग़ज़्ज़ा का एसा क्षेत्र है जहां पर लाखों फ़िलिस्तीनी इस समय मौजूद हैं।  रफह में वर्तमान समय में मौजूद फ़िलिस्तीनियों की संख्या 14 लाख से अधिक बताई जा रही है।  इनमें से बहुत से फ़िलिस्तीनी अन्य स्थानों से भागकर यहां पर पनाह लिए हुए हैं।  इनके भविष्य को लेकर लोगों में चिंता पाई जाती है। 

अगर ध्यान से देखा जाए तो सात अक्तूबर के बाद से अब ग़ज़्ज़ा में शहीद और घायल होने वाले फ़िलिस्तीनियों की संख्या लगभग एक लाख हो रही है।  वहां पर 29 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं जबकि घायलों की संख्या 70 हज़ार को पार कर चुकी है।  वास्तविकता यह है कि सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव को वीटो करके अमरीका, फ़िलिस्तीनियों के जनसंहार के लिए इस्राईल का हाथ खुला रखना चाहता है।  इस काम से जहां एक ओर तो ग़ज़्जा के इन्फ्रास्टकचर को पूरी तरह से नष्ट किया जा सकेगा वहीं पर दूसरी ओर फ़िलिस्तीनियों को अपनी मातृभूमि से दूसरे स्थानों की ओर पलायन करने पर भी विवश किया जाएगा।

यह वह मुद्दा है जो ज़ायोनी अधिकारियों के दिमाग़ में काफी पहले से है और हालिया महीनों के दौरान इसकी सुगबुगाहट भी सुनाई दी है।  ज़ायोनी चाहते हैं कि आर्थिक सहायता की आड़ में ग़ज़्ज़ावासियों को मिस्र तथा जार्डन में पलायन के लिए मजबूर किया जाए।  इसका विरोध फ़िलिस्तीनी और क्षेत्रीय देशों की ओर से किया जा रहा है।  एसे में ज़ायोनियों और उसके खुले समर्थकों अमरीका एवं ब्रिटेन की चालों को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए।    

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