Mar २६, २०२४ १५:३२ Asia/Kolkata
  • यमन के अंसारुल्ला आन्दोलन के नेता कहते हैं कि एक अचंभा, अमरीका-ब्रिटेन और इस्राईली त्रिकोण के इंतेज़ार में है
    यमन के अंसारुल्ला आन्दोलन के नेता कहते हैं कि एक अचंभा, अमरीका-ब्रिटेन और इस्राईली त्रिकोण के इंतेज़ार में है

अब्दुल मलिक अलहूसी कहते हैं कि अगला साल, यमन की सेना की ओर से वर्चस्ववादियों के विरुद्ध चमत्कार का साल होगा

पार्सटुडे- अब्दुल मलिक अलहूसी ने यमन के राष्ट्रीय प्रतिरोध दिवस के अवसर पर अरब शासकों से अमरीकी नीतियों का अंधा अनुसरण न करने का आह्वान किया है।इसी के साथ अंसारुल्ला के नेता ने इस्लामी गणतंत्र ईरान, हिज़बुल्ला और इराक़ द्वारा यमन की जनता के सर्मथन की सराहना की है।

अंसारुल्ला आन्दोलन के नेता सैयद अब्दुल मलिक बदरुद्दीन अलहौसी ने यमन के राष्ट्रीय प्रतिरोध की नवीं वर्षगांठ पर इस देश पर अमरीका, ब्रिटेन और इस्राईल के त्रिकोण के हमले की ओर संकेत किया।  उन्होंने कहा कि अगला साल यमन की सेना की ओर से सैन्य वर्चस्ववादियों के विरुद्ध चमत्कार का साल होगा। 

अब्दुल मलिक अलहूसी ने अतिक्रमणकारियों के मुक़ाबले में यमनियों के प्रतिरोध की सराहना करते हुए कहा कि अतिक्रमण के नवें साल भी यमनी राष्ट्र, डटकर विरोध कर रहा है।

अंसारुल्ला के नेता ने बताया कि यमन के विरुद्ध युद्ध का षडयंत्र अमरीका, ब्रिटेन और इस्राईल ने तैयार किया था जिसको उनके अरब घटक ने व्यवहारिक बनाया।  उन्होंने अमरीका, ब्रिटेन और इस्राईल के त्रिकोण को चेतावनी देते हुए यमन की जनता को यह शुभ सूचना दी है कि यमन के राष्ट्रीय प्रतिरोध के दसवें वर्ष अर्थात अगले साल यमन की सेना, देश की जनता और अत्याचारग्रस्त फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में उन्नत सैन्य उपलब्धियों के साथ दुश्मन के मुक़ाबले में होगी। 

अंसारुल्ला नेता अब्दुल मलिक अलहूसी के अनुसार यमन पर सैन्य हमला अमरीका, ब्रिटेन और इस्राईल के गठबंधन के सुनियोजित षडयंत्र का परिणाम था।  अलमयादीन टीवी चैनेल की रिपोर्ट के अनुसार यमन पर हमला अमरीका, ब्रिटेन और इस्राईल की योजना का नतीजा था जिसको अतिक्रमणकारी घटक ने लागू किया।  इस दौरान अतिक्रमणकारी घटक के 282879 तत्व हताहत और घायल हुए।  अंसारुल्ला के नेता बदरुद्दीन अलहूसी ने बताया कि यमन पर हमले का मुख्य लक्ष्य, पूरे क्षेत्र को लपेटे में लेना था। 

उन्होंने कहा कि हम सारे ही अरब और इस्लामी देशों के साथ शांति के इच्छुक हैं और किसी देश के विरुद्ध द्वेषपूर्ण सोच नहीं रखते हैं।  उन्होंने बताया कि सऊदी अरब और संयुक्त अरब इमारात के पास यमन में शांति स्थापित करने में विलंब का कोई औचित्य नहीं है। 

अंसारुल्ला के अनुसार इस समय हमारा सीधा मुक़ाबला अमरीका, ब्रिटेन और इस्राईल के त्रिकोंण से है।  सऊदी अरब और यूएई को चाहिए कि वे तनाव बढ़ाने के कारकों से दूर रहते हुए शांति की स्थापना के प्रयास करें। 

अपने संबोधन के दूसरे भाग में अंसारुल्ला के नेता ने कहा कि अमरीकी नीतियों का अनुसरण किसी भी अरब देश के हित में नहीं है इसीलिए हम अमरीकी नीतियों के अंधु अनुसरण को मना करते हैं।  अब्दुल मलिक अलहूसी ने निष्पक्ष और न्यायपूर्ण समाधान निकालने पर बल दिया। 

उन्होंने यमन का साथ देने वाले सभी पक्षों का आभार व्यक्त किया जिनमें ईरान, हिज़बुल्ला और इराक़ सर्वेपरि हैं।  अंसारुल्ला के नेता अब्दुल मलिक अलहूसी ने ग़ज़्ज़ा के अत्याचारग्रस्त लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि फ़िलिस्तीनी राष्ट्र के समर्थन में हमारी कार्यवाहियां जारी रहेंगी।

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