Mar २७, २०२४ १८:५५ Asia/Kolkata
  • हस्बारा, इस्राईल के ख़िलाफ़ हर आवाज़ को ख़ामोश करने की एक बड़ी साज़िश

ग़ज़ा में इस्राईल के युद्ध अपराध और निर्दोष फ़िलिस्तीनियों का नरसंहार जारी है, इसके बावजूद अकसर पश्चिमी मेन स्ट्रीम मीडिया में इस्राईल के पक्ष में रिपोर्टों का प्रकाशन और प्रसारण जारी है।

यह मीडिया ख़ुद को न्यूट्रल दिखाने की आड़ में, क़ब्जे वाले अल-क़ुद्स में झड़पों को दोनों पक्षों के बीच "झड़पों" के रूप में पेश कर रहा है। वहीं, ग़ज़ा पर इस्राईल की निर्दयी बमबारी को जिसके परिणामस्वरूप 32,000 से ज़्यादा लोग शहीद हो गए हैं, आत्मरक्षा और हमास के हमलों के जवाब के रूप में पेश किया जा रहा है।

ज़ायोनी शासन अच्छी तरह से जानता है कि धारणा वास्तविकता को आकार देती है। हालांकि यह शासन जवाही कार्यवाही के नाम पर युद्ध अपराध करने में लगा हुआ है, लेकिन इसके बावजूद यह तभी अपने अपराधों को जारी रख सकता है, जब शक्तिशाली प्रचार मशीन उसके पक्ष में काम कर रही हो, जिसके सहारे वह सार्वजनिक निंदा और फ़िलिस्तीनियों के साथ अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता का मुक़ाबला कर सके।

हस्बारा, जिसका हिब्रू में अर्थ है स्पष्टीकरण, सार्वजनिक कूटनीति के संदर्भ में प्रचार का एक रूप है और यह ज़ायोनी शासन के सूचना युद्ध को उसके रणनीतिक लक्ष्यों के साथ जोड़कर काम करने के लिए जाना जाता है।

इस्राईल की प्रोपैगंडा मीशनरी के मुताबिक़, विश्व मंच पर इस्राईल की पॉज़िटिव इमेज गढ़ने के लिए सार्वजनिक कूटनीति को रणनीतिक रूप में विदेश नीति की प्राथमिकता के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए, विशेष रूप से उन चुनौतियों को देखते हुए जिनका यह शासन 1948 में अपनी स्थापना के बाद से सामना कर रहा है।

आधुनिक युग में हस्बारा प्रचार ने ज़ायोनी शासन द्वारा प्रचारित वीडियो, इन्फ़ोग्राफ़िक्स और व्यापक सोशल मीडिया पोस्ट्स और हैशटैग का रूप ले लिया है।

हस्बारा प्रचार का उद्देश्य, मास मीडिया के ज़रिए राजनयिकों, राजनेताओं और लोगों की धारणा और दृष्टिकोण को बदलना है और इसमें इस शासन के संस्थान, संगठन, अनुसंधान केंद्र, विश्वविद्यालय और ग़ैर सरकारी संगठन मदद करते हैं।

2012 में, इस्राईल ने ट्विटर पर "ऑपरेशन पिलर ऑफ़ डिफेंस" या ग़ज़ा पट्टी में 8 दिवसीय युद्ध की घोषणा की। युद्ध के दौरान, ज़ायोनी शासन ने अमेरिकी और यूरोपीय मीडिया का भरपूर फ़ायदा उठाते हुए ब्राउज़रों, सर्च इंजनों, एल्गोरिदम और अन्य तंत्रों के माध्यम से अपने हस्बारा प्रचार एजेंडे को आगे बढ़ाया, जो दर्शकों को प्रस्तुत की गई सामग्री को नियंत्रित करते हैं।

इस प्रक्रिया में, इस्राईल ने ख़ुद को फ़िलिस्तीनी आतंकवाद के पीड़ित के रूप में पेश किया, ताकि अपने अस्तित्व पर हमले के ख़िलाफ़ आत्मरक्षा के अधिकार के रूप में इसका प्रचार कर सके।

2014 में, ग़ज़ा के लोगों के ख़िलाफ़ इस्राईल के युद्ध को एक बार फिर "ऑपरेशन प्रोटेक्टिव एज" का नाम दिया गया, लेकिन हस्बारा प्रचार और इस्राईली मीडिया के दुष्प्रचार के बावजूद, ग़ज़ा में ज़ायोनी शासन के अपराधों पर दुनिया भर में फैलने वाले आक्रोश का स्तर कम नहीं हुआ।

सोशल मीडिया पर निर्दोष नागरिकों के नरसंहार और विनाश की तस्वीरों से हस्बारा के निर्णय निर्माताओं को अधिक संगठित रूप में अपने वर्तमान और भविष्य के अपराधों पर पर्दा डालने के प्रयासों को दोगुना करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

अगर हस्बारा प्रचार विफल हो जाता है, तो इस्राईल अपनी पुरानी रणनीति पर लौटने के लिए तैयार है। जिसमें ख़ुद को आतंकवाद के पीड़ित के रूप में परिभाषित करना और हमास को वैश्विक स्तर पर आतंकवाद का प्रतिनिधि बताना शामिल है।

आज हम अंतरराष्ट्रीय मीडिया में लगातार यह दोग़लापन देख रहे हैं। इस योजना के तहत इस्राईल को एक निर्दोष अभिनेता के रूप में पेश किया जाता है, जिसे एक तर्कहीन आतंकवादी ख़तरे से उकसाया गया था और इस्राईल के अपराधों की किसी भी आलोचना को आतंकवाद के समर्थन के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

लेकिन संभवतः सबसे आम रणनीति इस्राईली नीतियों की किसी भी आलोचना को, चाहे मानवाधिकारों का हनन हो या फ़िलिस्तीनी सरज़मीन पर अवैध क़ब्ज़ा हो, यहूदी-विरोधी भावना के साथ जोड़ना है।

हालिया वर्षों में इस्राईल के सामने रणनीतिक ख़तरों में से एक बहिष्कार आंदोलन बीडीएस रहा है। इस्राईली अधिकारियों ने बीडीएस का समर्थन करने वालों को यहूदी-विरोधी क़रार देने का प्रयास किया है, और दावा किया है कि यह आतंकवाद के समर्थन से जुड़ा आंदोलन है। अमेरिका में बीडीएस विरोधी क़ानून भी पारित किए गए हैं।

ऑनलाइन, हसबारा का प्रचार प्रमुख सोशल मीडिया कंपनियों पर दबाव डालता है कि इस्राईल की किसी भी आलोचना को यहूदी विरोधी भावना ठहराया जाए।

अंत में, हस्बारा प्रचार का लक्ष्य फ़िलिस्तीनियों की एक आदिम इमेज गढ़ी जाए, और पश्चिमी दर्शकों के मन में उनकी अमानवीय छवि पेश की जाए, ताकि इस्राईल के ख़िलाफ़ किसी भी विरोध और आलोचना को ग़लत ठहराया जा सके। msm

 

टैग्स