(सलाह-मशवेरा मार्गदर्शन का चेराग़ है) हज़रत अली अलैहिस्सलाम की 9 शिक्षाप्रद सिफ़ारिशें
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इराक़ के पवित्र नगर नजफ़ में पैग़म्बरे इस्लाम के उत्तराधिकारी हज़रत अली अलैहिस्सलाम के रौज़े की तस्वीर
इराक़ के पवित्र नगर नजफ़ में पैग़म्बरे इस्लाम के उत्तराधिकारी हज़रत अली अलैहिस्सलाम के रौज़े की तस्वीर, प्रतिवर्ष पैग़म्बरे इस्लाम और अहलेबैत अलै. से प्रेम करने वाले लाखों श्रद्धालु इस पावन समाधि की ज़ियारत के लिए जाते हैं।
पार्सटुडे- हज़रत अली बिन अबीतालिब अलैहिस्सलाम वह पहले महान व्यक्ति थे जिन्होंने पैग़म्बरे इस्लाम की पैग़म्बरी की पुष्टि की और पैग़म्बरे इस्लाम ने उन्हें अमीरुल मोमिनीन की विशेष उपाधि प्रदान की।
हज़रत अली अलैहिस्सलाम पैग़म्बरे इस्लाम की सुपुत्री हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह के पति और इमाम हसन, इमाम हुसैन और हज़रत ज़ैनब के पिता हैं।
शिया और अहले सुन्नत की एतिहासिक किताबों के अनुसार हज़रत अली अलैहिस्सलाम वह पहले महान व्यक्ति हैं जिन्होंने पैग़म्बरे इस्लाम की पैग़म्बरी की पुष्टि की और पैग़म्बरे इस्लाम ने विशेष रूप से उन्हें अमीरूल मोमिनीन की उपाधि प्रदान की और पैग़म्बरे इस्लाम ने अल्लाह के आदेश से उन्हें अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया। अलबत्ता सन 11 हिजरी क़मरी में पैग़म्बरे इस्लाम के स्वर्गवास के बाद कुछ चीज़ें कारण बनीं जिसकी वजह से हज़रत अली अलैहिस्सलाम पैग़म्बरे इस्लाम के उत्तराधिकारी न बन सके और वर्षों उन्हें इस पद से दूर रखा गया।
पैग़म्बरे इस्लाम इरशाद फ़रमाते थे कि मैं शहरे इल्म हूं और अली उसका दरवाज़ा हैं। इसी प्रकार पैग़म्बरे इस्लाम बारमबार फ़रमाते थे कि मेरी अली से वही निस्बत है जो हारून की मूसा से थी। हज़रत अली अलैहिस्सलाम सन 35 हिजरी क़मरी से 40 हिजरी क़मरी तक लगभग 5 वर्षों तक मुसलमानों के ख़लीफ़ा रहे और न्याय उनकी इस्लामी सरकार का आधार था।
जंगे सिफ़्फ़ीन हज़रत अली अलैहिस्सलाम और मोआविया बिन अबी सुफ़यान के मध्य हुई थी। इस जंग के दो साल बाद हज़रत अली अलैहिस्सलाम पर कूफ़ा की मस्जिद में सुबह की नमाज़ पढ़ाते समय प्राणघातक हमला किया गया और उसी हमले की वजह से 21 रमज़ान को हज़रत अली अलैहिस्सलाम शहीद हो गये।
हज़रत अली अलैहिस्सलाम के कथनों, पत्रों और सिफ़ारिशों के महत्वपूर्ण भाग को नहजुल बलाग़ा नामक किताब में जमा किया गया है। यहां हम हज़रत अली अलैहिस्सलाम की कुछ महत्वपूर्ण नैतिक सिफ़ारिशों का उल्लेख कर रहे हैं।
अपनी कमियों में व्यस्त होना
हज़रत अली अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं कि जो अपनी कमियों को देखता है वह दूसरों की कमियों को नहीं देखता है
दोस्ती और दुश्मनी करने में सीमा व संतुलन का ध्यान रखना
अपने दोस्त से इतनी दोस्ती करो कि शायद एक दिन वह तुम्हारा दुश्मन हो जायेगा और अपने दुश्मन से इतनी दुश्मनी करो कि शायद एक दिन वह तुम्हारा दोस्त हो जायेगा।
दूसरों के अंजाम से सीख लेना
ख़ुशनसीब वह है जो दूसरों के अंजाम से सीख ले।
उस जगह से दूर रहना चाहिये जहां आरोप लगने का ख़तरा हो
जो आरोप लगने की जगह पर जाये उसे स्वयं की भर्त्सना नहीं करनी चाहिये।
त्याग व अदालत
दो चीज़ें हैं जिनके सवाब को तौला नहीं जा सकता, माफ़ करना और न्याय
अल्लाह की नेअमतों के बारे में चिंतन -मनन करना
अल्लाह की नेअमतों के बारे में चिंतन- मनन करना अच्छी इबादत है।
ख़ुदपसंदी
ख़ुदपसंदी व आत्ममुग्धता मूर्खता की जड़ है।
सलाह-मशवेरा
सलाह मशवेरा मार्गदर्शन का चेराग़ है।
मूर्ख का जवाब
मूर्ख का जवाब न देना जवाब देने से बेहतर है। MM