आख़िरकार अर्दोग़ान ने भी ईरान की ताक़त का लोहा मान लिया...आडियो
तुर्किए के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोग़ान ने रूस, सीरिया और तुर्किए के बीच त्रिपक्षीय बैठक में ईरान की उपस्थिति पर ज़ोर दिया। अपने बयान में तुर्क राष्ट्रपति ने कहा कि ईरान संयुक्त त्रिपक्षीय बैठक में भी भाग लेगा।
तुर्क राष्ट्रपति ने कहा कि हमें रूस, सीरिया और तुर्किए के बीच एक बैठक करनी चाहिए, ईरान भी उसमें शामिल हो और हमने इस संबंध में अच्छे परिणाम हासिल किए हैं। तुर्किए के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोग़ान ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि ईरान, तुर्किए और सीरिया के बीच संबंधों को सामान्य बनाने की वार्ता में भी शामिल होगा।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि ईरान की उपस्थिति और भागीदारी के बिना सीरिया में शांति स्थापित करना संभव नहीं है। इसीलिए यह कहा जाना चाहिए कि ईरान की भागीदारी, सीरिया में शांति स्थापित करने की आवश्यकताओं में से एक अहम ज़रूरत है।
इसके अलावा, ईरान को मध्य एशिया के विभिन्न क्षेत्रों और दुनिया के अन्य क्षेत्रों में शांति का अनुभव है। वास्तव में, तेहरान के अधिकारियों द्वारा प्राप्त अनुभव सीरिया में शांति स्थापित करने के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगा।
इसके साथ ही अनुभव से पता चलता है कि क्षेत्र में विशेषकर सीरिया में शांति स्थापित करने के बारे में कुछ देशों का एकपक्षीयवाद, उस देश के लिए हमेशा नुक़सान का सौदा साबित होता है।
यदि ईरान शांति वार्ता में भाग लेता है तो भविष्य की कई समस्याएं हल हो जाएंगी। इस स्थिति में सीरिया में शांति प्रक्रिया में ईरान की भागीदारी पर तुर्किए राष्ट्रपति का ज़ोर, सीरिया के साथ भविष्य के संबंधों में तुर्किए की कई समस्याओं को कम कर सकता है।
ईरान की मदद से तुर्किए और सीरिया के बीच चार पक्षीय शांति बैठक आयोजित करने और सीरिया में युद्ध समाप्त कराने के अलावा, हमें कभी भी इस तथ्य को नहीं भूलना चाहिए कि तुर्किए की सेना द्वारा सीरिया का अतिग्रहण, अंकारा सरकार और तुर्क जनता के लिए बहुत ही हानिकारक सिद्ध हुआ है।
सीरिया में बश्शार अल-असद की क़ानूनी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए संकट के पहले तीन वर्षों में एकजुट हुए 63 पश्चिमी और अरब देशों में से केवल तुर्किए ही अभी तक बाक़ी है।
पश्चिमी और अरब सरकारों के लिए सीरिया अब प्राथमिकता नहीं है। यहां तक कि संयुक्त अरब इमारात जैसे कुछ अरब देश, जो कभी सीरिया के क़ानूनी राष्ट्रपति बश्शार अल-असद के विरोधियों की मदद करते थे, अब तुर्किए और बश्शार अल-असद के विरोधियों को और अधिक संकट में डालने की कोशिश कर रहे हैं और सीरिया की सरकार से संबंध स्थापित करने के लिए एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।
इस सिलसिले में पहला मुद्दा सीरिया में तुर्किए का घोर अपमान है अलबत्ता अंकारा के नेताओं के लिए यह अपमान सामान्य बात है।
एक दशक से भी अधिक समय से रजब तैयब अर्दोग़ान की सरकार के सऊदी अरब, मिस्र, संयुक्त अरब इमारात, यूरोपीय संघ, अमरीका और यहां तक कि नस्लभेदी इस्राईल के साथ तुर्किए के संबंध निम्नतम स्तर तक पहुंच गये हैं लेकिन पिछले एक साल से भी कम समय में माफी मांगते हुए और अपने दृष्टिकोणों से पीछे से हटते हुए उन्हें इन सबके साथ सहयोग करने पर मजबूर होना पड़ा है। (AK)
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