राष्ट्र संघ को भंग कर देना ही बेहतर, फ़िलिस्तीनियों के नरसंहार पर बेबस अंतर्राष्ट्रीय संगठन, ग़ाज़ा में 2200 से अधिक मौतें
इस समय इस्राईल जिस प्रकार गाज़ा पर पाश्विक हमले कर रहा है और फ़िलिस्तीनियों को नरसंहार कर रहा है उससे यह बात साफ़ हो गई है कि क्योंकि उसको अमेरिका का समर्थन हासिल है इसलिए संयुक्त राष्ट्र संघ केवल खेद प्रकट करने के अलावा कुछ भी नहीं कर पा रहा है।
प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, ग़ाज़ा पट्टी के स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में यह जानकारी दी है कि अब तक ग़ाज़ा पर इस्राईल द्वारा किए गए पाश्विक हमलों में हताहत होने वालों की संख्या 2215 पहुंच गई है। ख़ास बात यह है कि शहीद होने वालों में 60 प्रतिशत संख्या बच्चों और महिलाओं की है। आतंकी इस्राईल के हमलों में अब तक 724 फ़िलिस्तीनी बच्चे शहीद हो चुके हैं। वहीं दुनिया के सबसे बड़े संगठन राष्ट्र संघ ने भी ग़ाज़ा में मानवीय संकट की बात स्वीकार करते हुए अपना दुख जताया है। इस बीच दुनिया भर में यह मांग उठने लगी है कि आख़िर संयुक्त राष्ट्र संघ जब इस्राईल के ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही ही नहीं कर सकता है तो फिर उसके रहने से क्या फ़ायदा है। बल्कि उसको भंग ही कर देना चाहिए। इस बात में कोई शक नहीं है कि 70 वर्षों से लगातार अवैध ज़ायोनी शासन संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्तावों की अन्देखी करता चला आ रहा है और क्योंकि उसका साथ अमेरिका और कुछ यूरोपीय देश देते आए हैं इसलिए राष्ट्र संघ उसके ख़िलाफ़ किसी भी तरह की कोई कार्यवाही करने में सक्षम नहीं है।
इस बीच जहां संयुक्त राष्ट्र संघ को इस्राईल के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन करने की वजह से कार्यवाही करनी चाहिए तो वहीं वह और उससे संबंधित संगठन इस्राईल से अपील करते हुए दिखाई दे रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सुरक्षित सहायता वितरण के लिए एक मानवीय गलियारे की तत्काल स्थापना की अपील की है क्योंकि इस्राईल द्वारा किए जा रहे हवाई हमलों और बंद सीमाओं के कारण आम फ़िलिस्तीनी नागरिकों की भारी संख्या में मौतें हो चुकी हैं और जाने के लिए कोई सुरक्षित जगह नहीं है। संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव भी बार-बार इस बात को मान रहे हैं कि ग़ाज़ा की स्थिति काफ़ी चिंताजनक है लेकिन वह अपील के अलावा कोई इस्राईल के पाश्विक हमलों के ख़िलाफ़ किसी भी तरह की क़ानूनी कार्यवाही करने से बचते नज़र आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी लोग राष्ट्र संघ के इस नाकारा पन की वजह अब कहने लगे हैं कि इस संगठन का अब कोई काम नहीं रह गया है। क्योंकि यह अमेरिका और पश्चिमी देशों की कठपुतली के अलावा कुछ भी नहीं है। (RZ)
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