झूठे आरोपों के दम पर घायल फ़िलिस्तीनियों को मौत के घाट उतारने की नेतन्याहू ने रची साज़िश, ग़ज़्ज़ा में अब तक का सबसे बड़ा मानवीय संकट
अवैध आतंकी शासन इस्राईल ग़ज़्ज़ा में हर तरह के युद्ध अपराधों को अंजाम दे रहा है। वहीं उसके इन जघन्य अपराधों में अमेरिका और कुछ यूरपीय देश बराबर के भागीदार हैं। द टाइम्स ऑफ इस्राईल की रिपोर्ट के अनुसार, आतंकी ज़ायोनी सेना के प्रवक्ता ने शुक्रवार को यह दावा किया है कि हमास का मुख्य संचालन केंद्र ग़ज़्ज़ा शहर में स्थित शिफ़ा अस्पताल के अंतर्गत है।
अवैध ज़ायोनी शासन के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू इस समय पूरी तरह ग़ज़्ज़ा के आम लोगों और विशेषकर बच्चों के ख़ून के प्यासे लग रहे हैं। जिस प्रकार आतंकी इस्राईली सेना ग़ज़्ज़ा पट्टी पर पाश्विक हमले कर रही है उससे यह बात पूरी तरह साबित होती है कि अवैध ज़ायोनी शासन किसी भी अंतर्राष्ट्रीय क़ानून के प्रति गंभीर नहीं है। यह शासन अमेरिका और कुछ यूरोपीय देशों के इशारे पर फ़िलिस्तीनी जनता का नरसंहार करने के लिए काम कर रहा है। अब तक दर्जनों मस्जिदों, स्कूलों और अस्पतालों को इस्राईली सेना अपने पाश्विक हमलों के ज़रिए निशाना बना चुकी है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक़, आतंकी इस्राईली सेना के हमलों में अब तक सात हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं। शहीद होने वालों में तीन हज़ार से अधिक केवल बच्चे हैं जबकि लगभग दो हज़ार महिलाएं शामिल हैं। वहीं घायल होने वालों की संख्या बीस हज़ार पहुंच चुकी है। इस बीच नेतन्याहू ग़ज़्ज़ा में मौजूद इंडोनेशियाई सरकार के अधीन चलने वाले सबसे बड़े अस्पताल शिफ़ा को अपना निशाना बना रहा है। इस समय शिफ़ा अस्पताल में सबसे ज़्यादा घायलों की संख्या है। लेकिन आतंकी ज़ायोनी शासन ने प्रधानमंत्री ने इस अस्पताल के बारे में एक झूठा दावा करके यहां मौजूद घयालों को मौत के घाट उतारने की योजना बना डाली है। वहीं इस समय ग़ज़्ज़ा की जो स्थिति है उसको देखते हुए यह कहा जा सकता है कि यह इलाक़ा मानवीय संकट के सबसे बड़े ख़तरे पर पहुंच चुका है।
आतंकी शासन इस्राईल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू के झूठे दावे का जवाब देते हुए फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास के एक सीनियर नेता ओसामा हमदान ने कहा है कि ग़ज़्ज़ा में अवैध आतंकी ज़ायोनी शासन जो कर रहा है वह अपनी हार को छिपाने और जीत की छवि बनाने का एक विफल प्रयास है। उन्होंने कहा कि दुनिया जल्द ही वीरता के उस इतिहास को देखेगी जिसे प्रतिरोधकर्ता ग़ज़्ज़ा की लड़ाई में रचेंगे। इस बीच ज़ायोनियों ने कई बार ज़मीनी रास्ते से ग़ज़्ज़ा में घुसने की कोशिश की है और पिछली रात उन्होंने अपने सबसे क्रूर हमले किए लेकिन उन्होंने इसे आधिकारिक रूप से ज़मीनी कार्यवाही बताने से इनकार कर दिया है। वहीं ग़ज़्ज़ा की स्थिति पर चिंता जताते हुए अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं का कहना है कि आम नागरिकों का ख़िलाफ़ इस्राईल का जारी अत्याचार, सामूहिक सज़ा और मानव त्रासदी है जिसे युद्ध अपराध कहा जाता है। इन सबके बावजूद अमेरिका, ब्रिटेन समेत कुछ पश्चिमी देश पूरी तरह इस्राईल जैसे अवैध शासन के साथ खड़े हुए हैं। कुछ टीकाकारों का यह भी मानना है कि यह युद्ध पूरी तरह धर्म के आधार पर अमेरिका और पश्चिमी देशों द्वारा किया जा रहा है। वहीं इस्लामी देश और ख़ासकर अरब देशों के शासकों की ढीली-ढाली प्रतिक्रयाओं ने मुसलमानों का नरसंहार करने वालों के हौसलों को और ऊंचा कर दिया है। (RZ)
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